Dark 7 White एक्टर सुमीत व्यास ने कहा- 'टीवी पर छवि के चलते जोख़िम नहीं उठाना चाहते निर्माता'
वेब के कंटेंट क्रिएटर्स कलाकारों को उनकी छवि के आधार पर नहीं बल्कि सिर्फ काबिलियत की कसौटी पर कास्ट कर रहे हैं तो कलाकार भी खुद को एक्सप्लोर करने के मौके छोड़ना नहीं चाहते। टीवी पर रोमांटिक किरदारों में टाइपकास्ट हो चुके कलाकार वेब पर अलग-अलग किरदार निभा रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। लंबे समय तक छोटे पर्दे पर एक ही मिजाज के किरदारों में दिखने वाले कलाकार डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बदले-बदले नजर आ रहे हैं। वेब के कंटेंट क्रिएटर्स कलाकारों को उनकी छवि के आधार पर नहीं, बल्कि सिर्फ काबिलियत की कसौटी पर कास्ट कर रहे हैं तो कलाकार भी खुद को एक्सप्लोर करने के मौके छोड़ना नहीं चाहते।
टीवी पर रोमांटिक किरदारों में टाइपकास्ट हो चुके कलाकार वेब पर ग्रे या नकारात्मक किरदारों में अभिनय की छाप छोड़ रहे हैं, वहीं कॉमेडी करने वाले कलाकार गंभीर किरदारों में खुद को आजमा रहे हैं। दरअसल, टेलीविजन की दुनिया में किसी किरदार में लोकप्रिय होने के बाद कलाकार को उसी तरह के ऑफर मिलते हैं, पर डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उनके लिए कुछ हटकर करने के मौके मौजूद हैं। दीपेश पांडेय की रिपोर्ट-
डिजिटल का दर्शक वर्ग अलग है:
खुद को अलग-अलग किरदारों में आजमाना हर कलाकार की इच्छा होती है, लेकिन टीवी पर वे मौके नहीं मिल पाते। टीवी पर सीधे-सादे और रोमांटिक किरदारों में नजर आए सुमीत व्यास डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कॉमेडी, रोमांस और थ्रिलर समेत अलग-अलग जॉनर में वैरायटी किरदारों को निभा रहे हैं। वह कहते हैं, ‘हम सभी कलाकार अलग-अलग तरह के किरदार निभाने की ख्वाहिश रखते हैं, पर कोई उन्हें उनकी छवि से अलग दिखाकर नुकसान उठाने का खतरा नहीं लेना चाहता है। टीवी के दर्शक थोड़ा अलग हैं। वे टीवी देखने के साथ खाना बनाने, पारिवारिक मुद्दों पर बातें करने जैसी कई चीजें करते रहते हैं, जबकि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर दर्शक हर सीन को ध्यान से देखते हैं। ऐसे में निर्माताओं को लगता है कि टीवी के दर्शक कलाकार की छवि में एकाएक बदलाव देखने के लिए तैयार नहीं हैं।’
टीवी के चर्चित कलाकार करण टैकर ने वेब सीरीज ‘स्पेशल ऑप्स’ से डिजिटल डेब्यू किया था। उसमें उन्होंने खुफिया एजेंट की भूमिका निभाई। करण कहते हैं, ‘मेरी इच्छा हमेशा से यही रही है कि अगर मैं टेलीविजन न करूं तो कुछ ऐसा करूं, जो मेरे टीवी पर किए काम से बढ़कर हो। काफी समय के बाद मैंने ‘स्पेशल ऑप्स’ को चुना था। जिस तरह का विस्तार पहुंच मैं बतौर कलाकार चाहता था, अब वेब के जरिए मिलने लगा है।’
सिनेमा में मुश्किल हैं राहें:
शाह रुख खान, मनोज वाजपेयी और यामी गौतम जैसे कलाकारों ने खुद को टीवी से निकालकर सिनेमा में स्थापित तो किया, लेकिन अभी भी टीवी कलाकारों को बड़े पर्दे पर पहचान बनाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। अभिनेत्री हिना खान बताती हैं, ‘नवोदित कलाकारों से ज्यादा मुश्किलें टीवी कलाकारों के लिए होती हैं। आपको कमतर समझा जाता है। साफ-साफ मुंह पर कह दिया जाता है कि हम टीवी एक्टर्स के साथ काम नहीं करते हैं। बड़े डिजाइनर भी स्टार किड्स को रैंप वॉक के लिए चुनते हैं। जो दुखद है, लेकिन हार न मानने का जज्बा ही आपको आगे ले जाता है।’
