गुजरात में इस शख्स के पेट से कटर, बोल्ट सहित 452 वस्तुएं निकलीं
Ahmedabad Civil Hospital. गुजरात में एक शख्स के पेट से कटर बोल्ट सहित 452 वस्तुएं निकाली गई हैं।
अहमदाबाद, जेएनएन। अहमदाबाद के सिविल अस्पताल के डॉक्टर उस समय आश्चर्य चकित हो गए, जब ऑपरेशन के दौरान एक व्यक्ति के पेट से बोल्ट, कील, नेलकटर, प्लग सहित, धातु की कुल 452 वस्तुएं निकाली गईं। इस 28 वर्षीय युवक का शनिवार को सर्जरी विभाग में ऑपरेशन हुआ। इससे उसे नया जीवन मिला। वह गत एक वर्ष से इन सभी वस्तुओं को निगल रहा था। इतनी वस्तुओं को एक साथ निकालने की सिविल अस्पताल की यह प्रथम घटना है।
राहुल (नाम परिवर्तित किया) को चिकित्सा के लिए यहां अहमदाबाद सिविल अस्पताल में लाया गया था। 28 वर्षीय राहुल को सांस लेने में तकलीफ थी। डॉक्टरों ने दूरबीन से देखा तो मालूम हुआ उसकी श्वास नली में पिन फंस गई है। डॉक्टरों ने पिन तो बाहर निकाल लिया, किन्तु उसके पेट का एक्सरे कराने का भी निर्णय लिया। डॉक्टरों के आश्चर्य की पराकाष्ठा तो उस समय हुई, जब पता चला कि उसके पेट में मेटल की एक-दो नहीं अपितु कई वस्तुएं पड़ी हुई हैं। उसे सर्जरी विभाग में भर्ती कर ऑपरेशन का निर्णय किया। सर्जरी विभाग के डॉ. कल्पेश परमार, डॉ. वशिष्ठ जलाल, डॉ. आकाश शाह, डॉ. निर्सग पटेल तथा उनकी टीम ने राहुल का ऑपरेशन कर उसके पेट से कील, बाइक का प्लग, नेलकटर, बोल्ट, पिन, सहित कुल 452 वस्तुएं निकालीं। इन वस्तुओं को निकालने के बाद डॉक्टरों की टीम अचरज में पड़ गई कि आखिर मरीज के पेट में इतनी वस्तुएं कहां से आईं।
इस बारे में सर्जरी विभाग के वरिष्ठ डॉ. एए घासुरा ने बताया कि मानसिक बीमार यह युवक काफी समय से इन वस्तुओं को निगलता होगा। दो वर्ष पहले भी इसके पेट से कई वस्तुएं निकाली गयी थी। परन्तु इतनी बड़ी मात्रा में पहली बार निकाली गई हैं। सिविल हॉस्पिटल के अधीक्षक एमएम प्रभाकर ने बताया कि मानसिक बीमारी के कारण मरीज इस प्रकर की वस्तुओं को निगल जाता होगा। यहां सर्जरी विभाग में उसका सफल ऑपरेशन किया गया है। अब वह स्वस्थ है।
28 वर्षीय यह युवक एक्यूफेजिया नामक बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी में मरीज कील, नट, बोल्ट सहित विविध वस्तुएं भोजन की तरह खा जाता है। डॉक्टरों ने बताया कि राहुल पहले मानसिक बीमार नहीं था, परन्तु उसकी पत्नी उसकी लड़की को लेकर मायके चली गई, तब से वह मानसिक तौर पर बीमार हो गया। अब वह कुछ समय अपनी विधवा मां के साथ रहता है और कुछ समय मानसिक अस्पताल में भर्ती हो जाता है।
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