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Self-Employed Woman's Association ने फैलाया लाखों गरीब महिलाओं के जीवन में उजाला

गुजरात की सेल्फ एम्प्लॉइड वुमन ऐसोसिएशन और महिला हाउसिंग सेवा ट्रस्ट की सहायिकाओं संग इला भट्ट (मध्य में)। सौ. सेवा ट्रस्ट

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 09:49 AM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 09:49 AM (IST)
Self-Employed Woman's Association ने फैलाया लाखों गरीब महिलाओं के जीवन में उजाला
Self-Employed Woman's Association ने फैलाया लाखों गरीब महिलाओं के जीवन में उजाला

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। गुजरात से शुरू हुए सेल्फ एम्प्लाइड वुमन एसोसिएशन और फिर इसके सहायक संगठन महिला हाउसिंग सेवा ट्रस्ट ने हालही रजत जयंती मनाई है। एसोसिएशन के डेढ़ लाख ब्लॉक कार्यकर्ता आज गुजरात सहित सात राज्यों के करीब 25 लाख गरीब परिवारों को मदद पहुंचा चुके हैं। इनका दायरा राजस्थान, मप्र, बिहार, झारखंड, दिल्ली और ओडिशा तक ही नहीं, नेपाल और बांग्लादेश तक है, जहां ये महिलाओं को सशक्त बना गरीब परिवारों के जीवन में बदलाव लाने में सफल हो रहे हैं।

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गांधीवादी विचारक एवं सामाजिक कार्यकता इलाबेन भट्ट ने इस मुहिम की शुरुआत की थी, जो आज भी बागडोर संभाल रहीं हैं। स्वरोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और आवास जैसी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के इनके आंकडों की बानगी आज 25 लाख से अधिक परिवार दे रहे हैं। 18 हजार बेघर महिलाओं को आवास भी इसमें शामिल है। करीब 900 स्लम विस्तारों का सेटलमेंट कराकर गंदी झोपड़पट्टी में रहने वालों परिवारों को आवासीय फ्लैट व घर उपलब्ध मुहैया हो चुका है।

संस्था की ऑपरेशनल हैड बीजल भट्ट के अनुसार 15 लाख 60 हजार महिलाओं को संस्था निजी रूप से आर्थिक सहायता उपलब्ध करा चुकी है। करीब साढ़े तीन हजार कंस्ट्रक्शन वर्कर संस्था के साथ जुड़े हुए हैं, जिनके माध्यम से 11 हजार नए कंस्ट्रक्शन वर्कर्स को प्रशिक्षित किया जा चुका है। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं।

महिला हाउसिंग सेवा ट्रस्ट ऐसी महिलाओं को सरकारी व अन्य मदद से घर उपलब्ध कराती है। पहले से बसी बस्ती में शौचालय, पानी, बिजली जैसी सुविधाओं को पहुंचाने में भी सरकारों के साथ सामंजस्य से बदलाव लाने का काम किया गया है। महिलाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराना भी इसमें शामिल है।

संस्था के कम्युनिटी एक्शन ग्रुप की सदस्य प्रीतिबेन कांबले बताती हैं कि अशिक्षा और गरीबी के चलते ऐसे अनेक परिवार हताशा में जीवन बिताते हैं, हम उन्हें सशक्त बनने की राह दिखाते हैं और इसमें हरसंभव सहयोग भी। ट्रस्ट की एक प्रशिक्षित ब्लॉक अधिकारी गीता बेन ने बताया, अहमदाबाद में एक गरीब बस्ती में बसे सौ से अधिक परिवारों को शांतिदीप हाउसिंग सोसायटी तैयार कराकर सौंपी गई, ऐसे अनेक उदाहरण हैं।

इलाबेन मुंबई की एसएनडीटी कॉलेज में शिक्षिका थीं, जिसके बाद अहमदाबाद में वकालत शुरू की। इस दौरान ही उनहें टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन की महिला विंग का अध्यक्ष बनाया गया और इस संस्था को उन्होंने देश का सबसे बड़ा लेबर यूनियन बना दिया। इलाबेन को वर्ष 1984 में पद्मश्री से और 1985 में पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा रेमन मेग्सेसे अवार्ड, इंटरनेशनल लाइवलीहुड अवार्ड व इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।

एसोसिएशन से सेवा महिला बैंक, लोक स्वास्थ्य, हाउसिंग, सेवाभारत, सेवा निर्माण सहित करीब दो दर्जन संस्थाएं जुड़ी हुई हैं। वर्तमान में इलाबेन महात्मा गांधी द्वारा स्थापित गुजरात विद्यापीठ की वाइस चांसलर हैं और एसोसिएशन का संचालन कर रही हैं।

उन्होंने बताया कि एसोसिएशन और इससे जुड़ी संस्थाएं महानगर पालिका, नगर निगम और कई पब्लिक सेक्टर यूनिट्स के साथ मिलकर काम करती है। इसके अलावा अजीम प्रेमजी फाउंडेशन, एचएसबीसी, युनाइटेड स्टेट एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, बैंक ऑफ अमेरिका, जॉर्जिया तकनीकी संस्थान, मिलेनियम एलायंस, ऑक फाउंडेशन, एशियन कॉलिशन हाउसिंग राइट, अर्बललैब शिकागो आदि संस्थाओं से इसे सीएसआर के तहत आर्थिक व तकनीकी मदद मिलती है।

सेल्फ एम्प्लाइड वुमन एसोसिएशन के सेवा कार्य का विस्तार सात राज्यों के 25 लाख परिवारों तक 4 गुजरात, राजस्थान, मप्र, बिहार, झारखंड, दिल्ली और ओडिशा में डेढ़ लाख ब्लॉक कार्यकर्ता बदल रहे गरीब परिवारों का जीवन।


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