Move to Jagran APP

बेटी पढ़ाओं में गुजरात पीछे, 60 प्रतिशत लड़कियां कक्षा10 के बाद छोड़ देती हैं स्कूल

देश में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान जारी है। किन्तु आज गुजरात में कन्या शिक्षा की दर में कमी आ गयी है।गुजरात प्रदेश कांग्रेस ने दावा किया है कि राज्य में शिक्षा का स्तर घटता जा रहा

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 06 Nov 2019 10:28 AM (IST)Updated: Wed, 06 Nov 2019 10:28 AM (IST)
बेटी पढ़ाओं में गुजरात पीछे, 60 प्रतिशत लड़कियां कक्षा10 के बाद छोड़ देती हैं स्कूल
बेटी पढ़ाओं में गुजरात पीछे, 60 प्रतिशत लड़कियां कक्षा10 के बाद छोड़ देती हैं स्कूल

अहमदाबाद। देश में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का अभियान जारी है। यह नारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिया है। गुजरात में अपने मुख्यमंत्रित्व में उन्होंने प्रवेशोत्सव के माध्यम से राज्य का भम्रण कर कन्या शिक्षा पर विशेष बल दिया था। किन्तु आज गुजरात में कन्या शिक्षा की दर में कमी आ गयी है। एक रिपोर्ट के अनुसार कक्षा 10 के बाद 10 में से 6 लड़किया पढ़ाई छोड़ देती है इससे स्पष्ट है कि 100 में से 60 लड़कियां उच्च शिक्षा ही नहीं लेती।

gujarat banner

गुजरात प्रदेश कांग्रेस ने दावा किया है कि राज्य में शिक्षा का स्तर घटता जा रहा है। वहीं नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019 में कहा गया है कि एज्यूकेशन स्टेटेस्टिकस में केवल 43 प्रतिशत बच्चे ही कक्षा 11 तक पढ़ाई जारी रखते हैं। कक्षा 11 तक 59 प्रतिशत लड़कियां पढ़ाई छोड़ देती हैं। वहीं गुजरात में प्रति 10 में छह लड़कियां कक्षा 10 के बाद पढ़ाई छोड़ देती हैं।

रिपोर्ट का हवाला देते हुए गुजरात कांग्रेस ने कहा है कि शिक्षा में सुधार की गुजरात सरकार के दावे खोखले साबित हुए हैं। राज्य सरकार के बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ की घोषणा के बाद भी लड़कियों को ड्रापआउट अनुपात बढ़ गया है। राज्य सरकार कक्षा एक में 97.11 प्रतिशत प्रवेश का दावा करती है किन्तु कक्षा नौ से 11 तक पहुँचते-पहुँचते हालात चितांजनक हो जाती है। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल रिपोर्ट के अनुसार 41.5 प्रतिशत लड़कियां कक्षा 11 तक पहुँच पाती हैं। राज्य में लड़कियों के हायर सेकन्डरी की पढ़ाई की तुलना में गुजरात बिहार से भी पीछे हैं।

कांग्रेस का दावा है कि राज्य में लड़कियों के पढ़ाई छोड़ने के कारण आर्थिक और सामाजिक ही मंहगी शिक्षा भी इसके लिए जिम्मेदार है। ग्रामीण क्षेत्रों में सेकण्डरी और हायरसेकण्डरी की पाठशालाएं भी बहुत कम हैं। इसके कारण मां-बाप लड़कियों को तहसील तक पढ़ाई के लिए नहीं भेजते। राज्य सरकार ड्रायआउट में कमी आने का दावा कर रही हैं इस रिपोर्ट से उसकी पोल खुल गई हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.