सुरेश भटनागर व उनके दोनों बेटों की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज
बीआई की विशेष अदालत ने सुरेश भटनागर व उसके दोनों बेटों की अग्रिम जमानत अर्जी सीखारिज कर दी है।
अहमदाबाद, जेएनएन। देश के 11 सरकारी व गैरसरकारी बैंकों को 2654 करोड़ का चूना लगाने वाले डायमंड पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर के संस्थापक सुरेश भटनागर व उसके दोनों बेटों की अग्रिम जमानत अर्जी सीबीआई की विशेष अदालत ने खारिज कर दी है। आयकर विभाग की विविध टीमों ने मंगलवार को उनके वडोदरा स्थित कॉरपोरेट आॅफिस व अन्य 16 स्थलों पर तलाशी ली। सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय पहले से इस मामले की जांच कर रहे हैं।
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने गुरुवार को डायमंड पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के संस्थापक सुरेश नारायण भटनागर, उसके पुत्र व प्रबंध निदेशक अमित भटनागर, सुमित भटनागर के आवास व फैक्ट्रियों पर छापा मारकर कई अहम दस्तावेज जुटा लिए थे। स्पेशल जज एन जी दवे ने शनिवार को उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई पूर्ण कर ली थी जिसमें आरोपियों की ओर से कहा गया था कि उन्होंने कोई घोटाला नहीं किया है, बैंक से लिया ऋण लौटा नहीं पाए। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई ने मौखिक शिकायत पर ही उनके खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।
सीबीआई ने उनके अपराध को गंभीर बताते हुए कहा कि उन्होंने एक सोची समझी साजिश के तहत इस घोटाले को अंजाम दिया है। अदालत को सीबीआई ने बताया कि वर्ष 2008 से जून 2016 के बीच फर्जी दस्तावेज, बैंक खातों व कंपनी की बैलेंस सीट के जरिए भटनागर बंधु सरकारी व गैरसरकारी बैंकों से अलग अलग लोन उठाते गए। बैंक आॅफ इंडिया से करीब 670 करोड, बैंक आॅफ बड़ोदा के 349 करोड़, आईसीआईसीआई के 280 तथा एक्सिस बैंक के 255 करोड़ रुपये इन्होंने लोन के जरिए हड़प लिए। सीबीआई ने आपराधिक षड्यंत्र, बैंक से धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज व बैंक खाते के जरिए इस घोटाले को अंजाम देने का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर शनिवार को अमित को गिरफ्तार कर लिया था।
सीबीआई ने आरोपियों की जमानत का यह कहते हुए विरोध किया कि वे सुबूत व गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। सुरेश भटनागर व अन्य आरोपियों की ओर से अग्रिम जमानत के लिए याचिका दाखिल की गई, जिसे अदालत ने मंगलवार को खारिज कर दी।
उधर, आयकर विभाग ने मंगलवार को डायमंड पावर इन्फ्रास्ट्रक्चर के वडोदरा कॉरपोरेट कार्यालय, अन्य आॅफिस व आवास पर सर्च किया तथा 17 विविध स्थलों पर छापे मारे। भटनागर एंड संस पहले से ही सीबीआई व प्रवर्तन निदेशालय के राडार पर हैं, अब आयकर विभाग ने भी जांच शुरू कर दी है। डायमंड पावर बिजली के केबल व उपकरण बनाने का काम करती है, जिसे हजारों करोड़ की लोन देना भी शंका के दायरे में है।