ये मानव संग्रहालय गुजरात में बताएगा श्रीकृष्ण-रुक्मणी के 'राज'
मानव संग्रहालय गुजरात में भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह और उस दौरान हुए युद्ध की रोचक कहानियों को रेखाचित्रों की जुबानी सुनाएगा।
राजीव सोनी, भोपाल। मप्र के भोपाल का मानव संग्रहालय गुजरात में भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह और उस दौरान हुए युद्ध की रोचक कहानियों को रेखाचित्रों की जुबानी सुनाएगा। पोरबंदर के पास स्थित प्राचीन रुक्मणी मंदिर में जुटने वाले लाखों लोगों के बीच संग्रहालय विभिन्न राज्यों में प्रचलित कृष्ण की कथाओं के राज को पेंटिंग्स के जरिये समझाएगा। दस राज्यों के कलाकारों ने इस प्रसंग को अनूठे अंदाज में कैनवास पर उतारा है।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने पोरबंदर के पास माधोपुर रुक्मणी मंदिर पर होने वाले जलसे के लिए देश के प्रमुख कला केंद्रों को बुलाया है। श्रीकृष्ण-रुक्मणी का विवाह यहीं हुआ था। भोपाल के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय ने आयोजन के लिए मध्य प्रदेश सहित मणिपुर, मिथला (बिहार), आंध्रप्रदेश, हिमाचल, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, केरल, महाराष्ट्र और असम के जनजीवन में जनश्रुति के रूप में व्याप्त भगवान श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह और युद्ध की कहानियों को रेखाचित्रों में संजोया है। इन राज्यों के पारंपरिक चित्रकारों ने खास तौर पर इस 'थीम' को कैनवास पर उकेरा है।
देश में पहली बार, कृष्ण-रुक्मणि की कहानियों का चित्रांकन
केंद्र सरकार ने देश में पहली बार भगवान कृष्ण से जुड़े इस महत्वपूर्ण प्रसंग और उनकी प्रमुख पटरानी देवी रुक्मणी की कहानियों का चित्रांकन कराया है। पोरबंदर से 90 किमी दूर स्थित 'माधोपुर गैर' में हर साल करीब पांच लाख लोग इस महाआयोजन के साक्षी बनते हैं। इस साल प्रधानमंत्री कार्यालय की दिलचस्पी पर नेशनल माडर्न आर्ट गैलरी, इंदिरा गांधी कला केंद्र दिल्ली और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल को खासतौर पर सहभागी बनाया गया है। मानव संग्रहालय ने अपनी ढाई दर्जन पेंटिंग्स को यहां प्रदर्शित किया है। देश के आंचलिक सांस्कृतिक केंद्रों से करीब 500 अन्य कलाकार भी यहां अपनी प्रस्तुति देंगे।
दूसरे राज्यों को भी बताएंगे कृष्ण-रुक्मणी प्रसंग
मानव संग्रहालय के डायरेक्टर प्रो. सरित कुमार चौधरी कहते हैं कि इन पेंटिग्स में देश के विख्यात कलाकारों ने पटचित्र, कांगड़ा मिनिएचर, टसर, कलमकारी एवं म्युरल्स के माध्यम से भाव भंगिमाओं को रेखाचित्रों में जीवंत किया है। उन्होंने बताया कि संग्रहालय के सीनियर क्यूरेटर राकेश भट्ट के नेतृत्व में एक टीम गुजरात भेजी गई है। 25 से 29 मार्च तक वहां यह आयोजन रहेगा। गुजरात के बाद यह प्रदर्शनी भोपाल में लगाई जाएगी। देश के अन्य राज्यों में भी इसे घुमाने का प्रस्ताव है।
जानें, कौन थीं देवी रुक्मणी
देवी रुक्मणी राजा भीष्मक की पुत्री थीं। पिता ने मर्जी के खिलाफ उनका विवाह चंदेरी के राजा शिशुपाल से तय कर दिया था। तब रुक्मणी ने भगवान श्रीकृष्ण को एक ब्राह्मण के जरिये पत्र भेजकर उन्हें ले जाने का आग्रह किया था। इस पत्र का मजमून आज भी रुक्मणी मंदिर (द्वारका) में सुरक्षित है। इसके बाद श्रीकृष्ण ने रुक्मणी हरण कर उनके साथ विवाह किया, वह उनकी प्रमुख पटरानी बनीं।