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600 हीरा कारीगरों को बोनस में मिली कार, नौ सौ को मिले एफडी के प्रपत्र

सवजीभाई ढोलकिया ने इस दिवाली अपने 600 हीरा कारीगरों को वीरवार को कार व अन्यों को बतौर प्रोत्साहन राशि बैंक एफडी के प्रपत्र दिए।

By Sachin MishraEdited By: Published: Thu, 25 Oct 2018 11:41 AM (IST)Updated: Thu, 25 Oct 2018 07:00 PM (IST)
600 हीरा कारीगरों को बोनस में मिली कार, नौ सौ को मिले एफडी के प्रपत्र
600 हीरा कारीगरों को बोनस में मिली कार, नौ सौ को मिले एफडी के प्रपत्र

अहमदाबाद, जेएनएन। जाने माने हीरा उद्यमी व सामाजिक कार्यकर्ता सवजीभाई ढोलकिया ने इस दिवाली अपने 600 हीरा कारीगरों को वीरवार को कार व अन्यों को बतौर प्रोत्साहन राशि बैंक एफडी के प्रपत्र दिए हैं। उधर, श्री हरिक्रष्णा एक्सपोर्ट के कुछ दिव्यांग कर्मचारी व चयनित हीरा कारीगरों को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार की चाबी व एफडी के प्रपत्र सौंपे। बीते चार साल से सवजीभाई ऐसी भेंट देते आ रहे हैं, इनमें कभी फ्लैट तो कभी महंगी कारें शामिल हैं। 

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दुनिया की सबसे बड़ी डायमंड कंपनी श्रीहरि कृष्णा एक्सपोर्ट के मालिक सवजी भाई ढोलकिया मूल रूप से सौराष्ट्र के पाटीदार समुदाय से आते हैं, उनकी स्कूल शिक्षा अधूरी रह गई थी। वे सूरत में हीरा कारीगर के रूप में काम करने लगे थे। धीरे-धीरे अपनी खुद की कंपनी बनाकर आज वे दुनिया के बड़े हीरा उद्यमी बन गए हैं। लॉयल्टी प्रोग्राम 2011 के तहत उन्होंने अपने मेहनती, कुशल व ईमानदार कारीगरों को उपहार देना शुरू किया। हीरा की कीमत उस पर किए गए काम से निखरती है, इनमें कटिंग, पॉलिस, घिसाई आदि प्रमुख है। जो भी कारीगर इस काम को कुशलता से करता है, उसे लॉयल एम्पलॉयी के रूप में चुना जाता है। कंपनी में करीब 15 सौ कारीगर व कर्मचारी काम करते हैं। इनमें से 600 को कार व 900 को बैंक एफडी के प्रपत्र गुरुवार को दिए गए।

सवजीभाई बताते हैं कि दिव्यांग महिला कर्मचारी व कुछ कारीगरों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर कार की चाबी सौंपी। बाद में उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सूरत में हीरा कारीगरों को संबोधित किया। सवजीभाई ने इस साल करीब 50 करोड़ रुपये के उपहार व एफडी प्रपत्र दिए हैं। हीरा कारीगरों को इससे पहले वे फ्लैट व महंगी कार देने के लिए भी वे खूब सुर्खियों में रहे थे।

गौरतलब है कि हीरा कारीगरों का मासिक वेतन 50 हजार से लेकर एक लाख से अधिक तक होता है। साल भर कारीगरों की कुशलता के आधार पर उनका बोनस बनता है, जिसके बदले उन्हें यह महंगा उपहार मिलता है। 


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