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Interview: 'शेरशाह' एक्टर राज अर्जुन ने कहा- 'सीक्रेट सुपरस्टार' करियर का टर्निंग प्वाइंट, उसी की वजह से मिले 'साईं'

अमेज़न प्राइम वीडियो पर हाल ही में रिलीज़ हुई चर्चित फ़िल्म शेरशाह में भी राज अर्जुन ने सूबेदार रघुनाथ का किरदार निभाया था जो कारगिल की जंग में कैप्टन विक्रम बत्रा के साथ थे। राज वादा करते हैं कि दर्शक उन्हें विभिन्न भूमिकाओं में देखते रहेंगे।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Mon, 30 Aug 2021 04:23 PM (IST)Updated: Mon, 30 Aug 2021 06:21 PM (IST)
Raj Arjun and as Sai Baba in Sabka Sai. Photo- Instagram

मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। एमएक्स प्लेयर पर 26 अगस्त को रिलीज़ हुई वेब सीरीज़ सबका साईं में साईं बाबा की केंद्रीय भूमिका निभाने वाले अभिनेता राज अर्जुन ने अपने करियर में लम्बा संघर्ष किया है। मनमाफ़िक काम नहीं मिला, मगर इंडस्ट्री में सरवाइव करने के लिए वो काम भी किया।

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फिर 2017 में आयी आमिर ख़ान के प्रोडक्शन में बनी सीक्रेट सुपरस्टार, जिसमें राज ने ज़ायरा वसीम के किरदार के पिता की नेगेटिव भूमिका निभायी थी और इसके बाद उनके करियर का रुख़ ऐसा बदला कि पलटकर नहीं देखा।

अमेज़न प्राइम वीडियो पर हाल ही में रिलीज़ हुई चर्चित फ़िल्म शेरशाह में भी राज अर्जुन ने सूबेदार रघुनाथ का किरदार निभाया था, जो कारगिल की जंग में कैप्टन विक्रम बत्रा के साथ थे। राज वादा करते हैं कि दर्शक उन्हें विभिन्न भूमिकाओं में देखते रहेंगे। कंगना रनोट की थलाइवी के साथ वो बड़े पर्दे पर नज़र आएंगे। पेश है राज अर्जुन से जागरण डॉटकॉम की बातचीत- 

सबका साईं वेब सीरीज़ में साईं बाबा की भूमिका कैसे मिली और किरदार में उतरने के लिए आपको क्या तैयारियां करनी पड़ीं?

क्या हुआ था मनोज, मैं इसक किरदार के लिए तैयार नहीं था, क्योंकि मैं जो काम कर रहा था, वो सोशल इशूज़, रियलिस्टिक अप्रोच और रॉ एक्टिंग को लेकर था। मैंने तय किया था कि कुछ ऐसा काम करूंगा, जो लगे ही ना कि अभिनय है। लगे कि वो आदमी किरदार का जीवन जी रहा है। मैं तड़पता रहता था कि ऐसा एक मौक़ा मिल जाए। फिर भगवान ने मौक़ा भी दे दिया। उसके बाद मैंने चार-पांच फ़िल्मों में नेगेटिव रोल भी कर लिये। क्या होता है कि सारे के सारे किरदार मेरे अंदर ही हैं। कुछ कैरेक्टर्स जब पहले मिल जाते हैं तो आप कम्फर्ट ज़ोन में आ जाते हो। आपको लगता है कि मैं इसमें काम करता हूं, मैं इसका एक्सपर्ट हूं। मैं जिसमें एक्सपर्ट था, मैं वही कर रहा था।

 

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तब जाकर मुझे साईं ऑफ़र हुआ। मैंने दो बार यह रोल ठुकरा दिया था, क्योंकि मैं डर गया था। यह लार्जन दैन लाइफ़ कैरेक्टर है। इस किरदार को करने के लिए उसकी इमोशंस को समझना भी ज़रूरी है। मुझे ऐसा लगा कि मैं उन इमोशंस को समझने के लिए अभी तैयार नहीं हूं। एक जगह से आया, फिर दूसरी जगह से आया। फिर जब तीसरी बार ऑफ़र हुआ तो मुझे लगा कि ऊपर वाला मुझे कोई मैसेज भेज रहा है। साईं को मैंने नहीं चुना है, साईं ने मुझे चुना है। आप सोचिए, हिंदुस्तान में इतने सारे एक्टर हैं। बार-बार एक-दो महीने के अंतराल में मुझे तीन बार साईं का रोल ऑफ़र होना... तो मैंने बस यह कोशिश की। वो मैं छाती ठोककर कह सकता हूं कि मैंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। मैंने सब कुछ दिया। मैंने मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी।

सबका साईं की शूटिंग कहां हुई और कितना समय लगा?

पुणे के पास इंद्राबली गांव है। फरवरी 2020 में पहला शेड्यूल किया था। कोई आठ-दिन का काम था। फिर लम्बा ब्रेक आ गया। कुछ मैं बिज़ी था और फिर मार्च में कोविड शुरू हो गया था। 15 दिसम्बर 2020 से आख़िरी शेड्यूल शुरू किया और तब से 2 फरवरी 2021 तक मैं वहीं पर था। दादा कोंडके के परिवार का एक स्टूडियो है, वहां भी शूट हुआ है।

 

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साईं बाबा पर कई फ़िल्में और टीवी धारावाहिक आ चुके हैं। सबका साईं में अलग क्या है?

