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गुजरात में ऑनलाइन शिक्षा हुई ठप, अदालत व सरकार के फैसले के बाद लिया निर्णय

Online education in Gujarat गुजरात में आज से ऑनलाइन शिक्षा को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है दरअसल सरकार व कोर्ट की ओर से फीस न लेने के आदेश के बाद ये फैसला किया गया।

By Babita kashyapEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 01:10 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 01:10 PM (IST)
गुजरात में ऑनलाइन शिक्षा हुई ठप, अदालत व सरकार के फैसले के बाद लिया निर्णय
गुजरात में ऑनलाइन शिक्षा हुई ठप, अदालत व सरकार के फैसले के बाद लिया निर्णय

अहमदाबाद, शत्रुघ्‍न शर्मा। गुजरात सरकार व उच्‍च न्‍यायालय की ओर से लॉकडाउन के दौरान निजी स्‍कूल को फीस नहीं लेने का आदेश करते ही प्रदेश की हजारों स्‍कूल ने ऑनलाइन शिक्षा को पूरी तरह बंद कर दिया। स्‍कूल संचालकों का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा मान्‍य नहीं है तो उसका अब कोई अर्थ नहीं रह जाता है। सरकार ने कहा 16 मार्च से स्‍कूल बंद हैं, जब तक स्‍कूल खुल नहीं जाते फीस नहीं ले सकते।

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 गुजरात उच्‍च न्‍यायालय में ऑल गुजरात अभिभावक मंडल सहित अन्‍य कई याचिकाएं दाखिल कर कोरोना महामारी के बीच गुजरात में निजी स्‍कूलों की ओर से चलाई जा रही ऑनलाइन क्‍लास पर नियंत्रण किए जाने तथा स्‍कूलों की ओर से मनमाने तरीके से वसूली जा रही फीस पर रोक लगाने की मांग की गई थी। अभिभावक मंडल के अध्‍यक्ष नरेश शाह का यह भी कहना है कि बच्‍चों को अधिक समय तक ऑनलाइन शिक्षा से मानसिक परेशानी पैदा हो सकती है साथ ही आंखों पर भी विपरीत असर पडता है। हाईकोर्ट ने इस पर तत्‍काल कहा था कि ऑनलाइन शिक्षा एक घंटे से अधिक नहीं कराई जाएगी। बुधवार को दिये गये अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि जब तक स्‍कूल खुल नहीं जाते तब तक निजी स्‍कूल फीस नहीं वसूल सकेंगे।

 गुजरात सरकार के शिक्षामंत्री भूपेंद्र सिंह चूडास्‍मा ने अदालत के आदेश के बाद इस संबंध में एक परिपत्र जारी कर बताया कि 16 मार्च 2020 से स्‍कूल बंद हैं तथा अभी तक स्‍कूल खोले जाने को लेकर कोई फैसला नहीं हो सका है। दो दिन पहले भी चूडास्‍मा ने कहा था कि सितंबर 2020 में शालाएं खोले जाने पर कोई चर्चा नहीं हुई है। कोरोना महामारी के दौरान स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों से सलाह लेने के बाद ही इस संबंध में कुछ फैसला करेंगे।

 चूडास्‍मा ने कहा था कि सरकार मासूम बच्‍चों के स्‍वास्‍थ्‍य के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकती है। शिक्षामंत्री ने यह भी संकेत दिया है कि इस शैक्षणिक सत्र में स्‍कूल शिक्षा का 20 से 30 फीसदी पाठ्यक्रम ही रखा जा सकता है। अदालत व सरकार के फैसले के बाद बुधवार देर रात को अखिल गुजरात शाला संचालक मंडल तथा स्‍वनिर्भर शाला संचालक महामंडल ने ऑनलाइन बैठक कर वीरवार से राज्‍य में ऑनलाइन शिक्षा ठप करने का फैसला किया है। राज्‍य में 20 हजार निजी स्‍कूल हैं जिनमें करीब 30 लाख छात्र छात्राएं पढ़ाई करते हैं। शाला संचालक मंडल के वकील आनंद याग्निक कहा कहना हैकि ऑनलाइन शिक्षा के लिए शिक्षक, कंप्‍यूटर, इंटरनेट, स्‍कूल स्‍टाफ आदि का प्रबंधन करना पड़ता है जिसकेलिए फीस जरूरी है। उधर कांग्रेस प्रवक्‍ता मनीष दोशी का मानना है कि राज्‍य सरकार को एक सत्र की फीस माफी के लिए शाला संचालकों को समझाना चाहिए था ताकि ये हालात उत्‍पन्‍न नहीं होते।

  शहर की प्रतिष्ठित उदगम स्‍कूल के संचालक मनन चौकसी का कहना है कि जब सरकार ऑनलाइन शिक्षण को मान्‍यता ही नहीं देती है तो अब उसे जारी रखने का कोई मतलब नहीं रह जाता है। सरकार ने शुल्‍क निर्धारण के लिए समिति का गठन करने के साथ परिपत्र जारी कर फीस नहीं लेने के आदेश भी जारी कर दिए, ये आपस में विरोधाभासी निर्णय है। त्रिपदा स्‍कूल के संचालक अर्चित भट्ट का कहना है कि स्‍कूल फीस नहीं लेगी तो शिक्षकों को वेतन कैसे देगी। ऑनलाइन शिक्षा व शुल्‍क को लेकर सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। ऑनलाइन को शिक्षा को मान्‍यता नहीं देना एक अयोग्‍य फैसला है।


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