फुटबॉल के बहुत बड़े कद्रदान थे प्रणब दा, देर रात तक जागकर देखा करते थे FIFA World Cup के मैच
Pranab Mukharjee Death प्रणब दा से जब कोई फुटबॉल के प्रति उनकी दीवानगी की वजह पूछता था तो वे मजाकिया अंदाज में कहते थे-यही तो वह एकमात्र खेल है जो मेरी समझ में आता है।
विशाल श्रेष्ठ, कोलकाता। सब खेलार सेरा बंगालीर तुमी फुटबॉल (बंगालियों के लिए फुटबॉल सारे खेलों में सर्वश्रेष्ठ है)...मन्ना डे का यह गीत जाहिर करने को काफी है कि फुटबॉल से बंगालियों का कितना गहरा नाता है। प्रणब दा भी इससे जुदा नहीं थी। हरेक बंगाली की तरह वे भी फुटबॉल के बहुत बड़े कद्रदान थे।
2010 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित हुए फीफा विश्वकप के दौरान प्रणब बाबू देर रात तक जागकर फुटबॉल मैच देखा करते थे। वे उस समय केंद्रीय वित्त मंत्री थे। भारी व्यस्तता के कारण शाम को होने वाले मैच नहीं देख पाते थे इसलिए उन्होंने अपने रसोइए को खास निर्देश दे रखा था कि उनके निवास स्थल में बने ऑफिस के टीवी में उस स्पोर्ट्स चैनल को सेट करके रखे, जिसमें फुटबॉल विश्वकप के मैच प्रसारित होते थे।
प्रणब दा से जब कोई फुटबॉल के प्रति उनकी दीवानगी की वजह पूछता था तो वे मजाकिया अंदाज में कहते थे-'यही तो वह एकमात्र खेल है, जो मेरी समझ में आता है।'
ब्राजीलियाई फुटबॉल टीम के थे बहुत बड़े समर्थक
प्रणब दा ब्राजीलियाई फुटबॉल टीम के बहुत बड़े समर्थक थे। एक बार जब उनसे पूछा गया कि पेले और माराडोना में सर्वश्रेष्ठ कौन है तो उन्होंने इसका राजनयिक अंदाज में जवाब देते हुए कहा-'एक ब्राजील से है और दूसरा अर्जेंटीना से इसलिए दोनों को लेकर झगड़ा होना स्वाभाविक है।'
पिता के स्मरण में वर्षों से कराते आ रहे थे फुटबॉल टूर्नामेंट
मुखर्जी के नाम पर मुर्शिदाबाद के जंगीपुर में वर्षों से फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन कराते आ रहे थे। इस टूर्नामेंट में देश के मशहूर फुटबाल क्लब ईस्ट बंगाल और मोहन बगान की जूनियर टीमें भी हिस्सा लिया करती हैं। टूर्नामेंट का उद्घाटन हर साल प्रणब दा खुद किया करते थे। राष्ट्रपति रहते भी प्रणब मुखर्जी इसका उद्घाटन करने आना नहीं भूले थे।
फुटबॉल के विकास के बारे में बहुत सोचते थे प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी भले कभी देश के खेल मंत्री न रहे हो लेकिन खेलों को लेकर वे बेहद सजग थे, खासकर फुटबॉल के विकास को लेकर। वे कहते थे कि फुटबॉल देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बेहद लोकप्रिय खेल है। स्थानीय स्तर पर फुटबॉल मैचों का नियमित रूप से आयोजन होते रहना चाहिए ताकि प्रतिभावान खिलाड़ियों को तलाशा जा सके। हरेक गांव में फुटबॉल ग्राउंड है और इस खेल को लेकर काफी उत्साह भी।
इसे प्रमोट करने पर ध्यान देना चाहिए ताकि यहां से खिलाड़ी निकलकर राष्ट्रीय स्तर पर जगह बना सके। फुटबॉल में प्रणब दा की गहरी दिलचस्पी का इस बात से भी अंदाजा लिया लगाया जा सकता है कि वे ईस्ट बंगाल और मोहनबगान के अनुष्ठानों में नियमित रूप से शामिल हुआ करते थे। दोनों क्लबों की तरफ से उन्हें आजीवन सदस्यता भी प्रदान की गई थी।