Bahut Hua Samman: इन पांच वजहों से देख सकते हैं संजय मिश्रा की हॉटस्टार फ़िल्म 'बहुत हुआ सम्मान'
Bahut Hua Samman डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज़ हुई फ़िल्म बहुत हुआ सम्मान में संजय मिश्रा की जबरदस्त एक्टिंग देखने को मिली। इस फ़िल्म को देखने के लिए पांच वजहें हो सकती है। आइए जानते हैं . . .
नई दिल्ली, जेएनएन। Bahut Hua Samman: डिज़्नी प्लस हॉटस्टार पर इंडियन प्रीमियर लीग के तड़के बीच कुछ फ़िल्में और वेब सीरीज़ भी दस्तक दे रही हैं। एक हफ्ते पहले गजराज राव स्टारर परिवार रिलीज़ हुई। अब संजय मिश्रा स्टारर 'बहुत हुआ सम्मान' रिलीज़ हुई है। कॉमेडी फ़िल्म में देश के वर्तमान स्थिति पर हल्का-फुल्का व्यंग करने की कोशिश की गई है। साथ ही कैप्टिलिज़्म बनाम मार्क्सवाद पर भी तंज कसा गया है। हम आपको पांच ऐसी वज़ह बता रहे हैं, जिसके लिए आप इस फ़िल्म को देख सकते हैं।
1. कॉन्सेप्ट- फ़िल्म में जो कॉन्सेप्ट आप देखेंगे, इससे पहले 'बैंक चोर' और 'वन टू थ्री' जैसी कॉमेडी फ़िल्मों देख चुके हैं। कॉमिक्स के अंदाज में कहानी को आगे बढ़ाने की कोशिश की गई है। इससे कई बार कहानी का लय बरकारर रहने में मदद मिलती है। इस फ़िल्म इसका बेहतर इस्तेमाल किया गया है। लेकिन कई बार इसका इस्तेमाल स्क्रिप्ट की ख़ामी को छुपाने में किया गया है।
2. स्टार कास्ट- फ़िल्म का दूसरा मजबूत पक्ष है इसका स्टार कास्ट। संजय मिश्रा, जुएल राधव और अभिषेक चौहान मुख्य भूमिका हैं। संजय मिश्रा को इससे पहले इस तरह के रोल कम ही मिले हैं, जिसमें वह एक्शन हीरो की भूमिका में हो। जुएल और अभिषेक भी काफी फ्रेश एक्टिंग करते हैं। ख़ास कर अभिषेक की एक्टिंग काफी आकर्षित करती है। इनके अलावा निधि सिंह, राम कपूर और नमित दास जैसे कई जाने पहचाने एक्टर्स आपको देखने को मिल जाएंगे।
3. निर्देशन- फ़िल्म का निर्देशन बहुत उच्च क्वालिटी का नहीं हैं, लेकिन आपको हंसाने में कामयाब है। ख़ास बात है आशीष शुक्ला ने फ़िल्म को ओवर होने से बचा लिया है। जिसकी पूरी संभावना इस फ़िल्म में है। आशीष इससे पहले अनदेखी जैसे वेब सीरीज़ बना चुके हैं। सोनी लिव रिलीज़ अनदेखी ने काफी तारीफ बटोरा था।
4. कॉमेडी संग व्यंग- इंजीनियर्स की कहानी है। बनारस का लोकेशन है। ऐसे कॉमेडी प्लॉट यही से तैयार हो जाता है। इसके बाद ना सिर्फ सिचुएशन कॉमेडी बल्कि डायलॉग्स से भी हंसाने की कोशिश की गई है। इस मामले में फ़िल्म का लगभग सही इस्तेमाल किया गया है। लेकिन कुछ-कुछ चीजें कमजोर और क्लिसे भी लगता है। हालांकि, इसमें सबसे ख़ास है, वर्तमान परिदृष्य पर व्यंग करने की कोशिश की गई है। जैसे आजकल के स्टैंडअप कॉमेडी में देखने को मिलता है।
5. स्पीड- फ़िल्म की कही भी स्लो नहीं पड़ती है। लगातार अपनी स्पीड पर चलती है। फुल मशाला फ़िल्म के जरिए कुछ नैतिकता सीखने की कोशिश की गई है। कुल मिलकार फ़िल्म बोर नहीं करती है। एक अच्छा टाइम पास है।