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कोर्ट की अवमानना मामले में दोषी वरिष्‍ठ वकील यतिन ओझा पर 2 हजार रुपए का जुर्माना

हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्‍यक्ष एवं वरिष्‍ठ वकील यतिन ओझा (Yatin Ojha) ने अदालत की अवमानना मामले में बिना शर्त माफी मांगने के आग्रह को भी ठुकरा दिया था जिस पर गुजरात हाइकोर्ट (Gujarat Highcourt) ने उन पर 2000 रुपये का जुर्माना लगाया है ।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 09:21 AM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 02:43 PM (IST)
कोर्ट की अवमानना मामले में दोषी वरिष्‍ठ वकील यतिन ओझा पर 2 हजार रुपए का जुर्माना
गुजरात हाईकोर्ट में वरिष्‍ठ वकील यतिन ओझा की सजा पर फैसला आज

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। अदालत की अवमानना के मामले में गुजरात हाई कोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष यतिन ओझा को 2 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। गौरतलब है कि अवमानना मामले में ही विगत दिनों वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने 1 रुपये का जुर्माना लगाया था।

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गौरतलब है कि गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat Highcourt) ने हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्‍यक्ष एवं वरिष्‍ठ वकील यतिन ओझा (Yatin Ojha) को कोर्ट की अवमानना का दोषी माना गया था, उनकी सजा पर फैसला बुधवार को फैसला होना था। गुजरात उच्च न्यायालय की न्यायाधीश सोनिया गोकानी व न्यायाधीश एनवी अंजारिया की खंडपीठ ने वरिष्ठ वकील यतिन ओझा की ओर से अदालत की अवमानना मामले में बिना शर्त माफी मांगने के आग्रह को भी ठुकरा दिया था। 

 हाईकोर्ट ने कहा कि ओझा ने आवेश में आकर अदालत की अवमानना की हो ऐसा नहीं लगता। ओझा ने अन्य साथी वकीलों को भी आमंत्रित किया तथा 5 जून 20 को करीब 30 घंटे पहले पत्रकारों को भी सूचित कर प्रेस वार्ता का आयोजन किया था। हाई कोर्ट का यह भी मानना है कि ओझा ने अपने वक्तव्य में यहां तक कहा कि उन्हें अदालत की अवमानना का कोई डर नहीं है। सुनवाई के दौरान ओझा ने खंडपीठ के समक्ष बिना शर्त माफी मांगने की बात कही लेकिन अदालत ने यह कहते हुए ठुकरा दिया कि ओझा का माफीनामा कागज पर लिखे केवल शब्दों जैसा है। 

18 जुलाई को ही हाईकोर्ट ने ओझा का माफीनामा ठुकरा दिया था। अदालत ने बड़े ही सख्त लहजे में कहा था कि 

 एडवोकेट ओझा के लिए माफी अपने गलत व्यवहार को छिपाने का महज एक साधन है। हाईकोर्ट ने ओझा के वरिष्ठ वकील के ओहदे को समाप्त कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने ओझा के माफी मांगने पर उनका वरिष्ठ वकील होने के अधिकार को बहाल करने पर सहमति जता दी लेकिन हाई कोर्ट इस मामले में उन्‍हें दोषी माना है। गौरतलब है कि उच्‍चतम न्‍यायालय ने ओझा को इस मामले में राहत देदी थी लेकिन हाईकोर्ट ने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया है।


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