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गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री अध्यक्ष शंकर सिंह वाघेला ने किसान आंदोलन के समर्थन में दिया बयान

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रजाशक्ति पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष शंकर सिंह वाघेला दे किसान आंदोलन के समर्थन में बयान जारी करते हुए कहा है कि अटल बिहारी वाजपेई की जयंती तक मांगे नहीं मानी तो वे राजघाट पर जाकर अनशन पर बैठ जाएंगे।

By Pooja SinghEdited By: Published: Mon, 21 Dec 2020 04:52 PM (IST)Updated: Mon, 21 Dec 2020 04:52 PM (IST)
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री अध्यक्ष शंकर सिंह वाघेला ने किसान आंदोलन के समर्थन में दिया बयान
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री अध्यक्ष शंकर सिंह वाघेला ने किसान आंदोलन के समर्थन में दिया बयान

अहमदाबाद, ब्यूरो।  गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रजाशक्ति पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष शंकर सिंह वाघेला दे किसान आंदोलन के समर्थन में बयान जारी करते हुए कहा है कि अटल बिहारी वाजपेई की जयंती तक मांगे नहीं मानी तो वे राजघाट पर जाकर अनशन पर बैठ जाएंगे। 

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वाघेला ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों को देश विरोधी वामपंथी तथा पाकिस्तान में चाइना के एजेंट बताने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहां है कि सरकार को अपनी हठधर्मिता को छोड़कर आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को सवा सवा करोड़ रुपए के मुआवजा दिलाने के साथ तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। 

शंकर सिंह वाघेला ने आज केंद्र सरकार के तीन काले कृषि कानून के विरोध में दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन करते समय शहीद हुए किसानों की श्रद्धांजलि सभा के मौके पर वीडियो संदेश जारी करके शहीदों को नमन किया और परिवार को सांत्वना दी है। 

वाघेला ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को शहीद परिवारों को मुआवजा देने की भी बात की है। उन्होंने दिल्ली सरकार की नीति के तहत शहीद परिवारों को एक करोड़ और केंद्र सरकार द्वारा कम से कम 25 लाख की राशि दी जाने की मांग की है। कॉर्पोरेट सरकार के अहंकार के सामने देश का किसान इस भयंकर ठंड में भी रास्तों पर डटकर खड़ा है तब उनकी मांगे मानने को लेकर शंकरसिंह ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है की अगर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी  की जन्मतिथि 25 दिसंबर तक सरकार ने किसानों की मांग नहीं मानी तो वे राजघाट जाकर अनिश्चितकाल के लिए अनशन पर बैठेंगे। 

भाजपा के लोगो द्वारा किसानों को आतंकवादी और देशद्रोही जैसे शब्द कहे जाने पर बापू ने आपत्ति जताई है और इस ओछी हरकत की कड़ी निन्दा भी की है। बापू ने भाजपा को याद दिलाते हुए कहा है की जो मांग भाजपा विपक्ष में रहकर कर रही थी वही मांग आज किसान कर रहे है तो सरकार को यह मांग मानने में दिक्कत क्या है?

नए कृषि कानून के तहत सरकार कृषि को कोर्पोरेट के हवाले करना चाहती है जिससे ना सिर्फ किसानों को लेकिन देश के सामान्य लोगों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। जिस हड़बड़ी में सरकार ऑर्डिनेंस लाई और जिस तरह बिना चर्चा के इस को पारित किया गया वह सरकार की नीयत स्पष्ट करता है। अब या तो ये काले कानून रहेंगे, या देश का अन्नदाता बचेगा। सरकार सोचे उन्हें पूंजीपतियों के लिए कानून बचाना है या देश के अन्नदाता को बचाना है।


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