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Special Ops Review: एक बार शुरू कर ली... तो खत्म कर के ही उठेंगे नीरज पांडे की 'स्पेशल ऑप्स'

Special Ops Review नेटफ्लिक्स की ताजमहल 1989 के बाद दूसरी वेब सीरीज़ हैं जो कंटेंट के मामले में काफी सही लग रही है। नीरज पांडेय एक बार फिर अपना असर छोड़ने में कामयाब रहे।

By Rajat SinghEdited By: Published: Wed, 18 Mar 2020 04:14 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2020 11:49 AM (IST)
Special Ops Review: एक बार शुरू कर ली... तो खत्म कर के ही उठेंगे नीरज पांडे की 'स्पेशल ऑप्स'
Special Ops Review: एक बार शुरू कर ली... तो खत्म कर के ही उठेंगे नीरज पांडे की 'स्पेशल ऑप्स'

नई दिल्ली (रजत सिंह)। Special Ops Review: हॉटस्टार की नई वेब सीरीज़ 'स्पेशल ऑप्स' 17 मार्च को रिलीज़ हो गई। इस वेब सीरीज़ के जरिए 'स्पेशल 26', 'बेबी' और 'ए वेडनेसडे' जैसी फ़िल्में बना चुके निर्देशक नीरज पांडेय ने अपना डिजिटल डेब्यू किया है। केके मेनन वेब सीरीज़ में मुख्य भूमिका हैं। साल 2020 में अब तक आई वेब सीरीज़ में से यह पहली स्पाई थ्रिलर है। नेटफ्लिक्स की 'ताजमहल 1989' के बाद यह दूसरी वेब सीरीज़ है, जो कंटेंट के मामले में काफी सही लग रही है। नीरज पांडेय एक बार फिर अपना असर छोड़ने में कामयाब रहे हैं। 

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कहानी

वेब सीरीज़ की कहानी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के ऑफ़िसर हिम्मत सिंह के इर्द-गिर्द बुनी गई है। हिम्मत सिंह के ऊपर  बिना किसी स्त्रोत के ज्यादा खर्च करने का आरोप है। इसके लिए वह एक कमेटी की सामना कर रहा है। वह 2001 में हुए संसद पर हमले और मुंबई ब्लास्ट जैसे मामलों की जांच भी कर रहा है। उसे इकलाख ख़ान नाम के एक आंतकवादी की तलाश है, जो कि इन हमलों के पीछे का मास्टरमाइंड है। साल 2001 में वह हिम्मत सिंह के हाथ आने से बच गया था, तब से वह इसकी तलाश में हैं। मीडिल ईस्ट में हिम्मत के लिए रॉ एजेंट काम करते हैं। उसे इकलाख़ ख़ान के ठिकाने के बारे में टिप मिली है। अब वह उसे पकड़ पाता है या नहीं इसके लिए आपको वेब सीरीज़ देखनी होगी।

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क्या लगा सही

वेब सीरीज़ की सबसे ख़ास बात है कि इसके निर्देशक नीरज और शिवम नायर पांडेय ने एक बार फिर साबित किया है कि वह इस जॉनर के बादशाह हैं। सीरीज़ में आपको लगातार स्पेंस और थ्रिलर देखने को मिलेगा। वहीं, एक्टिंग की बात करें, तो केके मेनन सब पर भारी पड़े हैं। उनको बार-बार स्क्रीन पर देखने का दिल करता है। इसके अलावा छोटे-छोटे रोल में दिख रहे एक्टर्स ने भी अपनी भूमिका सही तरीके निभाया है। सीरीज़ में संवाद भी काफी सही लग रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने जिस तरीके सच्ची घटानाओं से जोड़ा गया है यह देखना काफी अच्छा लगा है।  

क्या है कमी

वेब सीरीज़ को देखकर आपके दिमाग में कई बार मनोज बाजपेयी की 'द फैमिली मैन' की याद आती है। कभी-कभी दोहराव भी लगता है। सीरीज़ को देखने के लिए थोड़े से धैर्य की जरूरत है, क्योंकि यह कई जगह पर स्लो भी लगती है। करन टैक्कर ने इसके जरिए मनोरंजन की दुनिया में वापसी की है। हालांकि, उन्हें प्रभाव छोड़ने काफी टाइम लगता है। कहानी में कुछ-कुछ लूप होल्स भी नजर आते हैं। 

अंत में 

अंत में बात है कि हॉटस्टार की यह सीरीज़ कम से कम एक बार तो देखने लायक है। इसी ख़ास बात है कि जब आप इसे देखने बैठेंगे, ख़त्म करके ही उठेंगे।  यह एक अच्छी वेब सीरीज़ है, लेकिन नेटफ्लिक्स की 'द स्पाई' तक के लेवल तक नहीं पहुंच पाती है। 


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