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वडनगर के तानारीरी महोत्सव में एक ही दिन में तीन विश्व रिकार्ड बनाने का दावा

उत्तर गुजरात के वडनगर में 2003 से तानारीरी महोत्सव की शुरूआत हुई। संगीत साम्रज्ञी की याद में कार्तिक महीने की नौवीं एवं दसवीं को दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 11:29 AM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 11:29 AM (IST)
वडनगर के तानारीरी महोत्सव में एक ही दिन में तीन विश्व रिकार्ड बनाने का दावा
वडनगर के तानारीरी महोत्सव में एक ही दिन में तीन विश्व रिकार्ड बनाने का दावा

अहमदाबाद। उत्तर गुजरात के वडनगर में 2003 से तानारीरी महोत्सव की शुरूआत हुई। संगीत साम्रज्ञी की याद में कार्तिक महीने की नौवीं एवं दसवीं को दो दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया जाता है। तब से आज तक इस महोत्सव में अनेक वर्ल्ड रिकार्ड टूट चुके हैं।

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गुजरात सरकार ने दावा किया कि कल महोत्सव के प्रथम दिवस कलावृंद ने संगीत के अलग-अलग क्षेत्र में तीन वर्ल्ड रिकार्ड स्थापित हुए हैं। इसमें 150 तबला वादकों के 28 ताल के साथ युवती ने एक मिनट में नौ रसों के अनुसार चेहरे का हावभाव परिवर्तित किया। इस समारोह में 108 बांसुरी वादकों ने राग खमाज पर वैष्णव जन और राष्ट्रगीत की धुन बजाकर नया विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। उत्तर गुजरात का वडनगर में कला एवं संस्कृति की विरासत हैं। यहां कवि नरसिंह मेहता की दोहित्री शर्मिष्ठा की पुत्रियां ताना और रीरी ने संगीत की आराधना की थी।

अकबर बादशाह के नौ रत्नों में से संगीत सम्राट तानसेन को दीपक राग गाने से उत्पन्न जलन को शर्मिष्ठा तालाब के किनारे संगीत की कलाधारिणी बहन ताना और रीरी ने मल्हार राग अलाप कर शान्त किया था। कला के सम्मान के लिए संगीत की यह जोड़ी आत्मबलिदान कर इतिहास में अमर हो गयी। इन बहनों की याद में वडनगर में 2003 से दो दिवसीय तानारीरी संगीत महोत्सव आयोजित किया जाता है। इसमें देश के मशहूर कलावृंद और कलाकारों द्वारा कला प्रस्तुत करने की परम्परा है।

इस दौरान बुधवार और गुरूवार को आयोजित तानारीरी महोत्सव शुरू हुआ। इसके प्रथम दिन बुधवार को उपमुख्यमंत्री नीतिन पटेल की उपस्थिति में तबलावादन, बांसुरीवादन एवं चेहरे के हावभाव बदलने में कलावृंद ने एक ही दिन में तीन विश्व कीर्तिमान स्थापित किया।

उल्लेखनीय है कि कला गुरू शीतल बारोट ने एक मिनट में अपने चेहरे के नौ भव प्रस्तुत कर रिकार्ड स्थापित किया। तकरीबन 150 तबला वादकों ने 28 ताल प्रस्तुत कर सबका मनमोह लिया। वहीं 108 बांसुरी वादकों ने 30 मिनट में 48 सुरों का परिचय दिया।  


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