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Gujarat: माता-पिता की रजामंदी से हो बच्‍चों की शादीः अश्विन पटेल

Ashwin Patel. अश्विन पटेल ने सीएम को पत्र लिखकर मांग की है कि विवाह पंजीकरण के लिए ग्राम पंचायत में युवक-युवती के माता-पिता की रजामंदी भी अनिवार्य किया जाना चाहिए।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 23 Jan 2020 04:14 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jan 2020 04:14 PM (IST)
Gujarat: माता-पिता की रजामंदी से हो बच्‍चों की शादीः अश्विन पटेल
Gujarat: माता-पिता की रजामंदी से हो बच्‍चों की शादीः अश्विन पटेल

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। बच्‍चों की शादी में माता-पिता की रजामंदी की मांग को लेकर भाजपा के बनासकांठा जिला मंत्री अश्विन पटेल ने मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी को पत्र लिखकर मांग की है कि विवाह पंजीकरण के लिए ग्राम पंचायत में युवक-युवती के माता-पिता की रजामंदी को भी अनिवार्य किया जाना चाहिए।

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पटेल ने लिखा है कि माता-पिता बच्‍चों को कठोर मेहनत कर अपनी कमाई की बड़ी रकम खर्च कर बड़ा करते हैं। किशोरावस्‍था में बच्‍चे कई बार प्रेमवश होकर घर से भाग जाते हैं। पहले विवाह के लिए रजिस्‍ट्रार के यहां पंजीकरण होता था, लेकिन सरकार ने हर ग्राम पंचायत में विवाह पंजीकरण की मंजूरी दे दी है, इसलिए वे किसी भी पंचायत में जाकर पंजीकरण करा लेते हैं।

उनका मत है कि 18 साल में वयस्‍क मान लिया जाता है, लेकिन फिर भी विधानसभा व लोकसभा का सदस्‍य बनने के लिए तो 25 साल की आयु तय है। उनकी मांग है कि बाकी सब ठीक है, लेकिन पंचायत में विवाह पंजीकरण के लिए माता व पिता की रजामंदी को भी अनिवार्य किया जाना चाहिए। कई बार बच्‍चे पुलिस थाने या पंचायत में मां-बाप को पहचानने से भी इन्कार कर देते हैं, ऐसी हालत में उनके दिलपर क्‍या बीतती होगी। सरकार को इन बातों को ध्यान में रखते हुए विवाह पंजीकरण के नियमों में बदलाव करना चाहिए। 

गौरतलब है कि भाजपा सांसदों के बाद अब विधायक भी गुजरात की रपानी सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाने लगे हैं। भाजपा विधायक केतन ईनामदार ने जनता के काम नहीं होने व उपेक्षा से तंग आकर विधायक पद से ही इस्तीफा सौंप दिया। प्रदेश की राजनीति में इसे मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने इस्तीफा मिलने से इन्कार किया है। वडोदरा जिले की सावली विधानसभा से चुने गए विधायक केतन ईनामदार ने विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र त्रिवेदी को भेजे गए अपने इस्तीफे में कहा है कि मंत्री व अधिकारी उनके क्षेत्र के विकास व जनता के कार्य को लेकर उदासीन हैं। उनकी सिफारिश के बावजूद उनकी व उनके कामों की उपेक्षा की जाती रही है।

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