Gujarat: शराबबंदी पर शंकर सिंह वाघेला व उम्मेद सिंह चम्पावत में मतभेद
liquor ban. शंकर सिंह वा वाघेला जहां गुजरात में शराबबंदी खोलना का दबाव डाल रहे हैं वहीं उम्मेद सिंह चम्पावत राजस्थान में शराबबंदी चाहते हैं।
शत्रुघ्न शर्मा, अहमदाबाद। liquor ban. गुजरात व राजस्थान में दो विरोधी दल भाजपा व कांग्रेस की सरकार होने से शराबबंदी का मुद्दा पिछले लंबे समय से जोर शोर से उठ रहा है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत व गुजरात के सीएम विजय रूपाणी इस मुद्दे पर लंबी बहस कर चुके हैं। अब दोनों राज्यों के एनसीपी अध्यक्ष शंकर सिंह वाघेला व उम्मेद सिंह चंपावत आमने-सामने हैं। वाघेला जहां गुजरात में शराबबंदी खोलना का दबाव डाल रहे हैं, वहीं चम्पावत राजस्थान में शराबबंदी चाहते हैं।
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शंकर सिंह वाघेला का दावा है कि शराबबंदी के चलते राज्य को हजारों करोड का राजस्व घाटा हो रहा है, इसलिए वे राज्य में शराबबंदी को समाप्त कर आदिवासी जिलों में बनने वाले बीयर जैसी महुडा शराब व अंग्रेजी शराब की बिक्री को खोलने के पक्षधर हैं। वाघेला इस मुद्दे पर गुजरात में जनमत भी कराने वाले हैं। वाघेला का दावा है कि उनकी सरकार आई तो युवाओं को शराब पीने के लिए आबू, दमण, दीव व गोवा नहीं जाना पड़ेगा।
लेकिन राकांपा के ही राजस्थान अध्यक्ष उम्मेद सिंह चम्पावत इससे उलट राजस्थान में शराबबंदी लागू कराना चाहते हैं, ताकि महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों को रोका जा सके, युवाओं को बर्बाद होने से बचाया जा सके। चम्पावत का मानना है कि जब अमेरिका जैसे देश में शराब की बोतल को खुले में लेकर घूमनेपर प्रतिबंध है ओर बैग या थैली में रखकर ही बेचा जाता है लेकिन राजस्थान में तो सार्वजनिक स्थलों व मुख्य बाजार में शराब की दुकान के सामने ही खुले में पीते नजर आते हैं। सभ्य समाज के लिए यह स्िथति ठीक नहीं है, उनका मानना है कि शराब पीने वालों को गुजरात की तरह मेडिकल परमिट जारी किया जाए तथा खुले में पीने व पीकर घूमने पर भी रोक लगाई जाए।
एक ही राष्ट्रीय पार्टी के दो प्रदेश प्रमुखों के ये बयान चौंकाने वाले हैं। चूंकि राकांपा गांधीवादी विचारों से प्रेरित पार्टी है ओर गाहे-बगाहे इसके नेता इसका जिक्र भी करते हैं। गत वर्ष शराबबंदी के मुद्दे पर सीएम विजय रूपाणी व सीएम अशोक गहलोत भी भिड़ चुके हैं। राजस्थान में शराबबंदी की रूपाणी की चुनौती के बाद गहलोत ने बिहार में शराबबंदी के मॉडल की स्टडी के लिए एक टीम भी भेजी थी।