हार्दिक पटेल बोले, सजा होने के बाद भी चुप नहीं बैठूंगा; तेज होगा पाटीदार आंदोलन
हार्दिक पटेल ने गुजरात सरकार पर हमला करते हुए कहा कि पाटीदार आंदोलन को तोड़ने का प्रयास है, सरकार को जो करना है करे आंदोलन अब और तेज होगा।
अहमदाबाद, जेएनएन। विसनगर की कोर्ट से सजा के एलान के बाद पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने गुजरात सरकार पर हमला करते हुए कहा कि पाटीदार आंदोलन को तोड़ने का प्रयास है, सरकार को जो करना है करे आंदोलन अब और तेज होगा। उनका मानना है कि नेताओं के मामले 20-20 साल से लटके हैं लेकिन इस मामले में तुरंत फैसला आ गया। वहीं, लालजी पटेल का कहना है कि उन्हें न्यायतंत्र पर भरोसा है, हाईकोर्ट से वे जरूर निर्दोष छूट जाएंगे।
भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ व आगजनी मामले में अतिरिक्त जिला सत्र न्यायालय ने हार्दिक पटेल, लालजी पटेल व एक अन्य को दो-दो साल की सजा व जुर्माना किया है। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने सजा के एलान पर कहा कि सजा का मतलब यह नहीं है कि अब घर बैठ जाऊं, बल्कि अब और हिम्मतपूर्वक लड़ना चाहिए। हार्दिक ने सवाल उठाया कि इस मामले में 3 साल में ही सजा का एलान हो गया, जबकि नेताओं के मामले अदालतों में 20-20 साल से लटके हैं। इस दौरान उन्होंने पुलिस पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि आरोप पत्र बनाने व एफआइआर में किस तरह नाम शामिल होता है सब जानते हैं। यह पाटीदार आरक्षण आंदोलन को तोड़ने का प्रयास है।
हार्दिक ने कहा कि सरकार को जो करना है कर ले और मुझे जो करना है मैं करूंगा। हार्दिक का कहना है कि वे खुद के लिए या राजनीति करने के लिए आंदोलन नहीं कर रहे हैं। समाज के हक के लिए आंदोलन कर रहे हैं, इसलिए सजा होने के बाद भी चुप बैठने का सवाल ही नहीं है।
सरदार पटेल ग्रुप के अध्यक्ष लालजी पटेल ने कहा कि अदालत ने जो सजा दी है भुगतने को तैयार हैं, निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे तथा न्याय तंत्र पर पूरा भरोसा है ऊपरी अदालत में निर्दोष छूट जाएंगे।
चुनाव नहीं लड़ पाएंगे हार्दिक पटेल
हार्दिक पटेल के आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की अटकलों के बीच वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र शुक्ल का कहना है कि दो साल की सजा सुनाए जाने से हार्दिक पटेल अब चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। जनप्रतिनिधित्व कानून का हवाला देते हुए शुक्ल बताते हैं कि इसके तहत किसी भी तरह के अपराध का आरोपित तो चुनाव लड़ सकता है लेकिन सजायाप्ता व्यक्ति के चुनाव लड़ने पर रोक है। उनका मानना है कि यदि हाईकोर्ट निचली अदालत के फैसले को संपूर्ण स्टे कर दे या हार्दिक को स्थाई जमानत दे तो ही हार्दिक चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन राज्य सरकार अदालत में ऐसा नहीं होने देने का पूरा प्रयास कर सकती है, जिससे हार्दिक की महत्वाकांक्षा धूमिल हो सकती है।
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