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जैन साध्वियों ने आत्मरक्षा के गुर सीखे

Self defense training program. सूरत में जीवन कल्याण ट्रस्ट ने राष्ट्र सेविका समिति की मदद से जैन साध्वियों के लिए आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 21 Nov 2018 05:38 PM (IST)Updated: Wed, 21 Nov 2018 05:38 PM (IST)
जैन साध्वियों ने आत्मरक्षा के गुर सीखे
जैन साध्वियों ने आत्मरक्षा के गुर सीखे

अहमदाबाद, जेएनएन। जैन धर्म का प्राथमिक सिद्धांत है सत्य-अहिंसा लेकिन सूरत में गत दिनों जैन साध्वियों ने आत्मरक्षा के गुर सीखे। आत्मरक्षा के लिए आयोजित दो दिन के प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्र सेविका समिति की ओर से किया गया। उनका दावा है कि जैन साध्वियों की मांग पर ही यह प्रशिक्षण दिया गया, ताकि अकेले व निर्जन इलाके में होने वाले हमले या प्रताड़ना से खुद की रक्षा कर सकें।

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दक्षिण गुजरात के सूरत में जीवन कल्याण ट्रस्ट ने राष्ट्र सेविका समिति की मदद से जैन साध्वियों के लिए दो दिन का आत्मरक्षा प्रशिक्षण कार्यक्रम हुआ। इसमें साध्वियों को आत्मरक्षा के गुर सिखाए गए। आमतौर पर विहार व चातुर्मास के लिए साध्वियां एक स्थल से दूसरे स्थल पर जाती हैं। इस दौरान वे पैदल चलकर अपना मार्ग तय करती हैं। ऐसे में कई बार असामाजिक तत्व उन्हें परेशान या प्रताड़ित करने का प्रयास करते हैं।

गत दिनों सूरत के गोपीपुरा के जैन उपाश्रय पर एक युवक के जैन साध्वी को परेशान करने का मामला सामने आया था, जिसे बाद में पुलिस ने पकड़ लिया। राष्ट्र सेविका डॉ जिलना पटेल बताती हैं कि इस घटना के बाद जैन साध्वियों को आत्मरक्षा की जरूरत महसूस हुई। साध्वी मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ होती हैं तथा उन्हें आत्मरक्षा के गुर सिखाए जाएं तो वे किसी भी तरह के हमले के दौरान मदद पहुंचने तक खुद की रक्षा कर सकती हैं। इसी उद्देश्य से उन्हें यह प्रशिक्षण दिया गया।

जीवन कल्याण ट्रस्ट के असित गांधी बताते हैं कि जैन साध्वियों को कई बार असामाजिक तत्वों के चलते कड़वे अनुभव होते हैं। ऐसे प्रशिक्षण के बाद वे खुद अपनी रक्षा करने में सक्षम होंगी। सूरत के पुलिस आयुक्त सतीश शर्मा कहते हैं कि हर एक व्यक्ति को आत्म रक्षा के गुर सीखने चाहिए, ताकि जरूरत के वक्त वे खुद की व दूसरे की भी मदद कर सकें। जैन साध्वी बताती हैं कि शारीरिक ही नहीं बल्कि आत्मसम्मान की रक्षा के लिए भी ऐसा प्रशिक्षण उपयोगी है।


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