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Gujarat: मिड डे मील को लेकर हाइकोर्ट का नोटिस, मार्च के बाद से नहीं मिल रहा बच्‍चों का खाना

Mid-Day Meal Scheme गुजरात में मार्च से 52 लाख बच्चों को मध्यान्ह भोजन नहीं मिल रहा है जिसे लेकर हाइकोर्ट ने राज्‍य सरकार को नोटिस जारी किया है। न्यायालय में जल्द ही इस पर अगली सुनवाई शुरु होगी।

By Babita kashyapEdited By: Published: Sun, 20 Dec 2020 06:28 PM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2020 06:28 PM (IST)
Gujarat: मिड डे मील को लेकर हाइकोर्ट का नोटिस, मार्च के बाद से नहीं मिल रहा बच्‍चों का खाना
गुजरात में मार्च से 52 लाख बच्चों को मिड डे मील नहीं मिल रहा है

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। मध्यान्ह भोजन योजना (Mid Day Meal) को लेकर गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat High Court) ने राज्य सरकार को नोटिस दिया है। मार्च महीने के बाद से 52 लाख बच्चों को मध्यान्ह भोजन उपलब्ध नहीं हो रहा है। गुजरात उच्च न्यायालय ने स्वत संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से मध्यान भोजन योजना के बारे में जानकारी मांगी है। मार्च महीने के बाद से राज्य सरकार बच्चों को मध्यान्ह भोजन उपलब्ध नहीं करा रही है और ना ही उनको राशन अथवा फूड कूपन जारी किए गए। 

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 गुजरात उच्च न्यायालय ने इस मामले में स्वत संज्ञान लिया है। राज्य के अभिभावकों से किए गए एक सर्वे में 85 प्रतिशत अभिभावकों ने बताया कि मार्च के बाद से बच्चों को मध्यान्ह भोजन योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। मार्च के महीने में भी केवल 30 फ़ीसदी बच्चों ने ही इसका लाभ लिया था। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर इस संबंध में जानकारी मांगी है, न्यायालय में जल्द ही इस पर अगली सुनवाई शुरु होगी। 

 गुजरात कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मनीष दोषी ने गत दिनों यह मुद्दा उठाया था की गरीब व सामान्य वर्ग के 52 लाख बच्चे जिन्हें मध्यान्ह भोजन योजना के तहत लाभ मिल रहा था मार्च के बाद से वह नहीं मिल पा रहा है। सरकार ने इन बच्चों को राशन या फूड कूपन भी उपलब्ध नहीं कराए। मनीष दोषी का कहना है कि आदिवासी इलाकों के बच्चों को सरकार की ओर से दूध का वितरण किया जाता था वह भी कोरोना महामारी के दौरान पूरी तरह बंद है। 

 अहमदाबाद सूरत राजकोट सहित राज्य के अन्य कई शहरों में व गांव में मध्यान्ह भोजन योजना के तहत करीब 52 लाख बच्चों को पौष्टिक खाना उपलब्ध कराया जा रहा था लेकिन कोरोना महामारी के दौरान इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया। कांग्रेस का आरोप है कि सरकार की ओर से आदिवासी इलाकों के बच्चों को दूध का वितरण किया जाता था वह भी पूरी तरह बंद है। गौरतलब है कि कक्षा एक से आठवीं तक के बच्चों को 100 ग्राम तथा पांचवी से दसवीं तक के बच्चों को डेढ़ सौ ग्राम अनाज तथा प्रति छात्र साढे 4 रुपये कुकिंग शुल्क दिया जाता था जो पिछले 9 महीने से पूरी तरह बंद है


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