पीएम मोदी ने कहा- चौबीसों घंटे किसानों की बात सुनने को सरकार तैयार, नए कृषि कानूनों से डरा रहा विपक्ष
PM Modi in Gujarat पीएम नरेंद्र मोदी गुजरात पहुंच चुके हैं यहां पहुंचकर उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े सोलर विंड पार्क का शिलान्यास किया। पीएम ने कहा यहां के मेहनती लोगों ने एक बार फिर कच्छ को दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर ला खड़ा कर दिया।
राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा कि विपक्ष किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहा है। दिल्ली के आसपास जमा हुए किसानों को साजिश के तहत गुमराह किया जा रहा है। सत्ता में रहते हुए जो लोग किसानों का भला नहीं कर सके, वे अब उन्हें गुमराह कर मुक्त बाजार का लाभ उठाने से रोकने के लिए भ्रमित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, मैं दोहराना चाहता हूं कि मेरी सरकार आपकी सभी आशंकाओं का समाधान करने के लिए 24 घंटे तैयार है।
पीएम मोदी ने कहा- गुजरात में दुग्ध और मत्स्य पालन क्षेत्र ने बिना सरकारी हस्तक्षेप के प्रगति की
अपने गृह राज्य गुजरात के एक दिवसीय दौरे के दौरान कुछ विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखने के बाद मोदी ने कहा कि किसान आंदोलन का समर्थन कर रहीं विपक्षी पार्टियां जब सत्ता में थीं तो कृषि क्षेत्र में इसी तरह के सुधारों का समर्थन कर रही थीं। उन्होंने अपनी बात पर बल देते हुए गुजरात में दो सेक्टरों के उदाहरण दिए जिन्होंने सरकारी हस्तक्षेप के बिना प्रगति की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुग्ध और मत्स्य पालन क्षेत्र ने बिना सरकारी हस्तक्षेप के प्रगति की है क्योंकि इन क्षेत्रों का कारोबार मुख्य तौर पर सहकारी क्षेत्र और किसान संभालते हैं।
मोदी ने कहा- किसानों को नए कृषि कानूनों से डरा रहे विपक्षी दल
उन्होंने कहा, 'देश के अन्य हिस्सों में भी दुग्ध उत्पादकों और सहकारी क्षेत्र ने सफल आपूर्ति श्रृंखला सृजित की है। इसी तरह फलों और सब्जियों के व्यापार पर सरकार का कोई ज्यादा नियंत्रण नहीं है। मैं ये उदाहरण इसलिए दे रहा हूं क्योंकि दिल्ली के नजदीक इस समय जो किसान इकट्ठा हैं, उन्हें भ्रमित करने के लिए साजिश की गई है।
मोदी ने कहा- किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहा विपक्ष, उन्हें गुमराह करने की हो रही साजिश
मुझे विश्वास है कि प्रगतिशील किसान उन लोगों को पराजित कर देंगे जो राजनीति कर रहे हैं, झूठ फैला रहे हैं और बंदूक चलाने के लिए किसानों के कंधों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उनके दिमाग में एक तरह का डर बैठाया जा रहा है। किसानों से कहा गया है कि अगर नए कृषि कानून लागू हुए तो उनकी जमीनों पर दूसरे लोग कब्जा कर लेंगे। मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या डेयरी मालिकों ने आपके मवेशियों को आपसे ले लिया क्योंकि आप उन्हें दूध बेच रहे हैं? क्या आपके फलों और सब्जियों की बिक्री का कांट्रैक्ट करने पर किसी ने आपकी जमीन या संपत्ति पर कब्जा किया है?'
किसानों से सिर्फ खोखले वादे किए गए
मोदी ने कहा, देश पूछ रहा है कि डेयरी सेक्टर में पशुपालकों को मिली आजादी अनाज और दालें उगाने वाले छोटे और सीमांत किसानों को उपलब्ध क्यों नहीं कराई गई। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में हाल में किए गए सुधारों की मांग काफी पुरानी थी। कई किसान संगठन लंबे समय से मांग कर रहे थे कि किसानों को उनकी उपज जहां वे चाहें वहां बेचने की आजादी दी जानी चाहिए। विपक्षी पार्टियां जब सत्ता में थीं तो इन सुधारों के पक्ष में थीं, लेकिन सत्ता में रहते हुए वे कोई फैसला लेने में नाकाम रहीं। उन्होंने किसानों से सिर्फ खोखले वादे किए। जब देश ने यह ऐतिहासिक कदम उठा लिया है तो ये लोग झूठ फैला रहे हैं।
किसानों की बेहतरी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों की बेहतरी उनकी सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। उनकी सरकार ने हमेशा कृषि लागत घटाने की दिशा में काम किया है जिससे किसानों को अपनी आय बढ़ाने के नए विकल्प मिल सकें। मोदी ने कहा कि देश के हर हिस्से के किसानों ने कृषि कानूनों का स्वागत किया है और उन पर सरकार को आशीर्वाद दिया है।
कच्छ के सिख किसानों से अलग से किया संवाद
कार्यक्रम से इतर प्रधानमंत्री ने कच्छ जिले के किसानों से संवाद भी किया। इनमें वे किसान भी शामिल हैं जो पंजाब से आकर वहां बस गए हैं। 1965 की लड़ाई के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने नागरिकों से इस बंजर इलाके में बसने का अनुरोध किया था। इसके बाद ही सिखों ने जिले की लखपत तालुका में बसना शुरू किया था। अनुमान के मुताबिक, करीब पांच हजार सिख परिवार इस तालुका और आसपास निवास करते हैं। ये किसान भारत-पाक सीमा के नजदीक के इलाकों में खेती करते हैं।
किसान नेता कृषि मंत्री से मिले
उत्तर प्रदेश से भारतीय किसान यूनियन (किसान) के सदस्यों ने मंगलवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की और उन्हें कृषि कानूनों व न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के संबंध में सुझावों के साथ एक ज्ञापन सौंपा। कृषि मंत्री से मुलाकात के बाद भाकियू (किसान) ने फिलहाल अपना विरोध प्रदर्शन खत्म करने का फैसला किया है। संगठन अभी तक उत्तर प्रदेश में जिला स्तर पर विरोध प्रदर्शन कर रहा था।