Gujarat Politics: अशोक गहलोत ने पाटीदार नेता से की गुप्त मुलाकात, कांग्रेस में लाकर पाटीदार मतों में सेंध की रणनीति
Gujarat Politics राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत दिनों मुंबई में गुजरात के एक पाटीदार नेता से मिलकर कांग्रेस को सत्ता में लाने की रणनीति पर चर्चा की लेकिन बात मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर अटकी है। कांग्रेस किसी भी नेता को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार नहीं बनाना चाहती।
अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। गुजरात में करीब ढाई दशक से सत्ता से दूर कांग्रेस सत्ता पाने को किसी कद्दावर पाटीदार नेता की तलाश में है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत दिनों मुंबई में गुजरात के एक पाटीदार नेता से मिलकर कांग्रेस को सत्ता में लाने की रणनीति पर चर्चा की, लेकिन बात मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर अटकी है। कांग्रेस किसी भी नेता को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार नहीं बनाना चाहती। गत विधानसभा चुनाव में बहुमत के नजदीक पहुंचकर सत्ता से वंचित रही कांग्रेस के सारथी तब अशोक गहलोत ही थे, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भी रणनीतिक रूप से गहलोत ही मुख्य भूमिका में रहेंगे। उनके सिपहसालार गुजरात कांग्रेस प्रभारी रघु शर्मा भी धीरे-धीरे उन्हीं की रणनीति पर काम कर रहे हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस में फ्रंट फुट पर पाटीदार नेता के अभाव के चलते कांग्रेस के हाथ से बाजी फिसल गई थी, लेकिन इस बार कांग्रेस किसी दिग्गज पाटीदार नेता को पार्टी में शामिल कर यह कमी पूरा करना चाहती है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष व नेता विपक्ष के पद पर पाटीदार को रखा जाएगा या नहीं यह बात अलग है, लेकिन इस नेता की भूमिका इनसे भी ऊपर होगी।
पाटीदार वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति
कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल की प्रथम पुण्यतिथि पर शामिल होने 25 नवंबर को गुजरात के भरूच में आए राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत एक पाटीदार नेता से मुलाकात भी कर चुके है। सूत्रों की मानें तो यह मुलाकात एक निजी होटल में हुई। कांग्रेस पाटीदार नेता की सभी शर्त मानने को तैयार है, लेकिन मुख्यमंत्री पद की दावेदारी पर कांग्रेस अपने पत्ते खोलने से बचना चाह रही है। हालांकि गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर हार्दिक पटेल पहले से नियुक्त हैं, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता केवल हार्दिक के भरोसे नहीं रहना चाहते हैं। इसीलिए पहले दलित चेहरे के रूप में निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी को लिया। इसके बाद अध्यक्ष पद पर ओबीसी नेता के नाम पर सहमति जताने को कोशिश हो रही है। पाटीदार संस्थाओं से जुडे किसी पटेल नेता को पार्टी से जोड़कर सीधे पाटीदार वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति पर कांग्रेस नेता काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने गत दिनों जब यह बयान दिया था कि भाजपा मतलब पाटीदार तथा पाटीदार मतलब भाजपा है तो खोडलधाम के मुख्य ट्रस्टी नरेश पटेल ने तुरंत कह दिया था कि पाटीदार हर दल में है। मंत्री का बयान उनका निजी विचार हो सकता है।
तो फिर आंदोलन की राह चुनेंगे पाटीदार
पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़े रहे पाटीदार नेता दिनेश बामणिया बताते हैं कि कांग्रेस की चुनावी रणनीति साफ नहीं है, लेकिन पाटीदार अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं। पाटीदारों को ओबीसी के तहत आरक्षण के लिए सरकार से सर्वे की मांग करते हुए पाटीदार नेता नरेश पटेल की अगुवाई में अगले सप्ताह सरकार से मुलाकात करेंगे। इस बैठक में सरकार कोई ठोस निर्णय नहीं करती है तो बामणिया बताते हैं कि दिसंबर, 2021 में ही पाटीदार फिर आंदोलन की राह चुनेंगे। बामणिया का साफ कहना है कि नितिन पटेल ने उपमुख्यमंत्री रहते पाटीदार नेताओं से ओबीसी सर्वे तथा मुकदमें वापस लेने का भरोसा दिया था जो पूरा नहीं हुआ। आरक्षण आंदोलन के बाद कांग्रेस का दामन थामने वाले अतुल पटेल का मानना है कि सरकार में आने के लिए सभी जातियों का साथ चाहिए। आम आदमी पार्टी, एआइएमआइएम तथा कुछ संगठन खुद को किसी जाति व समुदाय के रहनुमा मानने लगते हैं, लेकिन ऐसा सही नहीं होता है। अतुल का आरोप है कि इनमें से अधिकांश सत्ताधारी दल के इशारे पर विपक्ष के मतों में बंटवारा करने के लिए मैदान में आते हैं।