Move to Jagran APP

हार के बावजूद भी क्रोएशिया के कप्तान को मिला ये खास अवॉर्ड, जानिए क्या है वजह

1994 के बाद से कभी भी विश्व विजेता बनने वाली टीम के खिलाड़ी ने इस अवॉर्ड पर कब्ज़ा नहीं जमाया है

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Sun, 15 Jul 2018 06:20 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 10:41 AM (IST)
हार के बावजूद भी क्रोएशिया के कप्तान को मिला ये खास अवॉर्ड, जानिए क्या है वजह

नई दिल्ली, जेएनएन। फीफा वर्ल्ड कप 2018 का फाइनल मैच क्रोएशिया और फ्रांस के बीच खेला गया। इस मैच में फ्रांस ने क्रोएशिया को 4-2 से हराकर खिताब पर दूसरी बार अपना कब्जा जमाया। पूरे विश्व कप के दौरान सबकी नजर जहां विजेता पर थी वहीं गोल्डन बूट, गोल्डन बॉल व गोल्डन ग्लव्स किसे मिलेगा इस पर भी फुटबॉल फैंस की नजरें टिकी थीं। 

loksabha election banner

लुका मॉड्रिक बने बेस्ट प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट

फाइनल में क्रोशिया की टीम को भले ही हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन इस हार के बावजूद भी क्रोएशिया के कप्तान लुका मॉड्रिक को विश्व कप में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए गोल्डन बॉल के अवॉर्ड से नवाज़ा गया। गोल्डन बॉल का खिताब टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को मिलता है। इस होड़ में क्रोएशिया के कप्तान लुका मॉड्रिक, फ्रांस के कायलिन एम्बापे और बेल्जियम के केविन डि ब्रूइन और एडेन हैजार्ड थे। लेकिन मॉड्रिक ने सभी को पीछे छोड़ते हुए ये अवॉर्ड अपने नाम कर लिया।

1994 के बाद से कभी भी विश्व विजेता बनने वाली टीम के खिलाड़ी ने इस अवॉर्ड पर कब्ज़ा नहीं जमाया है। 1994 में ब्राजील के रोमारियो ने यह उपलब्धि हासिल की थी।

हैरी केन को मिला गोल्डन बूट

गोल्डन बूट का खिताब टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी को दिया जाता है। इस दौड़ में इंग्लैंड के कप्तान और स्टार फॉरवर्ड हैरी केन और बेल्जियम के फॉरवर्ड खिलाड़ी रोमेलू लुकाकू सबसे आगे थे लेकिन जीत मिली हैरी केन को। इस विश्व कप के सबसे युवा कप्तान 24 वर्षीय हैरी ने 6 मैचों में हैट्रिक सहित छह गोल दागे। वहीं बेल्जियम के 25 वर्षीय लुकाकू ने पांच मैचों में चार गोल करने के साथ एक गोल करने में मदद भी की थी।

बेल्जियम के थिबॉट कोरटूइस ने जीता गोल्डन ग्लव्स

विश्व कप में गोलकीपरों को शानदार प्रदर्शन के लिए गोल्डन ग्लव्स का अवॉर्ड दिया जाता है। इस बार गोल्डन ग्लव्स की रेस में बेल्जियम के थिबॉट कोरटूइस, इंग्लैंड के जॉर्डन पिकफोर्ड, मैक्सिको के गुलेरमो ओछुआ, क्रोएशिया के डेनेजिल सुबासिच और फ्रांस के ह्यूगो लॉरिस थे। बेल्जियम के थिबॉट कोरटूइस ने इस खिताब पर कब्जा जमाया। 

आपको बता दें कि सबसे पहले फीफा विश्व कप 1994 में गोल्डन ग्लव्स अवॉर्ड देने की शुरूआत की गई थी। सबसे पहले इस अवॉर्ड को लेव याशिन अवॉर्ड के नाम से जाना जाता था, लेकिन 2010 फीफा विश्व कप से इसका नाम बदलकर गोल्डन ग्लव्स अवॉर्ड कर दिया गया। सबसे पहले 1994 में ये अवॉर्ड अमेरिका के मिचेल प्रयूडहोम को मिला था। 

फीफा की खबरों के लिए यहां क्लिक करें 

गोल्डन बॉल और गोल्डन बूट का इतिहास

1982 में 12वें फीफा विश्व कप का आयोजन 13 जून से 11 जुलाई के दौरान स्पेन में हुआ था। फाइनल में इटली ने वेस्ट जर्मनी को 3-1 से हराकर खिताब पर कब्जा जमाया था और इसी विश्व कप में गोल्डन बॉल और गोल्डन बूट (गोल्डन शू) अवॉर्ड देने की भी परंपरा शुरू हुई। टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को गोल्डन बॉल और टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा गोल करने वाले को गोल्डन बूट अवॉर्ड दिया जाता है। पहला गोल्डन बॉल अवॉर्ड इटली के पाओलो रॉसी ने जीता था। रॉसी ने ही छह गोलों के साथ गोल्डन बूट अवॉर्ड पर कब्जा जमाया था।

क्रिकेट की खबरों के लिए यहां क्लिक करें

अन्य खेलों की खबरों के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.