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PM मोदी को राखी बांधने पहुंची 'पाकिस्तानी बहन', कहा- भाई को मिलना चाहिए नोबल प्राइज

24 साल से प्रधानमंत्री मोदी को राखी बांधते आ रही पाकिस्‍तानी बहन चाहती है कि उनहें नोबल पुरस्‍कार मिले।मोहसिन का मानना है मोदी दुनिया में शांति व विकास के लिए कदम उठा रहे हैं

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 15 Aug 2019 10:56 AM (IST)Updated: Thu, 15 Aug 2019 01:55 PM (IST)
PM मोदी को राखी बांधने पहुंची 'पाकिस्तानी बहन', कहा- भाई को मिलना चाहिए नोबल प्राइज
PM मोदी को राखी बांधने पहुंची 'पाकिस्तानी बहन', कहा- भाई को मिलना चाहिए नोबल प्राइज

अहमदाबाद, शत्रुघ्‍न शर्मा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पाकिस्‍तानी बहन चाहती है कि उनहें नोबल पुरस्‍कार मिले। 24 साल से मोदी को राखी बांधते आ रही कमर मोहसिन शेख का मानना है कि मोदी दुनिया में शांति व विकास के लिए अहम कदम उठा रहे हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी जब राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के प्रचारक व बाद में भाजपा कार्यकर्ता के रूप में गुजरात में काम करते थे तब कमर जहां ने उन्‍हें राखी बांधते हुए उनके राज्‍य का मुख्‍यमंत्री बनने की दुआ की तो मोदी ने हंसते हुए कहा कि उन्‍हें कार्यकर्ता ही रहने दें राज काज उन्‍हें रास नहीं आता है।

गुजरात की राजनीति का पहिया ऐसा घुमा कि विपरीत हालात में भाजपा को बचाने के लिए मोदी को राज्‍य की कमान संभालनी पडी और मोदी ने अपने ही अंदाज में राज्‍य के विकास को गति दी। कमर जहां बताती है कि एक रक्षा बंधन पर उन्‍होंने राखी बांधते हुए उनके लिए देश का प्रधानमंत्री बनने की दुआ की तो मोदी मुस्‍कुराने लगे।

कमर जहां मूल रूप से कराची से हैं, वे अपने परिवार के साथ सालों पहले अहमदाबाद में आकर बस गई थी। इस रक्षा बंधन पर कमर जहां ने पीएम मोदी के लिए नोबल पुरस्‍कार की दुआ की है, उनका मानना है कि जब सच्‍चे  दिल से दुआ की जाए तो जरूर पुरी होती है। मोदी आतंकवाद, भ्रष्‍टाचार, गरीबी जेसी समस्‍याओं को खत्‍म करने के लिए जूझ रहे हैं, देश व दुनिया के कल्‍याण के लिए उन्‍हें नोबल पुरस्‍कार मिलना ही चाहिए।

पाक में बसे भाईयों से मिलने को तरसी
भारत पाकिस्‍तान के बीच वर्ष 1971 के युद्ध के बाद सिंध के चेल्‍लार गांव से आकर गुजरात के कच्‍छ, बनासकांठा,पाटण में आकर बसी कई बहनें ऐसी हैं जो अपने भाईयों को राखी बांधने के लिए पाक नहीं जा सकती।

थराद के शिवनगर में बसे दो हजार परिवारों की कई बहनें राखी के दिन अपने भाईयों की कलाई पर राखी नहीं बांध सकती। लीला शंकरलाल पुरोहित ने कई दशक से अपने पीहर नहीं गई। दुर्गाबेन त्रिवेदी, जीवाबेन पुरोहित ऐसी कई महिलाएं हैं जो भाई का चेहरा देखने को तरस जाती हैं।

1978 में उन्‍हें भारत की नागरिकता मिल गई तथा अब वे यहीं स्‍थाई हो चुके हैं, पाकिस्‍तान उन्‍हें वीजा नहीं देता है इसलिए वे अपनी भाईयों से नहीं मिल सकती हैं।  

केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को राखी बांधी।


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