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14 माह की बालिका से दुुष्कर्म मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दोषी को 20 वर्ष के कारावास की सजा

गुजरात के साबरकांठा जिले के ढूंढर गांव में 14 माह की बालिका के साथ दुुष्कर्म के मामले में फास्ट ट्रेक कोर्ट ने दोषी को 20 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 01 Mar 2019 11:11 AM (IST)Updated: Fri, 01 Mar 2019 11:11 AM (IST)
14 माह की बालिका से दुुष्कर्म मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दोषी को 20 वर्ष के कारावास की सजा
14 माह की बालिका से दुुष्कर्म मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दोषी को 20 वर्ष के कारावास की सजा

अहमदाबाद, जेएनएन। गुजरात के साबरकांठा जिले के ढूंढर गांव में 14 माह की बालिका के साथ दुुष्कर्म के मामले में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दोषी को 20 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। इसी घटना के बाद गुजरात में उत्तर भारतीयों के खिलाफ गुस्सा फूट पडा था। 

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हिम्मतनगर की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने गुरुवार को दुुष्कर्म के दोषी 20 वर्ष के रविन्द्र उर्फ गान्डे को आईपीसी की धारा 376 ए, बी और 447 के तहत दुुष्कर्म और पोस्को अधिनियम की धारा 4, 5 के तहत दोषी मानते हुए 20 साल के कारावास की सजा सुनाई। रवींद्र बिहार के छपरा जिले का रहने वाला है। विशेष न्यायाधीश के. बी. गुजराती ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस तरह की घटना की समाज में पुनरावृत्ति नहीं हो इसलिए कठोर सजा आवश्यक है। सरकारी वकील ने दोषी के लिए फांसी की सजा की मांग की थी। अब वह इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।

गौरतलब है कि गत 28 सितंबर को उत्तर गुजरात के साबरकांठा जिले में हिम्मतनगर तहसील के ढूंढर गांव में रात को सो रही मासूम बालिका को अपनी हवस का शिकार बनाया था। इस घटना का पता चलते ही आसपास के लोग एकत्र हो गए और गुस्से में भारी तोड़फोड़  की थी। इस घटना के बाद ही राज्यभर में काम करने वाले बिहार, यूपी सहित अन्य हिंंदी भाषी राज्यों के श्रमिकों व लोगों को गुजरात से भगाने के लिए एक बड़ा आंदोलन चलाया जिसके चलते मामला राष्ट्रीय स्तर पर गूंजा था।

इस मामले के लिए विशेष सरकारी वकील के रूप में रश्मिकांत पंड्या और बचाव पक्ष के वकील के रूप में गुजरात हाईकोर्ट के लीगल सेल की ओर से योगेश रावल की नियुक्ति की गई थी। स्थानीय पुलिस ने भी घटना की जांच एक माह में पूरी कर 98 पेज का आरोपपत्र अदालत में पेश कर दिया था। त्वरित सुनवाई कर अदालत ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया।  


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