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एल्बर्ट रोका में भारतीय फुटबॉल टीम का कोच बनने की योग्यता

बेंगलुरु एफसी के एल्बर्ट रोका एक अच्छे रणनीतिकार हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 03 Feb 2018 07:07 PM (IST)Updated: Sun, 04 Feb 2018 11:13 AM (IST)
एल्बर्ट रोका में भारतीय फुटबॉल टीम का कोच बनने की योग्यता
एल्बर्ट रोका में भारतीय फुटबॉल टीम का कोच बनने की योग्यता

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v>(बाईचुंग भूटिया का कॉलम)
 
हीरो इंडियन सुपर लीग अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ चुकी है, इस दौरान मुझे कुछ कोच ने बाकियों की तुलना में ज्यादा प्रभावित किया है। बेंगलुरु एफसी के एल्बर्ट रोका एक अच्छे रणनीतिकार हैं। भारतीय फुटबॉल के साथ यह उनका दूसरा साल है। पहले साल के दौरान हीरो फेडरेशन कप जीतने के अलावा उन्होंने ऐतिहासिक एएफसी कप फाइनल में बीएफसी को पहुंचाने में भूमिका अदा की। यह उपलब्धि हासिल करने वाला वह पहला भारतीय क्लब है।
 
महान कोच में हमेशा यह काबिलियत होती है कि वह अपने खिलाडिय़ों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करा लेते हैं और रोका इस मामले में बहुत ही अच्छे हैं। हमें यह नहीं भूलना चाहिए इस सीजन में उन्होंने बेंगलुरु को इंटर जोनल एएफसी कप फाइनल में पहुंचाने में मदद की। सबसे अहम बात यह है कि वह बीएफसी के व्यस्त कार्यक्रम के साथ संतुलन बैठाने में सफल रहे हैं, जो उन्हें खास बनाता है। खिलाडिय़ों को तरोताजा रखने के लिए वह एएफसी कप में खिलाडिय़ों को बदलते रहे और खास बात यह रही कि इससे प्रदर्शन में कोई कमी नहीं आई। रणनीतिकार के तौर पर वह अदभुत हैं। भारतीय फुटबॉल की गहन जानकारी और अनुभव के चलते वह भविष्य में भारतीय फुटबॉल टीम के कोच बनने के लिए आदर्श हैं।
 
चेन्नईयन एफसी के जॉन ग्रेगॉरी ने भी अपने पहले मैच से ही कोई गलत कदम नहीं रखा है। एफसी गोवा के खिलाफ पहले मैच में उन्होंने तीन डिफेंडर खिलाए थे। रणनीति बनाने की अपनी कुशाग्रता के चलते वह तेजी से चीजों को समझ पाते हैं और पहले हाफ के बाद ही, वह चार डिफेंडरों के साथ उतरे और तभी से इस रणनीति पर काम कर रहे हैं। महान कोच बहुत तेजी से सीखते हैं और ग्रेगॉरी को यह समझने में कतई देर नहीं हुई कि इनिगो काल्डरॉन एक आक्रामक सोच के खिलाड़ी हैं और तीन डिफेंडरों के साथ खेलते वह जिस पॉजीशन पर खेल रहे हैं, वह उनके लिए सही नहीं है। मार्को मातेराजी के जाने के बाद ग्रेगॉरी के लिए चीजें आसान नहीं थीं, लेकिन उन्होंने कामयाबी हासिल की।
 
एफसी पुणे सिटी के रांको पोपोविच भी हमेशा ही प्रभावित रहे हैं। एक संघर्ष करने वाली टीम पर पोपोविच ने अपनी जादू की छड़ी घुमाई है। जब आपकी टीम में मार्सेलो पेरेईरा जैसा खिलाड़ी हो, तो अक्सर उस पर निर्भरता बढ़ ही जाती है, लेकिन पोपोविच ने पारंपरिक रास्ता अपनाते हुए टीमवर्क पर जोर दिया। वह विशाल कैथ, आदिल खान, सार्तक गोलुई जैसे भारतीय खिलाडिय़ों से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कराने में कामयाब रहे हैं। मगर मुझे लगता है कि उन्हें थोड़ा शांत रहना चाहिए। उन पर पहले ही दो बार प्रतिबंध लग चुका है। 
 
 

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