'केदारनाथ' अभिनेत्री अल्का अमीन सोते समय भी बोलने लग जाती हैं डायलॉग, कहा- 'किरदार के बारे में सुनते ही वह मुझे आने लगता है नजर'
यह बहुत हैरानी की बात है कि जब भी कोई नया प्रोजेक्ट आता है तो किरदार के बारे में सुनते ही वह मुझे सामने नजर आने लगता है। जैसे मुझे पता है इस शो में मेरा किरदार साड़ी पहनता है या फलां तरीके से बात करता है।
प्रियंका सिंह, मुंबई जेएनएन। थिएटर, टीवी, सिनेमा से ओटीटी तक अभिनय का कोई मंच अछूता नहीं रहा है अल्का अमीन से। नई वेब सीरीज 'निर्मल पाठक की घर वापसी' में ग्रामीण महिला की भूमिका निभा रहीं अल्का से प्रियंका सिंह ने जाना उनके बेहतरीन अभिनय का राज...
टेलीविजन से लेकर सिनेमा और रंगमंच से लेकर अब डिजिटल प्लेटफॉर्म तक अभिनेत्री अल्का अमीन काम कर रही हैं। 'केदारनाथ', 'बधाई हो' जैसी फिल्मों में अभिनय कर चुकीं अल्का की आगामी वेब सीरीज 'निर्मल पाठक की घर वापसी' होगी। एक बार फिर अल्का ग्रामीण महिला के किरदार में हैं। वह कहती हैं, "यह बहुत हैरानी की बात है कि जब भी कोई नया प्रोजेक्ट आता है, तो किरदार के बारे में सुनते ही वह मुझे सामने नजर आने लगता है। जैसे मुझे पता है इस शो में मेरा किरदार साड़ी पहनता है या फलां तरीके से बात करता है। उसी वक्त से उसे निभाने की उत्सुकता होने लग जाती है। मेरा तो प्रोसेस ही यही है कि मैं रात को सोते समय डायलॉग बोलने लग जाती हूं। हर किरदार में मैं ढूंढने लग जाती हूं कि अपनी तरफ से क्या नया लाऊं।"
अल्का ने आगे कहा, "जहां तक ग्रामीण महिला के किरदार की बात है, तो मैं उस परिवेश से वाकिफ हूं। मेरी मां मथुरा में रही हैं। हालांकि कि वह ज्यादातर शहर में ही रही हैं, लेकिन कभी-कभार वहां की भाषा में बात करना या डांट देना, इसकी वजह से कानों में वहां की चीजें पड़ती रहती थीं। यही वजह है कि छोटे शहर के किरदार से मैं आसानी से खुद को जोड़ लेती हूं।"
इस सीरीज की शूटिंग का अनुभव साझा करते हुए अल्का कहती हैं, "भोपाल के एक गांव में जब हम शूटिंग कर रहे थे, तो गलियों से गुजरकर उस घर तक पहुंचते थे। बड़ा सा घर था, बहुत ही सुंदर और पुराना था। मैं वहां रहने वालों के घर में जाकर कई बार रोटी-सब्जी खाकर आ जाती थी। वह मुझे अपना सा घर लगने लगा था। जब उस सेट को छोड़ रहे थे, तो लग रहा था कि अपनी कोई चीज छूट रही है। खैर, काम के बहाने कभी न कभी दोबारा वहां जाना हो सकता है।"
डिजिटल प्लेटफार्म पर काम करने को लेकर अल्का कहती हैं, "माध्यम कोई भी हो कलाकार का प्रोसेस बेसिक ही रहता है। थिएटर में बस मजा यह आता है कि हम 10 से 12 लोग एक साथ बैठकर स्क्रिप्ट पढ़ते हैं। टीवी, सिनेमा और डिजिटल प्लेटफार्म में हम अपनी स्क्रिप्ट याद करके जाते हैं और स्क्रीन के सामने जाकर बोल देते हैं। हालांकि, उसका भी अपना मजा है, क्योंकि कई बार पता नहीं होता है कि सामने वाला एक्टर कैसे रिएक्ट करने वाला है। ऐसे में कई नए आइडियाज का आदान-प्रदान भी हो जाता है।"