Abhay Deol ने शेयर किया वेब सीरीज़ '1962' का फ़र्स्ट लुक, 3000 चीनी सैनिकों पर भारी पड़े थे 125 भारतीय जांबाज़
अख़बार की कतरनों के ज़रिए दिखाया जाता है कि गलवान घाटी में सैनिकों के बीच झड़प चल रही हैं। भारत की ओर से चीन को चेतावनी दी जाती है। इसके बाद कहानी 1962 के नवम्बर महीने में पहुंच जाती है जब भारत और चीन के बीच लड़ाई हुई थी।
नई दिल्ली, जेएनएन। डिज़्नी प्लस हॉटसटार की वेब सीरीज़ 1962- The War In The Hills बॉलीवुड के बेहतरीन अभिनेताओं में शामिल अभय देओल सेना के अफ़सर के रोल में दिखायी देंगे। अभय ने सीरीज़ की पहली झलक साझा की है। यह वेब सीरीज़ भारत और चीन के बीच सालों से चल रहे सीमा विवाद की कहानी दिखाती है।
अभय ने इंस्टाग्राम पर टीज़र शेयर करके लिखा- हमारी मातृभूमि की रक्षा के लिए जो बहादुर लड़ते हैं, उन्हें सलाम करने के लिए आज से बेहतर मौक़ा क्या हो सकता है। हॉटस्टार स्पेशल्स 1962- द वॉर इन द हिल्स का फ़र्स्ट लुक हाज़िर है। एपिसोड्स 26 फरवरी को आ रहे हैं। टीज़र की शुरुआत लद्दाख में पिछले साल चीनी सैनिकों की घुसपैठ की ख़बर से होती है।
अख़बार की कतरनों के ज़रिए दिखाया जाता है कि गलवान घाटी में सैनिकों के बीच झड़प चल रही हैं। भारत की ओर से चीन को चेतावनी दी जाती है। इसके बाद कहानी 1962 के नवम्बर महीने में पहुंच जाती है, जब भारत और चीन के बीच लड़ाई हुई थी। इस लड़ाई में महज़ 125 भारतीय जवानों ने चीन के 3000 सैनिकों के छक्के छुड़ा दिये थे। सीरीज़ का निर्देशन महेश मांजरेकर ने किया है।
अभय इससे पहले साइंस फिक्शन थ्रिलर जेएल 50 में नज़र आ चुके हैं, जिसमें कंपज कपूर और पीयूष मिश्रा ने भी अहम किरदार निभाये थे।
1964 में 1962 के युद्ध पर आयी थी हक़ीक़त
बता दें, भारत-चीन के बीच हुई 1962 की लड़ाई पर 1964 में हक़ीक़त फ़िल्म आयी थी, जिसमें अभय के अंकल वेटरन एक्टर धर्मेंद्र ने लीड रोल निभाया था। इस फ़िल्म का निर्माण और निर्देशन चेतन आनंद ने किया था। फ़िल्म में बलराज साहनी, प्रिया राजवंश, संजय ख़ान और विजय आनंद जैसे कलाकारों ने अहम रोल निभाये थे। वेटरन एक्टर संजय ख़ान का यह डेब्यू था।
हक़ीक़त हिंदी सिनेमा की कल्ट वॉर फ़िल्मों में गिनी जाती है। मदन मोहन ने फ़िल्म का संगीत तैयार किया था, जो आज भी पसंद किया जाता है। कैफ़ी आज़मी के लिखे गीतों ने कई पीढ़ियों को दीवाना बनाया है। ख़ासकर, मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ से सजा गीत 'कर चले हम फ़िदा जानो-तन साथियों, अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो' आज भी सुनने वालों के रोंगटे खड़े कर देता है।