वेब पर टाइपकास्ट होने का डर नहीं:
टीवी सीरियल कई साल तक चलते हैं, जबकि वेब प्लेटफॉर्म पर सीमित एपिसोड में कंटेंट बनाए जाते हैं। कई बार दर्शक एक बार में ही पूरी वेब सीरीज खत्म कर देते हैं। ऐसे में कलाकारों के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी छवि से निकलना आसान हो जाता है। अपनी रोमांटिक व कॉमेडी कलाकार की छवि से अलग आमिर अली आगामी वेब सीरीज ‘नक्सलबाड़ी’ में ग्रे किरदार निभा रहे हैं। उनका कहना है, ‘टीवी पर एक ही किरदार साल, दो साल से भी ज्यादा चल सकता है।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सीमित एपिसोड में एक किरदार को खत्म करके नए किरदार निभाने का मौका मिलता है। बतौर कलाकार दूसरे प्लेटफॉर्म्स की तुलना में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रयोग करने और स्वयं को विविध किरदारों में पेश करने की आजादी ज्यादा है। यहां कलाकार को किरदार की लंबाई या व्यक्तित्व के आधार पर जज नहीं किया जाता, इसलिए दर्शकों के साथ-साथ कलाकारों की भी दिलचस्पी बनी रहती है। टीवी के अपने दर्शक हैं। वहां कंटेंट उनकी पसंद के अनुरूप बन रहा है।’
व्यक्तिगत चयन भी रखता है मायने:
अपनी बनी बनाई छवि से निकलने के लिए कलाकारों के लिए भी सजग रहना जरूरी है। सिर्फ पैसे और ज्यादा काम के पीछे न भागकर सही मौके और किरदार का चयन करना होता है। वेब सीरीज ‘मोदी- ए कॉमन मैन’ के निर्देशक उमेश शुक्ला का कहना है, ‘डिजिटल प्लेटफॉर्म कलाकारों के साथ लेखकों, निर्देशकों और निर्माताओं को भी प्रयोग करने का मौका दे रहा है।
महेश ठाकुर, सुमीत व्यास और करण टैकर समेत कई कलाकारों ने इन मौकों को अच्छी तरह से भुनाया है। टाइपकास्ट होने के मामले में एक्टर्स का भी सजग रहना जरूरी है। कभी-कभी कॅरियर के प्रति असुरक्षा को देखते हुए या ज्यादा काम पाने के लिए वे लगातार एक ही तरह के काम करते रहते हैं। लगातार एक जैसे तीन-चार प्रोजेक्ट्स में काम करने के बाद उनके लिए अपनी छवि से निकलना मुश्किल हो जाता है। टाइपकास्ट होने में दोष सिर्फ निर्माता या दर्शकों का नहीं, बल्कि व्यक्तिगत चयन का भी होता है।’
सिर्फ किरदार में ढलना महत्वपूर्ण:
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लेखक, निर्माता और निर्देशक नई कहानियों को लाने में दिलचस्पी ले रहे हैं। उन्हें कलाकारों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। वेब सीरीज ‘स्पेशल ऑप्स’ के निर्देशक शिवम नायर का कहना है, ‘हमारी प्राथमिकता स्क्रिप्ट और किरदारों के अनुसार सही कलाकारों को चुनने की होती है। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बॉक्स ऑफिस कलेक्शन या टीआरपी जैसी किसी बात का डर नहीं है। लिहाजा किसी कलाकार को नए किरदार में लेने से पहले उसकी पुरानी छवि के बारे में नहीं सोचा जाता।
टीवी की तरह यहां ज्यादा मेलोड्रामा नहीं है। यहां कहानी और किरदार दोनों रियलिस्टिक होते हैं। टीवी में टाइपकास्ट हो चुके कलाकारों को दर्शक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रियलिस्टिक किरदारों में देखते हैं और स्वीकार करते हैं। आगे भी रियलिस्टिक परफॉमेर्ंस करने वाले टीवी कलाकारों के डिजिटल प्लेटफॉर्म की तरफ रुख करने की संभावना है।’