Web Review Four more shots please: महिलाओं की आजादी के नाम पर पुराना कॉकटेल
अनु मेनन ने निस्संदेह बेहतरीन अभिनेत्रियों और कलाकारों को इस कहानी के लिए चुना है. लेकिन उन्हें कहानी के नाम पर पुरानी कॉकटेल ही पकड़ा दी गई है.
शो का नाम : फोर मोर शॉट्स प्लीज
कलाकार : कीर्ति कुल्हारी, मानवी गगरू, बानी जे, सयोनी गुप्ता, मिलिंद सोमन, लीजा रे, प्रतीक बब्बर
निर्देशक : अनु मेनन
चैनल : अमेजोन प्राइम वीडियो
रेटिंग : 2.5 स्टार
द डर्टी पिक्चर फिल्म का एक संवाद है, फिल्में सिर्फ तीन चीजों से चलती है ''एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट''. इसी तर्ज पर जब भी व्हाट वीमेन वांट्स की बात होती है तो पूरी कहानी परदे पर केवल उनके सेक्स डिजायर के इर्द-गिर्द गढ़ दी जाती है. अमेजॉन प्राइम वीडियो का नया वेब शो फोर मोर शॉट्स प्लीज भी इसी क्रम में अगली कड़ी है. अनु मेनन ने निस्संदेह बेहतरीन अभिनेत्रियों और कलाकारों को इस कहानी के लिए चुना है. लेकिन उन्हें कहानी के नाम पर पुरानी कॉकटेल ही पकड़ा दी गई है.
शो की रिलीज से पहले भले ही कलाकारों ने यह दावा किया हो कि शो वीरे दी वेडिंग का हैंग ओवर नहीं, कई हद तक यह सही भी है. वह इस लिहाज से कि फिल्म में जहां चार महिलाओं की जिंदगी, जिसमें सेक्स से इतर भी कई कहानियां दिखाई गई थी. इस सीरिज में केवल स्वरा भास्कर वाले किरदार की चाहत पर ही अगले चार किरदार गढ़ दिए गये हैं. जहां ये चार महिला दोस्त जब भी मिलती हैं तो उनके बीच सिर्फ मुद्दा सेक्स ही होता है. मेकर्स क्यों हर बार यह बेहतरीन मौक़ा खो रहे हैं.
मनोरंजन इंडस्ट्री ने क्यों मान लिया है कि महिलाओं की जिंदगी में या तो सेक्स की चाहत है या फिर लड़कियां अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा सिर्फ इस सोच में ही बर्बाद कर देना चाहती हैं कि लड़के उनके बारे में क्या सोचते हैं और वह खुद को कैसे लड़कों जैसा परफेक्ट बनाएं. अबतक लड़कियों की चाहत वाले वेब शोज कंटेंट को देख कर ऐसा ही लग रहा है. इस वेब शो को देखने के बाद यह बात दावे से कही जा सकती है कि ये चार किरदार जिन जगहों के दिखाए गये हैं. वास्तविक जिंदगी में वहां रहने वाली लड़कियां भी शो से रिलेट नहीं करेंगी. चूंकि इस शो के किरदार अति-उत्साही दिखाए गये हैं और सामान्य से मुद्दे को लेकर भी हउआ क्रियेट करने की कोशिश की गई है.
फॉर मोर शॉट्स प्लीज में चार महिला किरदार हैं. एक तलाकशुदा है, एक बाईसेक्सुअल है, एक कॉरपोरेट जगत में काम करने वाली अतिउत्साही लड़की और एक जो कि अपनी पूरी जिंदगी इस बात पर व्यर्थ कर रही है कि लड़के उसमें क्या देखना चाहते हैं. चारों किरदारों के इंट्रोडक्टरी दृश्य, दरअसल मेकर्स के नजरिये को दर्शाते हैं, जिनके लिए महिलाओं की जिंदगी में इससे इतर कोई चाहत ही नहीं होती है. ऐसे में शो की मेकिंग में पूरी तरह से क्रू मेम्बर्स के रूप में महिलाएं ही जुड़ी हैं, उम्मीद थी कि अब तक दिखाए गये चलताऊ कंटेट से इतर की दुनिया देखने का मौका मिलेगा. लेकिन बड़े-बड़े शो देखने के बाद बेईमानी ही नजर आती है. अफ़सोस यह है कि इतनी बेहतरीन कास्टिंग के बावजूद आप ठगा सा महसूस करते हैं. महिलाओं को समझने का दावा करने वाले मेकर्स को अगली बार ऐसे विषय पर प्रोजेक्ट बनाने से पहले यह मंथन की जरूरत है कि जबरन पुरुषों को अपशब्द कहना, सेक्स, आजादी के नाम पर लड़कियों को शराब के बार और हाथों में सिगरेट थमाना बंद करें. महिलाओं के दिल और उनके सोच और चाहत के बेडरूम में एंट्री लेने से पहला दारू के ठेके और बाथरूम से निकलें. तभी दर्शक वाकई में इनसे राबता बना पाएंगे.