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Mirzapur 2 Review: कालीन भैया और गुड्डू पंडित की टक्कर में फीमेल कैरेक्टर्स ने टाइट किया भौकाल, पढ़ें पूरा रिव्यू

Mirzapur Season 2 Review गुड्डू पंडित का बदला मिर्ज़ापुर की गद्दी के लिए मुन्ना त्रिपाठी की तड़प और कालीन भैया की राजनीतिक महत्वाकांक्षा पर इस सीज़न की कहानी गढ़ी गयी। मगर पहले सीज़न वाली धार दूसरे सीज़न में कुंद पड़ती नज़र आयी।

By Manoj VashisthEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 02:32 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 12:28 PM (IST)
Mirzapur 2 Review: कालीन भैया और गुड्डू पंडित की टक्कर में फीमेल कैरेक्टर्स ने टाइट किया भौकाल, पढ़ें पूरा रिव्यू
मिर्ज़ापुर 2 अमेज़न प्राइम पर रिलीज़ हो गया है। (Photo- Twitter)

नई दिल्ली, मनोज वशिष्ठ। तकरीबन दो साल के इंतज़ार के बाद मिर्ज़ापुर का दूसरा सीज़न अमेज़न प्राइम वीडियो पर गुरुवार रात को तय समय से लगभग 3 घंटे पहले ही रिलीज़ कर दिया गया। गुड्डू पंडित का बदला, मिर्ज़ापुर की गद्दी के लिए मुन्ना त्रिपाठी की तड़प और कालीन भैया की राजनीतिक महत्वाकांक्षा... पर इस सीज़न की कहानी गढ़ी गयी। मगर, पहले सीज़न वाली धार दूसरे सीज़न में कुंद पड़ती नज़र आयी। पुराने और नये किरदारों के बीच झूलते दूसरे सीज़न का सफ़र रोमांच के मामले में फिसड्डी साबित हुआ। 

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अगर दूसरे सीज़न का भौकाल किसी ने टाइट रखा तो वो महिला किरदार हैं, जिन्होंने कुछ चौंकाने वाले ट्विस्ट और टर्न्स इस सीज़न को दिये। मिर्ज़ापुर 2 जहां पुरुष किरदारों के दंभ और श्रेष्ठ होने की सोच और आपराधिक विरासत को आगे बढ़ाता है, वहीं इस शोषक व्यवस्था को चुनौती देने की महिला किरदारों की हिम्मत और साजिशों को रेखांकित करता है। इन किरदारों के ज़रिए मिर्ज़ापुर की पुरुषवादी व्यवस्था पर गहरी चोट की गयी है। गुड्डू का बदला हो या मुन्ना त्रिपाठी की मिर्ज़ापुर का किंग बनने की ललक या फिर कालीन भैया की सियासी कसक, सभी की सफलता और विफलता में कहीं ना कहीं महिला किरदारों का ही योगदान है। 

ख़ासकर, अखंडानंद त्रिपाठी यानी कालीन भैया (पंकज त्रिपाठी) की पत्नी बीना त्रिपाठी (रसिका दुग्गल) का किरदार दूसरे सीज़न में उभरकर आया है। घर में पूर्व बाहुबली ससुर सत्यानंद त्रिपाठी (कुलभूषण खरबंदा) के शोषण के ख़िलाफ़ बीना का मौन विद्रोह मिर्ज़ापुर 2 में होने वाली प्रमुख घटनाओं का टर्निंग प्वाइंट कहा जा सकता है, क्योंकि इसके बिना गुड्डू पंडित का बदला भी पूरा नहीं होता। 

वहीं, दूसरा किरदार माधुरी यादव है, जो सीएम की बेटी और कुछ घटनाक्रम के बाद मुन्ना त्रिपाठी (दिव्येंदु) की पत्नी बन जाती है। बाद में ख़ुद सीएम भी। इस किरदार ने कालीन भैया की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पलीता लगाकर उसे कमज़ोर करने में अहम रोल निभाया। और यही किरदार मुन्ना त्रिपाठी को पिता के ख़िलाफ़ बग़ावत के रास्ते पर ले जाने के लिए प्रेरित करता है। इस नये किरदार को ईशा तलवार ने निभाया। 

तीसरा महिला किरदार, जो मिर्ज़ापुर 2 में अहमियत रखता है, वो है गोलू गुप्ता, जिसे श्वेता त्रिपाठी ने निभाया है। गोलू गुप्ता का किरदार भी पहले सीज़न से आया है। त्रिपाठियों से बदला लेने के लिए गोलू, गुड्डू के साथ ना सिर्फ़ खड़ी रहती है, बल्कि जब उसे लगता है कि गुड्डू अपने मक़सद से भटक रहा है तो उसे सचेत भी करती है। गोलू के ट्रैक के ज़रिए दद्दा त्यागी (लिलीपुट) और उनके जुड़वां बेटों (विजय वर्मा) के किरदारों को आगे बढ़ने की वजह मिलती है। वर्ना मिर्ज़ापुर 2 में इन नये किरदारों की अहमियत शून्य रहती।

