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पुत्री जन्म देने पर एक युवक ने पत्नी को तीन तलाक कह दिया

पुत्री को जन्म देने पर अहमदाबाद के एक युवक ने पत्नी को तीन तलाक कह दिया। पत्नी ने अपने पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत की जिसके बाद इस मामले की जांच शुुरु की गई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 12:35 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 12:35 PM (IST)
पुत्री जन्म देने पर एक युवक ने पत्नी को तीन तलाक कह दिया
पुत्री जन्म देने पर एक युवक ने पत्नी को तीन तलाक कह दिया

अहमदाबाद, जेएनएन। पुत्री को जन्म देने पर अहमदाबाद के एक युवक ने पत्नी को तीन तलाक कह दिया। पत्नी ने अपने पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत की जिसके बाद इस मामले की जांच शुुरु की गई है।

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अहमदाबाद के शाहपुर में रहने वाले मौहम्मद अशफाक पिंजारा का विवाह दिल्ली चकला निवासी अफनान बानु शेख के साथ दो साल पहले हुआ था। विवाह की शुरुआत में दोनों के संबंध अच्छे रहे लेकिन करीब छह माह बाद ही अफनान ने एक पुत्री को जन्म दिया जिसके बाद से अशफाक उससे नाराज रहने लगा।

आए दिन अशफाक अपनी पत्नी को छोटी छोटी बात को लेकर परेशान करने लगा तथा कई बार मारपीट तक कर डालता गत मंगलवार रात को घर के काम की बात को लेकर दोनों में बहस हुई जिसके बाद अशफाक ने पत्नी के साथ बदसलूकी की था मारपीट करने लगा। उसकी मां बहू को बचाने आई तो उसको भी धक्का मारकर घर से बाहर कर दिया तथा पत्नी को तीन तलाक बोलकर घर से चले जाने को कहा।

अफनान बानु ने महिला हेल्पलाइन तथा वुमन सेल को इसकी शिकायत की जिसके बाद उन्होंने उसे शाहपुर पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कराने की सलाह दी। अफनान ने लिखा है कि पुत्री के जनम को लेकर अशफाक उससे नाराज है तथा इसी वजह से उसने उसे तलाक दे दिया। पुलिस ने आईपीसी की धारा 323 व 294 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरु कर दी है।

अहमदाबाद दंगा मामलों में गुजरात सरकार की भूमिका पर सवाल उठाने के बाद चर्चा में आए आईपीएस संजीव भट्ट आजकल अपने घर में अवैध निर्माण को लेकर चर्चा में हैं। उनहोंने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर अपनी सुरक्षा हटा लिए जाने की भी शिकायत की है।

ड्राइव इन रोड पर सुशील नगर सोसायटी में रहने वाले पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट के खिलाफ उनके पडौसी ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा था कि उन्होंने मकान में अवैध निर्माण कराया है। अदालत ने अतिरिक्त निर्माण को तोडने का आदेश महानगर पालिका को दिया लेकिन जून 2018 में दिए आदेश का पालन अभी तक नहीं किया जा सका।

इस बीच भट्ट ने हाईकोर्ट की डिविजन बेंच में इस आदेश को चुनौती दी है जिसका फैसला अभी सुरक्षित रखा गया है। उधर राज्य सरकार ने दंगा मामलों के गवाह बतौर दी ग ई सुरक्षा वापस हटा ली है, संजीव भट्ट ने अपनी व परिवार की सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को पत्र लिखकर कहा है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद सरकार ने उन्हें यह सुरक्षा प्रदान की थी। अचानक सुरक्षा हटा लेने से उनके परिवार पर हमले का खतरा बढ गया है। गुलबर्ग हत्याकांड में मुख्य गवाह होने के चलते अदालत मित्र राजू रामचंद्रन की सलाह पर कोर्ट के कहने पर ही सरकार ने उनहें यह सुरक्षा प्रदान की थी।  


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