Move to Jagran APP

Gujarat ByPoll: जानिए, गुजरात की मोरवा हड़प विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए भाजपा व कांग्रेस की रणनीति

Gujarat गुजरात में पंचमहाल जिले की मोरवा हड़प विधानसभा सीट से भूपेंद्र खांट ने 2017 में बतौर निर्दलीय चुनाव जीता था लेकिन उनके अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र को लेकर विवाद के चलते विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता को रद कर दिया था।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 17 Mar 2021 06:38 PM (IST)Updated: Wed, 17 Mar 2021 06:38 PM (IST)
Gujarat ByPoll: जानिए, गुजरात की मोरवा हड़प विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए भाजपा व कांग्रेस की रणनीति
जानिए, गुजरात की मोरवा हड़प विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए भाजपा व कांग्रेस की रणनीति। फाइल फोटो

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Gujarat: गुजरात में पंचमहाल जिले की मोरवा हड़प विधानसभा सीट पर 17 अप्रैल को उपचुनाव के लिए मतदान होगा। दो मई को मतगणना होगी। मंगलवार को चुनाव आयोग ने यह जानकारी दी। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) स्थानीय निकाय चुनाव के साथ ही आगामी 2022 तक के विधानसभा चुनाव की भी तैयारी कर चुकी है। वहीं, आम आदमी पार्टी (आप) विधानसभा उपचुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं लगती है। वह अपना पूरा ध्यान आगामी विधानसभा पर लगाए हुए हैं। जबकि कांग्रेस अंदरूनी खींचतान में गुटबाजी में उलझी हुई है। विधानसभा उपचुनाव से अधिक वह अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए खुद को तैयार करने की कोशिश कर रही है। गुजरात में पंचमहाल जिले की मोरवा हड़प विधानसभा सीट से भूपेंद्र खांट ने 2017 में बतौर निर्दलीय चुनाव जीता था, लेकिन उनके अनुसूचित जनजाति के प्रमाण पत्र को लेकर विवाद के चलते विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता को रद कर दिया था।

loksabha election banner

विधायक ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी, जहां उनकी याचिका अभी भी लंबित है। लेकिन गत दिनों भूपेंद्र खाट का बीमारी के चलते निधन हो गया। भूपेंद्र राज्यपाल आचार्य देवव्रत के समक्ष भी गुहार लगाकर उनकी विधानसभा की सदस्यता को बहाल करने की मांग की थी, लेकिन राजभवन की ओर से भी उनकी मांग ठुकरा दी गई थी। मोरवा हड़फ सीट आदिवासी बहुल पंचमहाल जिले में आती है तथा यह अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। भूपेंद्र खाट के पिता ओबीसी समाज से आते हैं, लेकिन उनकी माता आदिवासी थी। उनके जन्म के बाद माता अपने पीहर चली गईं और उनके साथ भूपेंद्र खांट अपने ननिहाल में ही रहे तथा वहां ही उनकी प्राथमिक शिक्षा हुई। केंद्र सरकार की एक अधिसूचना के मुताबिक, ननिहाल में रहकर शिक्षा पाने वाले बच्चों को उसकी माता के समुदाय का मान कर उसका प्रमाण पत्र बनाया जाता है तथा उसी आधार पर भूपेंद्र ने चुनाव लड़ा था। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.