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Gujarat: फीस तय करने की सरकार के पास पूर्ण सत्‍ता: हाईकोर्ट

Gujarat High Court निजी विद्यालयों की फीस को लेकर चल रहे विवाद के बीच गुजरात उच्‍च न्‍यायालय ने कहा कि फीस तय करने की सरकार के पास पूर्ण सत्‍ता है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 08:52 PM (IST)Updated: Fri, 18 Sep 2020 08:52 PM (IST)
Gujarat: फीस तय करने की सरकार के पास पूर्ण सत्‍ता: हाईकोर्ट
Gujarat: फीस तय करने की सरकार के पास पूर्ण सत्‍ता: हाईकोर्ट

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Gujarat High Court: कोरोना महामारी के दौरान निजी विद्यालयों की फीस को लेकर चल रहे विवाद के बीच गुजरात उच्‍च न्‍यायालय ने कहा कि फीस तय करने की सरकार के पास पूर्ण सत्‍ता है। सरकार अदालत को बीच में क्‍यों ला रही है। 25 फीसद फीस घटाने के फैसले को स्‍कूल संचालकों के मानने से इनकार करने के बाद सरकार ने हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी। मुख्‍य न्‍यायाधीश विक्रम नाथ व न्‍यायाधीश जेबी पारडीवाला की खंडपीठ ने गुजरात सरकार की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि महामारी एक्‍ट व आपदा प्रबंधन एक्‍ट के आधार पर निजी स्‍कूल की फीस तय करने का सरकार को पूर्ण अधिकार है। उसे अपनी सत्‍ता का उपयोग करते हुए कोरोना महामारी के काल में स्कूल शुल्‍क का निर्धारण करना चाहिए।

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हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में स्‍वतंत्र निर्णय करने के बजाए अदालत को मध्‍यस्‍थ बनाना दुखद है।

शिक्षामंत्री भूपेंद्र सिंह चूडास्‍मा ने कहा कि अगस्‍त, 2020 में सरकार ने निजी स्‍कूल संचालकों से प्रत्‍यक्ष व ऑनलाइन बैठक की, लेकिन सरकार के 25 फीसद स्‍कूल फीस घटाने के फैसले को उन्‍होंने अस्‍वीकार कर दिया। इसके बाद सरकार ने अदालत में अर्जी दाखिल कर शुल्‍क निर्धारण पर फैसला करने की गुहार लगाई थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर अब मुख्‍यमंत्री विजय रूपाणी तथा उपमुख्‍यमंत्री नितिन पटेल से चर्चा कर स्‍कूल फीस का निर्धारण करेंगे।

अभिभावक संघ के वकील विशाल दवे का कहना है कि 25 प्रतिशत शिक्षण शुल्‍क की कटौती पर अभिभावक सहमत हैं, लेकिन फेडरेशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस्ड स्‍कूल का कहना है कि सरकार सीधे 25 फीसद फीस घटाना चाहती है, जबकि निजी सकूल अपने यहां पढ़ने वाले छात्र व छात्राओं के अभिभावकों की आर्थिक स्थिति के आधार पर इससे अधिक शुल्‍क माफ करने को तैयार है। निजी शाला संचालक मंडल के अध्‍यक्ष अजय पटेल का कहना है कि वे अभिभावकों को उनकी आर्थिक स्थिति के आधार पर 25 से 100 फीसद तक राहत देने को तैयार हैं, लेकिन जरूरतमंद को ही।


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