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Fact Check Story: दिल्‍ली के रोहिंग्‍या कैंप में लगी आग की पुरानी तस्‍वीर अब त्र‍िपुरा हिंसा के नाम पर वायरल

Fact Check Story फेसबुक यूजर एमडी ओलिउल्लाह ने 29 अक्‍टूबर को एक तस्‍वीर को शेयर करते हुए दावा किया। ‘त्रिपुरा में जली हुई कुरआन को उठाते मुसलमान।’ फेसबुक पोस्‍ट के कंटेंट को यहां ज्‍यों का त्‍यों लिखा गया है। इसे सच समझकर दूसरे यूजर्स भी वायरल कर रहे हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Wed, 03 Nov 2021 02:11 PM (IST)Updated: Wed, 03 Nov 2021 02:11 PM (IST)
त्र‍िपुरा हिंसा के नाम पर वायरल हुई दिल्‍ली के रोहिंग्या कैंप की पुरानी तस्‍वीर।(फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्‍ली, विश्वास न्यूज। त्रिपुरा में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बीच कई प्रकार की फर्जी खबरों के वायरल होने का स‍िलस‍िला जारी है। अब एक तस्‍वीर को वायरल करते हुए दावा किया जा रहा है कि त्रिपुरा में दंगों के दौरान मुसलमानों के एक धार्मिक ग्रंथ में आग लगा दी गई। तस्‍वीर में दो लोगों को कुछ किताबों को संभालते हुए देखा जा सकता है। फैक्‍ट चेकिंग वेबसाइट विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल तस्‍वीर की विस्‍तार से जांच की। इसके लिए ऑनलाइन टूल्‍स का इस्‍तेमाल किया गया। विश्‍वास न्‍यूज ने वायरल तस्‍वीर की जांच के लिए गूगल रिवर्स इमेज और यान्‍डेक्‍स सर्च का सहारा लिया।

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ओरिजनल और सबसे पुरानी तस्‍वीर हमें इंस्‍टागाम पर मिली। 13 जून को प्रकाशित इस तस्‍वीर को लेकर बताया गया कि दिल्‍ली के कंचनकुंज के रोहिंग्‍या कैंप में आग लगने के बाद की यह तस्‍वीर है। पड़ताल के दौरान आसिफ मुजतबा के ट्विटर हैंडल पर भी हमें यह तस्‍वीर मिलीं। 28 अक्‍टूबर को आसिफ ने लिखा कि वायरल तस्‍वीर दिल्‍ली के कंचनकुंज के रोहिंग्‍या कैंप में आग लगने की है। त्रिपुरा की नहीं। विश्‍वास न्‍यूज ने पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए आसिफ मुजतबा से संपर्क किया। उन्‍होंने बताया कि वायरल तस्‍वीर त्रिपुरा की नहीं है। यह दिल्ली के कंचनकुंज के रोहिंग्‍या कैंप में लगी आग की तस्‍वीर है। घरों में आग फैलने के बाद लोगों ने अपनी धार्मिक किताबों को सुरक्षित निकाला। इस तस्‍वीर को उनके दोस्‍त मोहम्‍मद मेहरबान ने क्लिक की थी।

विश्‍वास न्‍यूज की पड़ताल में त्र‍िपुरा हिंसा के नाम पर वायरल हुई तस्‍वीर फेक निकली। दरअसल दिल्‍ली के रोहिंग्‍या कैंप में लगी आग की एक तस्‍वीर को कुछ यूजर्स त्र‍िपुरा की बताकर माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

विश्‍वास न्‍यूज की पूरी पड़ताल को यहां क्लिक करके पढ़ें।


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