Fact Check: किसी भी इस्लामिक कंपनी को नहीं दिया गया है सबरीमाला का प्रसाद बनाने का कॉन्ट्रैक्ट, वायरल दावा फर्जी है
सोशल मीडिया पर कई यूजर्स एक फोटो को शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि केरल देवासम बोर्ड ने सबरीमाला के प्रसाद अरवन पायसम को बनाने का ठेका एक मुस्लिम को दे दिया है और अब इस प्रसाद का नाम बदलकर अल जाहा कर दिया गया है।
नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स एक फोटो को शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि केरल देवासम बोर्ड ने सबरीमाला के प्रसाद अरवन पायसम को बनाने का ठेका एक मुस्लिम को दे दिया है और अब इस प्रसाद का नाम बदलकर अल जाहा कर दिया गया है। सांप्रदायिक दावे के साथ वायरल हो रहे इस पोस्ट में यह भी कहा गया है कि कंपनी के बदलने के बाद तैयार होने वाला प्रसाद न केवल इस्लामिक है, बल्कि हलाल भी है।
विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में इस दावे को फर्जी पाया, जिसे सांप्रदायिक दुष्प्रचार की मंशा से वायरल किया जा रहा है। सबरीमाला का प्रसाद बनाने का ठेका अल जाहा स्वीट्स एलएलसी को नहीं दिया गया है। अभी भी मंदिर के लिए प्रसाद बनाने का काम त्रावणकोर देवासम बोर्ड के पास है। दिसंबर 2020 में केरल के पोस्टल सर्कल ने सबरीमाला मंदिर के प्रसाद को श्रद्धालुओं तक पहुंचाने के लिए त्रावणकोर देवासम बोर्ड के साथ समझौता किया था। नई सुविधा शुरू होने के बाद से श्रद्धालु प्रसादम (या प्रसाद) के पैकेज को पोस्ट के जरिए भी मंगा सकते हैं।
ऑनलाइन सर्च करने पर हमें sabarimalatemple.in की वेबसाइट मिली, जहां से सबरीमाला के प्रसादम के लिए ऑनलाइन बुकिंग की जा सकती है। वेबसाइट पर इस प्रसाद के डिब्बे की तस्वीर भी दी गई है, जिस पर 'त्रावणकोर देवासम बोर्ड' लिखा हुआ है, जबकि वायरल इमेज में नजर आ रहे डिब्बे पर 'Al Zahaa Sweet LLC' लिखा हुआ है।
इस वेबसाइट पर अरवना प्रसाद के साथ अन्य प्रसादों और उनकी कीमत के बारे में भी जानकारी दी गई है और प्रसाद के लिए ऑनलाइन कूपन हासिल करने के लिए https://sabarimalaonline.org वेबसाइट पर जाने की सलाह दी गई है।
ट्विटर यूजर Indu Makkal Katchi (Offl) का ट्वीट ठीक से देखने पर हमें Self-proclaimed Goddess नाम के यूजर का कमेंट मिला, जिसमें उन्होंने बताया है कि यह असली सबरीमाला का प्रसाद नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने एक तस्वीर को पोस्ट करते हुए उसे असली प्रसाद बताया है और यह तस्वीर sabarimalatemple.in की वेबसाइट पर मौजूद प्रसाद के डिब्बे से मेल खाती है।
अब तक की पड़ताल से स्पष्ट है कि सबरीमाला मंदिर के प्रसाद को बनाने की जिम्मेदारी त्रावणकोर देवासम बोर्ड की है और इसे बनाने का ठेका किसी मुस्लिम व्यक्ति या कंपनी को नहीं दिया गया और वायरल हो रही दोनों तस्वीरें अलग-अलग हैं। अल जाहा के अरवन पायसम उत्पाद का का संबंध सबरीमाला मंदिर से नहीं है, और यह सबरीमाला के प्रसाद से बिलकुल अलग उत्पाद है।
न्यूज सर्च में दो दिसंबर 2020 को प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, त्रावणकोर देवासम बोर्ड के साथ केरल के पोस्टल सर्कल ने एक समझौता किया है। इसके तहत अब लोग स्वामी प्रसादम का पैकेज 450 रुपए देकर किसी भी पोस्ट ऑफिस से बुक करा सकते हैं।
हालांकि, हमें प्रसाद बनाने का टेंडर किसी को देने की बात न्यूज सर्च में नहीं मिली। इसके बाद हमने त्रावणकोर देवासम बोर्ड के कमिश्नर से संपर्क साधा। उन्होंने इसे खारिज करते हुए कहा, 'यह फेक न्यूज है। ऐसा कोई भी टेंडर किसी को नहीं सौंपा गया है।'
इसके बाद हमने अल जाहा स्वीट एलएलसी (Al Zahaa Sweet LLC) के बारे में सर्च किया। सर्च में सामने आई जानकारी के मुताबिक, यह कंपनी संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के शहर अजमन में स्थित है। विश्वास न्यूज ने इस मामले को लेकर फेसबुक पर अल जाहा से संपर्क किया। उन्होंने बताया, 'हमें भी इस अफवाह के बारे में जानकारी है। हम एक एलएलसी कंपनी हैं, जो संयुक्त अरब अमीरात में स्थित है। हम हमारे उत्पादों को संयुक्त अरब अमीरात के सभी बड़े सुपर मार्केट औऱ हायपर मार्केट में वितरित करते हैं। हमारा किसी भी भारतीय या केरल की कंपनी या बोर्ड के साथ कोई अनुबंध नहीं है। हम अपने उत्पादों को केवल संयुक्त अरब अमीरात में ही बेचते हैं।'
उन्होंने कहा, 'हमारे अरवन पायसम ब्रांड का किसी भी धर्म, जाति या पंथ से कोई संबंध नहीं है। यह कहीं से बी भगवान अयप्पा या सबरीमाला से संबंधित नहीं है।'
विश्वास न्यूज की जांच से यह बात साबित होती है कि सबरीमाला मंदिर के प्रसाद अरवना पायसम को बनाने का ठेका किसी भी भी इस्लामिक व्यक्ति या इस्लामी कंपनी को नहीं दिया गया है। इस दावे के साथ वायरल हो रहा दावा फेक और सांप्रदायिक दुष्प्रचार है।
विश्वास न्यूज की इस फैक्ट चेक रिपोर्ट में इस दावे की विस्तृत पड़ताल और जांच की प्रक्रिया के बारे में पढ़ा जा सकता है। Fact Check: किसी भी इस्लामिक कंपनी को नहीं दिया गया है सबरीमाला का प्रसाद बनाने का ठेका, वायरल दावा फर्जी और सांप्रदायिक दुष्प्रचार है