इस सीरीज़ में दर्शक देखेंगे कि साईं बाबा का मानवीय रूप क्या था। एक इंसान के रूप में साईं बाबा को शायद कोई पहली बार देखेगा। भगवान के रूप में तो हम उन्हें मानते हैं और मानते रहेंगे। वो श्रद्धा तो बनी रहेगी। लेकिन उनके मानवीय पहलू को पर्दे पर ज़्यादा नहीं उतारा गया है। साईं बाबा को गुस्सा भी आता था। नाराज़ भी होते थे। साईं बाबा उदास भी होते थे। साईं बाबा हंसते भी थे। उनका सेंस ऑफ़ ह्यूमर भी बहुत अच्छा था। यह पक्ष हमने कम देखा है। जो हमने देखा है, वो सबका भला करते थे और प्यार से डील करते थे। दर्शक का इंटरेस्ट पकड़कर रखेगी। मैं उसको वेब सीरीज़ बोलने में भी झिझकता हूं, क्योंकि मैंने उसको जीया है। जिस फिलॉसफी को वो सपोर्ट करते थे, उसकी तो आज के समय में हमें बहुत ज़रूरत है।

आपकी अभिनय यात्रा के बारे में जानना चाहूंगा। कब और कैसे यह सफ़र शुरू किया?

अच्छा लगा, आपने पर्सनल सवाल पूछा। मैं वैसे लो प्रोफाइल रहना पसंद करता हूं, इसलिए ज़्यादा बातें नहीं की हैं, लेकिन मैं आपको बता हूं कि मैं भोपाल का हूं। स्कूल में मुझे एक्टिंग का शौक़ लगा। स्कूल में ही थिएटर करना शुरू कर दिया था। एक पौराणिक नाटक किया था, जिसमें मैंने राजा दशरथ का रोल निभाया था और श्रवण कुमार को तीर मारना था। मैंने तीर छोड़ा। वहीं गिर पड़ा। आगे गया ही नहीं। मेरे सारे दोस्तों ने मेरी बहुत हंसी बनायी। उसके बाद मैंने तय कर लिया कि मैं अपने क्राफ्ट को इतना मज़बूत करूंगा कि हर एक चीज़ परफेक्ट हो।

 

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10-15 साल भोपाल में थिएटर किया। फिर मैंने भारत भवन में गेस्ट आर्टिस्ट के तौर पर काम किया। हबीब साहब (मशहूर रंगकर्मी और नाटक लेखक हबीब तनवीर) के साथ बहुत काम किया। मुंबई आकर थिएटर किया। बहुत काम ढूंढा। काम नहीं मिला। फिर मुझे 'सीक्रेट सुपरस्टार' मिली और अब मुझे साईं मिले और मैं साईं के साथ हूं।

सीक्रेट सुपरस्टार से पहले भी आपने कुछ फ़िल्में की थीं, लेकिन क्या आप मानते हैं कि सीक्रेट सुपरस्टार आपके करियर का टर्निंग प्वाइंट है?

आप विनम्रता से कह रहे हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि सीक्रेट सुपरस्टार मेरे करियर का टर्निंग प्वाइंट है। अगर यह फ़िल्म नहीं होती तो मैं आज यहां नहीं होता और शायद साईं भी मुझे नहीं मिले होते। उसी से ठहराव आया। उसी से सुरक्षा आयी। उसी से चुनाव करने की एक क्षमता आयी, जिससे अब मैं अच्छे काम को चुन पा रहा हूं। उसके बाद ही जीवन में सही फ़ैसले लेना शुरू किया। उसके पहले जो भी काम किया, वो अपने अस्तित्व को बनाये रखने के लिए था। वो करने की मेरी चाह नहीं थी।

 

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सबका साईं के निर्देशक अजीत भैरवकर के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा? 

इस प्रोजेक्ट से वो इतना जुड़े हुए थे कि उनकी सांसें इसमें बसी हुई थीं। बहुत ही मेहनती, जुनूनी और जोशीला इंसान देखा। कुछ चीज़ों को लेकर अजीत के साथ मेरा डिस्कशन होता था, जो बहुत लम्बा चलता था। पैकअप के बाद वो मेरे रूम में आ जाता था और हम घंटों बैठकर डिस्कशन करते थे। बहुत सुलझे हुए और समझदार इंसान हैं। मेरे सारी शंकाओं का हल उनके पास रहता था। स्क्रिप्ट में अगर मुझे कुछ मिसिंग लगता था तो उनको कहता था, तो वो शिरडी में फोन लगाकर, भक्तों को फोन लगाकर, पता करके मुझे बताते थे। शूटिंग के बाद वो और मैं हम दोनों अपने डिस्कशंस को मिस कर रहे हैं।

धार्मिक किरदार निभाने वाले कलाकारों के साथ दिक्कत यह है कि छवि में बंधकर रह जाते हैं। आपको ऐसा कोई डर है क्या?

मैं एक चीज़ करके बोर हो जाता हूं। साईं के बाद मैंने ऐसे प्रोजेक्ट कर लिये हैं कि दर्शक मुझे अलग-अलग रूपों में देखेंगे। कहेंगे हमारा साईं है, लेकिन किसी और रूप में है। मेरे अनेक रूप देखने को मिलेंगे आपको। वादा करता हूं कि किसी एक इमेज में बंधकर नहीं रहूंगा। अगर बंधा तो वहीं से मेरा पतन शुरू होगा। मुझे लम्बी उड़ान उड़नी है। वैराइटी का काम करना है। अगले साल तक बिज़ी हूं। थलाइवी, लव हॉस्टल, युद्धरा, एक तेलुगु वेब सीरीज़ में देखेंगे।


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