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Gujarat Gram Panchayat Election: गरीबी के चलते दो बार बनीं सरोगेट मदर, अब सरपंच बनकर महिलाओं के उत्थान के लिए करेंगी काम

Gujarat Gram Panchayat Election भानु वणकर कभी गरीबी के चलते सरोगेट मदर बनीं लेकिन अब वह सरपंच बन कर महिलाओं के उत्थान के लिए तथा उनके सुख सुविधाओं के लिए काम करेंगी। गोरवा गांव रहने वाली 43 साल की भानु वणकर का 15 साल पहले विवाह हो गया था।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 22 Dec 2021 04:36 PM (IST)Updated: Wed, 22 Dec 2021 05:34 PM (IST)
Gujarat Gram Panchayat Election: गरीबी के चलते दो बार बनीं सरोगेट मदर, अब सरपंच बनकर महिलाओं के उत्थान के लिए करेंगी काम
भानु वणकर गरीबी के चलते दो बार बनीं सरोगेट मदर, अब निर्विरोध सरपंच निर्वाचित। फाइल फोटो

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गुजरात में आणंद जिले के गोरवा गांव की भानु वणकर कभी गरीबी के चलते सरोगेट मदर बनीं, लेकिन अब वह सरपंच बन कर महिलाओं के उत्थान के लिए तथा उनके सुख-सुविधाओं के लिए काम करेंगी। बोरसद तहसील के गोरवा गांव रहने वाली 43 साल की भानु वणकर का 15 साल पहले विवाह हो गया था। उसके पति मजदूरी व छोटा-मोटा काम करके अपने घर का गुजारा चलाते थे। कभी काम मिल जाता, कभी नहीं मिलता। इस कारण घर में कई बार दो वक्त के खाने के भी लाले पड़ जाते थे। उसकी बहन ने जब सेरोगेट मदर के बारे में बताया तो एक दिन भानु ने आइवीएफ विशेषज्ञ डा नयना पटेल के यहां पहुंच कर सरोगेट मदर बनने की इच्छा जताई। 2007 में एक संतानहीन दंपती के लिए वह सरोगेट मदर बनीं तथा जुड़वा बच्चों को जन्म दिया। इसके बदले उसे साढ़े तीन लाख रुपये मिले। 2011 में फिर भानु ने सरोगेट मदर बनने का फैसला किया। उसको इस बार कोख किराए पर देने के बदले साढ़े पांच लाख रुपये मिले। भानु ने दो संतान हीन दंपती के घर में बच्चों की किलकारी गुंजा दीं। साथ ही, इसके बदले मिले पैसे से उसने अपना घर बनवाया।

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निर्विरोध सरपंच निर्वाचित

भानु ने इसके बाद पति की गिरवी रखी जमीन को छुड़ाने तथा पति को दूध का कारोबार शुरू कराने में लगा दिया। भानु का परिवार अब खुशहाल हो गया है। इसी दौरान ग्राम पंचायत चुनाव की घोषणा हुई तो कुछ लोगों ने महिला आरक्षित सीट होने के कारण उसे चुनाव लड़ने की नसीहत दी और उसने इसे चुनौती के रूप में लिया। सौभाग्य से उसके खिलाफ किसी ने पर्चा नहीं भरा और वह निर्विरोध सरपंच निर्वाचित हो गई। भानु बताती हैं कि एक महिला होने के नाते समाज में महिलाओं के समक्ष कैसी-कैसी चुनौतियां आती हैं। वह गांव की महिलाओं को व्यापार, पशुपालन व अन्य कुटीर उद्योग से जोड़ने के साथ गांव में पानी बिजली सड़क आदि की सुविधाओं को बेहतर करना चाहती हैं। भानु ने अपनी हिम्मत और लगन से अपने परिवार का कायाकल्प कर दिया। अब वह गांव में परिवर्तन लाना चाहती है।

महिलाओं को करेंगी जागरूक

आइवीएफ विशेषज्ञ डा नयना पटेल आणंद में कई साल से सरोगेसी पर काम कर रही हैं। सैकड़ों परिवार व दंपती उनके कारण संतान सुख पा सके हैं। भानु के सरपंच बनने से डाक्टर नयना काफी खुश हैं। उनका कहना है कि सेरोगेसी के कारण एक परिवार में खुशियां आती हैं, तो दूसरे परिवार को आर्थिक समृद्धि हासिल होती है। उनका मानना है कि सरोगेसी शोषण नहीं शक्ति प्रदाता है। आर्थिक तंगी में जूझ रहा परिवार सरोगेसी के कारण आज आत्मनिर्भर बन गया है। घर बना, पति का व्यवसाय शुरू हो गया तथा बच्चों की अच्छी पढ़ाई हुई। इसी परिवार की यह महिला अब सरपंच बनकर गांव में सुविधाओं तथा महिला जागरूकता के लिए काम करेगी। 


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