उना कांड पीड़ितों ने राष्ट्रपति को पत्र लिख मांगी इच्छामृत्यु
Una Case victim. उना कांड के पीड़ितों ने राष्ट्रपति को पत्रकर लिखकर इच्छामृत्यु की मंजूरी मांगी है।
अहमदाबाद, जेएनएन। गुजरात में उना कांड के पीड़ितों ने सरकार पर सरकारी सहायता नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए राष्ट्रपति को पत्रकर लिखकर इच्छामृत्यु की मंजूरी मांगी है। पीड़ितों ने सात दिसंबर से भाजपा सांसद के आवास के बाहर अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठने धमकी दी है। उधर, राज्य के सामाजिक कल्याण मंत्री इश्वरभाई परमार ने सरकारी सहायता नहीं मिलने के आरोपों को सिरे खारिज कर दिया है।
उना कांड के पीड़ित वशराम सरवैया ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर बताया है कि उना कांड के बाद कई राष्ट्रीय नेता समढीयाणा गांव आए थे। उस समय गुजरात की मुख्यमंत्री रहीं व मौजूदा मध्य प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी समढियागांव में पीड़ितों से मुलाकात की थी। उन्होंने पीड़ितों को सरकारी नौकरी, जमीन और नकद रुपये देने की घोषणा की थी। घटना के 28 महीने बीत चुके हैं, लेकिन उन्हें अभी तक सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिली है। आज भी सामाजिक कार्य के दौरान उनका मजाक उड़ाया जाता है। इससे निराश होकर भानुभाई वणकर, बालाभाई सरवैया, वशरामभाई सरवैया, उसके चचेरे भाई अशोक सरवैया सहित परिवार के सभी सदस्य इच्छामृत्यु की मांग कर रहे हैं।
न्याय नहीं मिलने पर सात दिसंबर, 2018 से अहमदाबाद पश्चिम के सांसद किरीट भाई सोलंकी के आवास के बाहर अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठेंगे। राज्य के सामाजिक कल्याण मंत्री इश्वरभाई परमार ने सरकार पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है। उन्होंने कहा कि उना कांड के पीड़ितों को सरकार ने मुआवजा दिया है। पीड़ितों को जमीन भी सरकार ने दी है। लेकिन इस जमीन को लेने के लिए पीड़ित परिवार तैयार नहीं है।
दो साल पहले उना कांड का पूरे देश मे विरोध हुआ था
सोमनाथ जिले में स्थित उना तहसील में दो वर्ष पहले 11 जुलाई, 2016 में गोरक्षा के नाम पर कथित गोरक्षकों ने एक मरी हुई गाय का चमड़ा उतार रहे दलित युवक वशराम सरवैया (26), रमेश सरवैया (23) उसके चचेरे भाई अशोक सरवैया (20) और उसके रिश्तेदार बेचर (30) को निर्वस्त्र कर पीटा था। जिसके बाद इस घटना का पूरे देश में विरोध किया गया था। राज्यसभा से लोकसभा तक सभी राजनीतिक पार्टियों ने इस घटना की आलोचना की थी।