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कांग्रेस ने उठाई बैलट से चुनाव कराने की मांग, गांधीनगर में हार का ठीकरा EVM पर फोड़ा

Gandhinagar Nagar Nigam गांधीनगर महानगर पालिका में हार के बाद कांग्रेस ने हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ते हुए बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग उठायी है। हार का कांग्रेस व आप को गहरा सदमा। इन दोनों दलों के युवा नेताओं की धार कमजोर नजर आई।

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 09:02 AM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 09:04 AM (IST)
कांग्रेस ने उठाई बैलट से चुनाव कराने की मांग, गांधीनगर में हार का ठीकरा EVM पर फोड़ा
धीनगर महानगर पालिका में हार का कांग्रेस व आप को गहरा सदमा लगा है

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गांधीनगर महानगर पालिका में हार का कांग्रेस व आप को गहरा सदमा लगा है। बुधवार को कांग्रेस व आप कार्यालय में चुनाव परिणाम को लेकर दिनभर मंथन चला। राकांपा के बाद अब आप भी कांग्रेस के गले की घंटी बन गई है। नेता विपक्ष परेश धनाणी ने गांधीनगर महानगर पालिका के चुनाव परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस को हराने का हथियार है आम आदमी पार्टी। भाजपा की रणनीति के आगे इन दोनों दलों के युवा नेताओं की धार कमजोर नजर आई। कांग्रेस ने गांधीनगर में बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग भी उठायी है।

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भाजपा ने इस चुनाव को बनाया नाक की लड़ाई

गुजरात में भाजपा ने हाल ही मुख्‍यमंत्री समेत पूरे मंत्रिमंडल का चेहरा बदल दिया, चुनाव परिणाम पर उसका सकारात्‍मक असर नजर आया। मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र पटेल व प्रदेश भाजपा अध्‍यक्ष सी आर पाटिल की जोड़ी ने अपनी इस कसौटी को सफलतापूर्वक पार कर लिया। दोनों नेताओं पर इस चुनाव में भारी मानसिक दबाव था, गांधीनगर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का संसदीय क्षेत्र होने के कारण भाजपा ने इस चुनाव को नाक की लड़ाई बना लिया था। कांग्रेस व आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगाई लेकिन चुनाव परिणाम उनकी अपेक्षा से परे रहे।

44 में से 41 सीट पर भाजपा का कब्‍जा

महानगर पालिका की 44 में से 41 सीट पर भाजपा ने कब्‍जा जमा लिया, उसे इस चुनाव में सबसे अधिक 46,39 फीसदी मत मिले जबकि कांग्रेस को 27,99 व आप को 21,72 प्रतिशत मत मिले। परिणाम घोषित होने के बाद गांधीनगर में 1 सीट जीतने वाली आप ने विजय जुलूस निकाला लेकिन 2 सीट जीतने के बावजूद कांग्रेस कार्यालय पर मातम छाया रहा। नेता विपक्ष परेश धनाणी कहते हैं कि भाजपा को 47 फीसदी मत मिले जबकि उसके विपक्ष में कांग्रेस व आप के मत प्रतिशत को जोड दें तो वह 50 के करीब हैं। महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्‍या, अपराध, भ्रष्‍टाचार, पेट्रोल-डीजल व गैस के बढते दाम, अपराध, आत्‍महत्‍या व दूष्‍कर्म की घटनाओं के बावजूद सत्‍तापक्ष ने विपक्ष को दो भागों में बांटकर जीत हासिल कर ली।

बैलट पेपर से हो दोबारा मतदान

प्रदेश की जनता को चेताते हुए नेता विपक्ष ने कहा कि आप और कांग्रेस को हराने का भाजपा का हथियार है। कांग्रेस को 2,3,4 व 11 नंबर वार्ड में 18 से 23 हजार के बीच मत मिले लेकिन आप के मैदान में आने से उसके वोट कट गये और भाजपा बाजी मार ले गई। गौरतलब है कि कांग्रेस इससे पहले एनसीपी के लिए भी ऐसा ही कहती आई है। गांधीनगर से ही कांग्रेस विधायक सी जे चावडा ने कांग्रेस की हार का दोष ईवीएम पर मंढा है, उनका कहना है कि उनके परिवार व वार्ड के मत कांग्रेस को गये लेकिन वह भी भाजपा के खाते में चले गये। ईवीएम से चुनाव पर सवाल उठाते हुए चावडा ने कहा कि गांधीनगर के यह चुनाव रद कराकर बैलट पेपर से दोबारा मतदान कराना चाहिए।

राहुल के दूत बनकर मेवाणी गुजरात पहुंचे

राहुल गांधी के दूत बनकर बुधवार को गुजरात पहुंचे विधायक जिग्‍नेश मेवाणी का पार्टी कार्यकर्ताओं ने एयरपोर्ट से लेकर पार्टी कार्यालय तक जोरदार स्‍वागत किया। पार्टी के कार्यकारी अध्‍यक्ष हार्दिक पटेल ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के मुख्‍य दरवाजे पर आकर जिग्‍नेश की अगवानी की। जिग्‍नेश का पार्टी में स्‍वागत करने के लिए अध्‍यक्ष अमित चावडा, पूर्व अध्‍यक्ष भरतसिंह सोलंकी, विधायक ग्‍यासुद्दीदीन शेख, विधायक इमरान खेडावाडा, विधानसभा में पार्टी के मुख्‍य सचेतक शैलेष परमार आदि नेता भी मौजूद रहे। कांग्रेस में एक दो दिन में प्रदेश प्रभारी की नियुक्ति होगी लेकिन गांधीनगर मनपा चुनाव परिणाम ने युवा नेताओं का जायका बिगाड दिया। मेवाणी विचारधारा के आधार पर कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं लेकिन पार्टी की औपचारिक सदस्‍यता अभी बाकी है।

कांग्रेस के समर्थन से ही वे गत चुनाव में निर्दलीय उम्‍मीदवार के रूप में चुनाव जीते थे। पार्टी के वरिष्‍ठ नेता युवा नेताओं को अधिक तवजजो नहीं देते हैं, इसी साल कोरोना के चलते पार्टी के कार्यकारी अध्‍यक्ष हार्दिक पटेल के पिता का निधन हो गया था लेकिन कांग्रेस का एक भी वरिष्‍ठ नेता उनसे मिलने वीरमगाम नहीं पहुंचा था। इस बात को लेकर वरिष्‍ठ नेताओं की आलोचना भी हुई थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री भरत सोलंकी दिग्‍गज नेता शंकरसिंह वाघेला व ठाकोर सेना के नेता अल्‍पेश ठाकोर को भी कांग्रेस में लाना चाहते हैं लेकिन आलाकमान हाल इस पर तैयार नहीं है। गत विधानसभा चुनाव में भी हार्दिक, जिग्‍नेश व अल्‍पेश ने कांग्रेस की मदद की थी लेकिन भाजपा की रणनीति व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व ग्रहमंत्री अमित शाह के धुंआधार चुनाव प्रचार के आगे पस्‍त हो गये थे।


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