Gujarat: इसरत केस में आरोप मुक्त करने की तीन पुलिसकर्मियों की अर्जी खारिज
Gujarat अदालत ने आइपीएस जीएल सिंघल सहित तीन पुलिस अधिकारियों की इशरत जहां फर्जी मुठभेड मामले से आरोप मुक्त करने की अर्जी खारिज कर दी है। अर्जी करने वाले पुलिस अधिकारियों में गुजरात के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट तरुण बारोट भी शामिल हैं।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Gujarat: विशेष सीबीआइ अदालत ने आइपीएस जीएल सिंघल सहित तीन पुलिस अधिकारियों की इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले से आरोप मुक्त करने की अर्जी खारिज कर दी है। अर्जी करने वाले पुलिस अधिकारियों में गुजरात के एनकाउंटर स्पेशलिस्ट तरुण बारोट भी शामिल हैं। आइपीएस जीएल सिंघल, तरुण बारोट व सेवानिवृत्त पुलिस उपाधीक्षक तथा पुलिस उपनिरीक्षक अननु चौधरी ने सीबीआइ की विशेष अदालत के जज वीआर रावल के समक्ष जून, 2004 में एक फर्जी मुठभेड़ में मारी गई इशरत जहां के मामले से आरोप मुक्त करने की अर्जी दी थी। पुलिस उपाधीक्षक जेजी परमार ने अलग से आरोप मुक्त होने की अर्जी दी थी, लेकिन कुछ समय पहले ही उनकी मौत हो गई।
इशरत जहां मुंबई की कॉलेज छात्रा थी। वह अपने मित्र जावेद व दो अन्य पुरुष मित्रों के साथ अहमदाबाद के कोतरपुर इलाके में गुजरात पुलिस की एक फर्जी मुठभेड में मार दी गई। गुजरात सरकार ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत ही सरकारी लोकसेवकों के खिलाफ मुठभेड का मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी। गौरतलब है कि वरिष्ठ आइपीएस डीजी वंजारा तथा आइपीएस एनके अमीन के खिलाफ जांच की मांग को राज्य सरकार ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद वे पिछले साल ही आरोप मुक्त कर दिए गए थे तथा राज्य के पुर्व पुलिस महानिदेशक पीपी पांडे को विशेष अदालत ने आरोपों से मुक्त कर दिया था। इशरत व उसके तीन साथी पर आरोप था कि वे गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री पीएम नरेंद्र मोदी की हत्या के इरादे से गुजरात आए थे।
प्रकाश शाह गुजराती साहित्य परिषद के अध्यक्ष बने
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश शाह गुजराती साहित्य परिषद के अध्यक्ष चुने गए हैं। वर्ष 1919 में महात्मा गांधी इस परिषद के अध्यक्ष पद का चुनाव हार गए थे। शुक्रवार को अहमदाबाद के आश्रम रोड पर स्थित गुजराती साहित्य परिषद के चुनाव आयोजित हुए। इसमें वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश शाह ने 562 मत हासिल किए, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी हर्षद त्रिवेदी को 533 मत मिले। तीसरे प्रत्याशी हरिक्रष्णा पाठक 197 मत प्राप्त कर सके। शाह गुजराती पाक्षिक पत्रिका निरीक्षक के संपादक हैं। सितंबर, 1919 में महात्मा गांधी ने इसी साहित्य परिषद के अध्यक्ष का चुनाव लडा था, लेकिन वे सात मत से चुनाव हार गए थे।