Move to Jagran APP

Nal Se Jal: 200 मंजिला इमारत जैसे ऊंचे दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में आदिवासियों तक पहुंचाया नल से जल

Har Ghar Nal Se Jal Yojana दक्षिण गुजरात में लगभग 200 मंजिल की इमारत जितनी ऊंची पहाड़ी में बसे गांवों तक नल से पहुंचा पेयजल। 170 से अधिक गांवों व 1000 से अधिक बस्तियों के साढ़े चार लाख लोगों को पहली बार घर बैठे मिलेगा शुद्ध जल।

By Amit SinghEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 01:55 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 01:55 PM (IST)
Nal Se Jal: 200 मंजिला इमारत जैसे ऊंचे दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में आदिवासियों तक पहुंचाया नल से जल
Har Ghar Nal Se Jal: दमन गंगा नदी पर बने मधुबन डैम से होती है जलापूर्ति। फोटो सौजन्य - ट्विटर

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। जहां चाह, वहां राह। इसी मंत्र को चरितार्थ करते हुए केंद्र और गुजरात सरकार ने दुर्गम पहाड़ी और घने जंगल वाले क्षेत्र में नल से जल पहुंचाने का अत्यंत कठिन कार्य कर दिखाया है। संकल्प संग कल्पनाशक्ति का संगम हुआ तो देश में जल संकट वाले क्षेत्रों में शुमार किए जाने वाले दक्षिण गुजरात में सुखद परिणाम सामने आया है। पीएम ने इसे विश्व के चुनिंदा इंजीनियरिंग चमत्कारों में से एक बताया था।

loksabha election banner

साढ़े चार लाख लोगों को राहत

दक्षिणी गुजरात के वलसाड जिले में धरमपुर व कपराडा क्षेत्र के पहाड़ी एवं दुर्गम क्षेत्रों में बसे लगभग साढ़े चार लाख लोगों तक पेयजल पहुंचाने के लिए लगभग 590 करोड़ रुपये का एस्टाल वाटर प्रोजेक्ट पूरा हो गया है। आधुनिक इंजीनियरिंग का यह एक सशक्त उदाहरण तो है ही, साथ ही दुर्गम क्षेत्रों में बसे एक-एक व्यक्ति तक नल से जल पहुंचाने की सरकार की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है। इस परियोजना में जहां सबसे अधिक ऊंचाई पर जल पहुंचा है, वहां एक गांव है ववार। यहां लगभग 200 घर हैं। सरकार की हर नागरिक के लिए प्रतिबद्धता का उल्लेख करते हुए पीएम ने इस गांव और परियोजना का जिक्र भी किया था।

614 मीटर ऊंचाई तक आपूर्ति

गुजरात के जलापूर्ति मंत्री ऋषिकेश पटेल बताते हैं कि यह प्रोजेक्ट इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना है। धरमपुर एवं कपराडा तहसील में पहाड़ियों पर बसी करीब 1,000 बस्तियों तक पेयजल पहुंचाने के लिए जमीन से 614 मीटर ऊंचाई तक पंप करके पानी को पहुंचाया गया। इंजीनियर बताते हैं कि कई चरणों में जल पहुंचाने के लिए अलग-अलग प्वाइंट तय किए। पूरी प्रक्रिया को समझें तो ये प्वाइंट क्रमश: 138 मीटर, 165 मीटर, 479 मीटर, 495 मीटर, 540 मीटर तथा आखिर में 614 मीटर पर हैं। जहां क्रमवार पानी पहुंचाया जाता है।

इस दुर्गम क्षेत्र में पीएम भी रहे

पीएम मोदी ने अगस्त 2018 में इस योजना का शिलान्यास किया था। 10 जून 2022 को ही इसका उद्घाटन भी प्रधानमंत्री ने ही किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर बताया कि वह इस पहाड़ी व दुर्गम क्षेत्र में रह चुके हैं। सेवा कार्य के लिए इन क्षेत्रों में कई वर्ष भ्रमण किया है। यहां खूब वर्षा होती है लेकिन पानी बह जाता है।

इसलिए है इंजीनियरिंग का चमत्कार

1. यह दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र होने के साथ ही अत्यंत घने जंगलों से भी घिरा है। यहां पाइपलाइन बिछाना बहुत कठिन कार्य था।

2. इस क्षेत्र की संरचना ऐसी है कि न यहां वर्षा जल का संरक्षण संभव है और न ही भूजल का प्रयोग हो सकता है।

3. आदिवासियों के घर तक पानी पहुंचे दमन गंगा पर बने मधुबन डैम से पानी लिया जाएगा। अभी तक यह सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाता था।

4. पानी शुद्ध करने के लिए पहाड़ी पर सात करोड़ लीटर क्षमता के दो वाटर फिल्टर प्लांट बनाए गए हैं। 81 किलोमीटर लंबी पं¨पग लाइन भी बिछाई गई है।

5. इतनी ऊंचाई तक पानी ले जाने के लिए पहाड़ी के बीच 45 डिग्री तक की ढलान व चढ़ाई में पानी को रोलर कोस्टर की तरह घुमाते हुए पहुंचाया गया।

6. जल संग्रह के लिए पहाड़ी क्षेत्र में छह ऊंची टंकियां, 28 भूमिगत टंकियां और गांवों व बस्तियों में सतह पर 1,200 से अधिक टंकियों का निर्माण किया गया है।

7. कपराडा तहसील के 124 गांव, धरमपुर के 50 गांव और 1,028 छोटी बस्तियों के लगभग साढ़े चार लाख लोगों को मिलेगा प्रतिदिन साढ़े सात करोड़ लीटर पानी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.