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धारा 377 में फंसा मौलवी, पत्नी ने लगाया आरोप; हाई कोर्ट ने नहीं दी अग्रिम जमानत

दक्षिण गुजरात के एक मौलवी के खिलाफ उसकी 25 वर्षीय तीसरी पत्नी ने मुकदमा दर्ज कराया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 06:46 PM (IST)Updated: Fri, 14 Sep 2018 03:17 PM (IST)
धारा 377 में फंसा मौलवी, पत्नी ने लगाया आरोप; हाई कोर्ट ने नहीं दी अग्रिम जमानत
धारा 377 में फंसा मौलवी, पत्नी ने लगाया आरोप; हाई कोर्ट ने नहीं दी अग्रिम जमानत

राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। दक्षिण गुजरात के एक मौलवी के खिलाफ उसकी 25 वर्षीया तीसरी पत्नी ने धारा 377 के तहत जबरन अप्राकृतिक संबंध बनाने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया है। दहेज की मांग, प्रताड़ना व अप्राकृतिक संबंधों के आरोपों को देखते हुए हाई कोर्ट ने आरोपित की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है।

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सूरत के मांडवी कस्बे में रहने वाले एक 40 वर्षीय मौलवी ने अपने पड़ोस में रहने वाली 25 वर्षीय लड़की के साथ एक साल पहले विवाह किया था। लड़की के माता-पिता इस विवाह के खिलाफ थे। मौलवी पहले से ही दो विवाह कर चुका था। पीड़िता का आरोप है कि शादी के कुछ माह बाद ही उसका पति दहेज के लिए उसके साथ मारपीट करने लगा और उसके साथ अप्राकृतिक संबंध बनाने का दबाव डालता था। पीड़िता ने इसकी जानकारी अपने माता-पिता को दी तो उन्होंने अप्रैल 2018 में मांडवी पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। बारडोली की स्थानीय अदालत में मौलवी ने अग्रिम जमानत अर्जी दायर की थी।

निचली अदालत से अर्जी खारिज होने के बाद वह गुजरात हाई कोर्ट पहुंचा था। लेकिन जस्टिस एवाई कोगजे ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया आरोप सही लगता है, इसलिए आरोपित को इस मामले में कोई राहत नहीं दी जा सकती है। मौलवी के वकील ने कहा कि यह तलाक का मामला है। लेकिन अपना मामला मजबूत बनाने के लिए धारा 377 सहारा लिया गया है। यदि अदालत इसी तरह आरोप को सच मानने लगी तो कोई भी पति सुरक्षित नहीं रह पाएगा।

केवल सहमति से बने संबंध ही है अपराध से बाहर
सुप्रीम कोर्ट ने वयस्कों के बीच आपसी सहमति से बने समलैंगिक संबंध को ही आइपीसी की धारा 377 के तहत अपराध से बाहर किया है। लेकिन नाबालिगों और पशुओं के अलावा जबरन अप्राकृतिक संबंध अभी भी इस धारा के तहत अपराध की श्रेणी में आते हैं। 


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