मिर्ज़ापुर 2 की एक कमज़ोरी इसकी कहानी के नये पुरुष किरदार भी हैं, जो सीज़न की पकड़ मजबूत करने में कोई ख़ास योगदान नहीं करते। फिर चाहे वो शरद शुक्ला का किरदार हो, जो रति शंकर शुक्ला का बेटा है या फिर दद्दा त्यागी और उनके जुड़वां बेटों के किरदार। ख़ासकर, शरद शुक्ला वाले किरदार से इस बार कुछ धमाके की उम्मीद की जा रही थी, क्योंकि वो भी ख़ुद को मिर्ज़ापुर की गद्दी का दावेदार कहता है, मगर यह किरदार उभरकर नहीं आ सका। 

गुड्डू की बहन डिंपी के ट्रैक के ज़रिए रॉबिन यानि राधे श्याम अग्रवाल का किरदार इंट्रोड्यूस होता है, जो लखनऊ स्थित एक इनवेस्टमेंट ब्रोकर है और अपराध से उपजी काली कमाई को इनवेस्ट करके मुनाफ़ा कमाकर देता है। इस किरदार को प्रियांशु पेनयुली ने निभाया है। प्रियांशु ने हर्षवर्धन कपूर की फ़िल्म भावेश जोशी में टाइटल रोल निभाया था। वहीं, नेटफ्लिक्स की एक्सट्रैक्शन में भी उनकी एक भूमिका थी। शायद इन्हें तीसरे सीज़न के लिए बचाकर रखा गया है। फ़िलहाल पूरा सीज़न अधिकतर पुराने किरदारों के कंधों पर ही टिका रहता है। 

बाहुबलियों की सत्ता का सबसे बड़ा आधार भय होता है। अगर समाज भयमुक्त हो गया तो बाहुबली सत्ता-मुक्त हो सकते हैं। दूसरे सीज़न में कालीन भैया के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि चुनाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश के सीएम सूर्य प्रताप यादव (पारितोष संद) प्रदेश में अपराध को नियंत्रित करना चाहते हैं, जो कालीन भैया के अवैध हथियारों के धंधे के लिए नुक़सानदायक है। पंकज त्रिपाठी ने कालीन भैया के किरदार की तमाम परतों को सहजता से जिया है। बदले की आग में सुलगते गुड्डू पंडित बने अली फ़ज़ल और मिर्ज़ापुर की गद्दी पर बैठने के लिए बेचैन मुन्ना त्रिपाठी के रोल में दिव्येंदु अपने-अपने किरदारों में धाराप्रवाह हैं। 

गुड्डू के पिता रमाकांत त्रिपाठी के किरदार में राजेश तैलंग और मां वसुधा के रोल में शीबा चड्ढा ऐसे माता-पिता के दुख और छटपटाहट को उभारने में कामयाब रहे, जिन्होंने अपना बेटा-बहू खोया है, वहीं दूसरा अपराध के रास्ते पर चल पड़ा है। दोनों गुड्डू को वापस लाने की कोशिश करते भी दिखायी देते हैं। बाहुबलियों के बीच रहते हुए उनकी लंका ढहाने की कोशिश करते एसएसपी रामशरण मौर्य के किरदार में अमित सियाल ने बेहतरीन काम किया है। 

मिर्ज़ापुर में जहां बब्लू पंडित (विक्रांस मैसी) और स्वीटी गुप्ता (श्रिया पिलगांवकर) के किरदारों का अंत हुआ था, वहीं दूसरे सीज़न में सत्यानंद त्रिपाठी और मुन्ना त्रिपाठी (दिव्येंदु) के किरदार अपने अंजाम तक पहुंचा दिये गये हैं। गुड्डू पंडित का बदला पूरा हुआ और मिर्ज़ापुर की गद्दी उन्हें मिल गयी है।

ज़ाहिर है कि अगर तीसरा सीज़न आया तो कहानी कालीन भैया की वापसी पर आधारित होगी, जिन्हें गुड्डू पंडित के अटैक के बाद शरद शुक्ला बचाकर ले जाता है। मगर, जिस बेताबी से मिर्ज़ापुर 2 का इंतज़ार किया गया, लगता नहीं कि तीसरे सीज़न के लिए वो बेताबी कायम रहेगी। पहले सीज़न की सबसे बड़ी ताक़त इसके पैने और तीखे संवाद थे। स्थानीय बोलचाल की छौंक लिए यह डायलॉग मिर्ज़ापुर की पहचान बन गये, मगर मिर्ज़ापुर 2 में यह डायलॉगबाज़ी प्रभावहीन रही।

कलाकार- पंकज त्रिपाठी, अली फ़ज़ल, दिव्येंदु, रसिका दुग्गल, ईशा तलवार, श्वेता त्रिपाठी, कुलभूषण खरबंदा, राजेश तैलंग, विजय वर्मा, हर्षिता गौड़ आदि।

निर्देशक- गुरमीत सिंह और मिहिर देसाई

निर्माता- फरहान अख़्तर और रितेश सिधवानी

रेटिंग- **1/2 (ढाई स्टार)


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