'भौकाल' एक्टर मोहित रैना ने शादी को लेकर कही ये बड़ी बात, कहा- 'परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि...'
टेक्निकल सपोर्ट मिलता है और माहौल बहुत अच्छा बनाया गया है। मैं जब भी वहां गया हूं तो चार-पांच फिल्मों की शूटिंग चल रही होती है। बस इतना है कि आप जब भी वहां से लौटते हैं तो खूब खा पीकर लौटते हैं।
दीपेश पांडेय, मुंबई। अभिनेता मोहित रैना इन दिनों एमएक्स प्लेयर पर रिलीज वेब सीरीज ‘भौकाल 2’ में पुलिस अधिकारी के किरदार में नजर आ रहे हैं। उनसे इस शो, शादी और करियर को लेकर दीपेश पांडेय की बातचीत साल के पहले दिन ही शादी की खबर सुनाकर आपने सबको चौंका दिया...
कभी-कभी जीवन में कुछ चीजें प्लान करके नहीं होती हैं। जो होना लिखा होता है वो हो जाता है। परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि शादी हो गई। मैं हमेशा से ऐसा रहा हूं। मुझे काम करना पसंद है, काम के जरिए जो अटेंशन मिलता है, मुझे वह संभालना नहीं आता है। मैं इसे अपनी कमी मानता हूं, जिसे सुधारना चाहूंगा। मेरी कोशिश हमेशा से निजी जिंदगी को काम से अलग रखने की रही है।
अदिति से मुलाकात कैसे हुई? शादी के बाद जिम्मेदारियों में क्या बदलाव देखते हैं?
उनसे मेरी पहली मुलाकात दोस्तों के साथ हुई। वह हमारे फ्रेंड सर्कल का हिस्सा थीं। दो लोगों के बीच किसी भी तरह के रिश्ते के लिए दोस्ती सबसे बड़ा आधार होती है। हमारी दोस्ती हमने पहले दिन से बरकरार रखी है। इंसान के आगे बढ़ने की एक नियमित प्रक्रिया होती है। शादी के बाद जिम्मेदारियों का बढ़ना
इसी का हिस्सा है।
‘भौकाल’ के दूसरे सीजन में क्या नया है?
ये पूरा शो आईपीएस नवनीत सिकेरा के जीवन से प्रेरित है कि कैसे उन्होंने पिछली सदी के नौवें दशक में माफिया राज का सफाया किया था। पहले सीजन को हमने मुजफ्फरनगर पर फोकस किया था, जहां उन्हें शौकीन (माफिया) का सामना करना पड़ा था। दूसरे सीजन की शुरुआत शौकीन का काम आगे बढ़ा रहे डेढ़ा भाइयों
की कहानी के साथ आगे बढ़ती है। दूसरे सीजन में और भी ज्यादा एक्शन, रोमांस, ड्रामा और मनोरंजन है।
अब भौकाल दिखाने में कितना माहिर हो गए हैं?
इस शो से पहले मैं इस शब्द से बिल्कुल परिचित नहीं था। इस शो का हिस्सा बनने और लेखकों से बात करने के बाद मैंने उत्तर प्रदेश की भाषा शैली अपनाने की कोशिश की है। निजी जिंदगी में उतना भौकाल नहीं दिखा पाता हूं। मेरी जिंदगी में इतना रंग नहीं है कि भौकाल दिखा सकूं, ऐसे में स्क्रीन पर ही भौकाल दिखाने में मजा आता है।
अपने गृहनगर जम्मू से जुड़े रह पाना कितना संभव होता है?
मैं भी अपनी जन्मभूमि से उतना ही जुड़ा हुआ हूं जितका कोई आम इंसान। वहां मेरा घर है और आना-जाना लगा रहता है। स्कूल की पढ़ाई वहीं से हुई है। वहां मेरे कई दोस्त हैं। मुझे नहीं लगता है कि आप कभी खुद को अपनी मिट्टी से अलग कर सकते हैं।
लखनऊ में इस शो की शूटिंग के दौरान सबसे ज्यादा किस चीज ने प्रभावित किया?
उत्तर प्रदेश सरकार शूटिंग के लिए बहुत सहूलियतें देती है। टेक्निकल सपोर्ट मिलता है और माहौल बहुत अच्छा बनाया गया है। मैं जब भी वहां गया हूं तो चार-पांच फिल्मों की शूटिंग चल रही होती है। बस इतना है कि आप जब भी वहां से लौटते हैं तो खूब खा पीकर लौटते हैं। मैं खुशकिस्मत रहा कि मुझे वहां दो-तीन क्षेत्रीय लोगों के साथ काम करने का मौका मिला। वो लोग हर दूसरे दिन कुछ न कुछ अच्छी और प्रसिद्ध चीज खाने के लिए लाया करते थे।
वेब शो ‘काफिर’ से शुरू डिजिटल प्लेटफार्म का सफर काफी आगे बढ़ गया है। क्या यह प्लेटफार्म ज्यादा पसंद आ रहा है?
जी हां बिल्कुल, यहां मुझे अलग-अलग विषयों पर काम करने का मौका मिलता है। यहां चीजें एक सीमित समय में शुरू और खत्म हो जाती हैं। फिलहाल मैं इस फेज का आनंद उठा रहा हूं। इस साल मेरी दो वेब सीरीज और एक फिल्म आएगी। फिलहाल मैं उनके बारे में ज्यादा नहीं बता सकता हूं।