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बीमा चाहिए तो स्कैन कराइए भैंस की आंख

cattle insurers. फेशियल रिकग्नीशन और आंख की पुतलियों की स्कैनिंग के जरिये मवेशियों की पहचान स्थापित की जा सकेगी।

By Sachin MishraEdited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 01:09 PM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 01:17 PM (IST)
बीमा चाहिए तो स्कैन कराइए भैंस की आंख
बीमा चाहिए तो स्कैन कराइए भैंस की आंख

अहमदाबाद, आइएएनएस। फेशियल रिकग्नीशन यानी कोई मशीन आपके चेहरे को स्कैन कर आपकी पहचान कर ले। वर्तमान युग के स्मार्टफोन में यह तकनीक बेहद आम है, जिसमें मोबाइल फोन का उपयोग वही कर सकता है, जिसके चेहरे की पहचान उस फोन ने की हुई है। पशुओं का बीमा करने वाली बीमा कंपनियों के लिए यह तकनीक वरदान साबित होने वाली है। असल में पशुओं की पहचान का कोई पुख्ता टिकाऊ जरिया नहीं होने की वजह से बीमा कंपनियां कई फर्जी दावों के भुगतान को भी मजबूर थीं। अहमदाबाद स्थित एक कंपनी की मानें, तो पशु बीमा कंपनियों को अब फर्जी दावे पकड़ लेने का औजार मिल गया है।

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अहमदाबाद की कंपनी मंत्रा जल्द ही बीमा कंपनियों के लिए ऐसे उपकरण पेश करने जा रही है, जिनमें फेशियल रिकग्नीशन और आंख की पुतलियों की स्कैनिंग के जरिये मवेशियों की पहचान स्थापित की जा सकेगी। कंपनी का दावा है कि बीमा के मामले में ऐसी एकीकृत डिवाइस प्रणाली का इस्तेमाल अब तक नहीं हुआ है।

किसानों की आमदनी दोगुनी करने की योजना में पशुपालन का महत्व काफी बढ़ गया है और पशु धन के बीमा में बढ़ोतरी के बीच फर्जी दावों के मामले भी काफी बढ़ गए हैं। बीमा कंपनियां हालांकि अब इस तरह के फर्जी दावों से आसानी से पार पा लेंगी। मंत्रा के इस उत्पाद से एक ओर जहां फर्जी दावे के मामलों में गिरावट आएगी, वहीं भविष्य में पशुओं की पहचान और वन्यजीव संरक्षण में भी मदद मिलेगी।

मंत्रा के मार्केटिंग मैनेजर अवनीत द्विवेदी ने कहा कि मवेशियों और पशुओं का बीमा करने वाली कंपनियों द्वारा अनुराध किए जाने के बाद हमने फेशियल रिकग्नीशन डिवाइस और आइरिश स्कैनर का उपयोग कर एक एकीकृत प्रणाली का विकास किया है। इस प्रणाली में गाय, भैंस, बकडि़यों, भेर और ऊंट जैसे मवेशियों और पशुओं की पहचान सुनिश्चित की जा सकेगी। एक-दो महीने में इस प्रणाली का प्रोटोटाइप तैयार हो जाएगा।

द्विवेदी के मुताबिक बीमा कंपनियों को मवेशियों के मालिकों के फर्जी दावों का सामना करना पड़ता है, जो दावा करने के लिए किसी भी पशु को पेश कर देते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा भारत में या संभवत: दुनिया में पहली बार होगा कि आइरिश डिटेक्शन और फेशियल रिकग्नीशन आधारित डिवाइसों से मवेशियों की पहचान की जाएगी।

मंत्रा के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मानव और पशुओं के चेहरे में काफी भिन्नता होती है। इसलिए हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर की विशेष डिजाइन तैयार करनी पड़ी।


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