विलेन बनकर फेमस हुए तेज सप्रू अब करना चाहते हैं कॉमेडी, 'बाल शिव' में 'प्रजापति दक्ष' के रूप में आएंगे नजर
मैं 13 भाषाओं में काम कर चुका हूं। पूरा साउथ जैसे तेलुगु मलयालम कन्नड़। इसके अलावा भोजपुरी पंजाबी हिंदी मराठी गुजराती बंगाली हरियाणवी इन सभी भाषाओं में काम किया। मैं एक मात्र ऐसा एक्टर हूं जिसने इतनी भाषाओं में काम किया और ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
प्रीती कुशवाहा, नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा जगत में विलन के तौर पर अपनी खास पहचान बनाने वाले दिग्गत अभिनेता तेज सप्रू ने अपने अबतक के करियर में कई तरह के रोल को पर्दे पर जिया है। इंडस्ट्री में 40 से ज्यादा सालों तक अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीतने वाले तेज सप्रू न सिर्फ फिल्मों में बल्कि नहीं टेलीविजन और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी काम कर चुके हैं। वहीं जल्द ही तेज सप्रू एक और शो में दमदार किरदार निभाते हुए नजर आएंगे। इनदिनों तेज सप्रू 'एंड टीवी' के शो 'बाल शिव' की शूटिंग में बिजी हैं। 'बाल शिव' शो में तेज सप्रू 'प्रजापति दक्ष' के अहम रोल में दिखेंगे। इस शो को लेकर तेज सप्रू ने दैनिक जागरण डॉट कॉम से खास बातचीत की...
एंड टीवी पर आने वाला 'बाल शिव' एक पौराणिक शो है। इस शो में आप अपने किरदार के बारे में कुछ बताएं? ?
'बाल शिव' एक पौराणिक शो है इस शो में मैं प्रजापति दक्ष की भूमिका निभा रहा हूं। दक्ष सती के पिता और ब्रह्मा के पुत्र थे जिन्हें ब्रह्मपुत्र भी कहा जाता है। ब्रह्मा जी पांच सिर थे और एक सिर शिव जी ने धड़ से अलग कर दिया था। यही बात दक्ष के मन में बैठ गई थी और उन्होंने तय किया था कि वह इस बात का बदला शिव से लेंगे। लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि उनकी बेटी ही शिव को पसंद करती हैं और उनसे विवाह करना चाहती है। इस बात को लेकर वह काफी नाराज हुए थे। दक्ष पूरी कोशिश करते हैं कि ये विवाह न हो लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाते। इसके बाद जब सती 'सती' हो जाती हैं तब शिव का प्रकोप का आता है फिर वह अपने इस कैरेक्टर का अंत करते है। इसी पर पूरी कहानी आधारित हैं।
प्रजापति दक्ष के किरदार को निभाने में कितनी मुश्किलें आईं?
धार्मिक शोज में काम करना असान नहीं होता है। हलांकि दक्ष का रोल बहुत पावरफुल कैरेक्टर है और मैं शिव का बहुत बड़ा भक्त हूं यही एक वजह रही है कि मैंने इस शो को करने के लिए हां किया। वैसे मैंने अब मैथोलॉजिकल रोल (पौराणिक किरदार) निभाने बंद कर दिए हैं। क्योंकि इसके कपड़े, ज्वैलरी काफी हैवी होती है। वहीं मुकुट की बात करें तो वह कम से कम 4 किलो के करीब होता है। इन सबकी वजह से मैंने अब इस तरह के रोल निभाने कम कर दिए हैं लेकिन जहां शिव जी का नाम आता है मैं फंस जाता हूं। यही वजह है कि मैं बद्रीनाथ, अमरनाथ, महाकालेश्वर, पशुपतिनाथ मैंने सारे दर्शन किए हैं। वहीं अमरनाथ तो मैं चलकर गया था। अब जो मेरा आखिरी लक्ष्य है वो है कैलाश पर्वत जाना है। शंभू ने बुलाया तो अगले साल जरूर जाऊंगा।
आपने फिल्मों के साथ टेलीविजन और ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी काम किया है? कितना बदलाव महसूस करते हैं टेलीविजन और ओटीटी प्लेटफॉर्म में?
टेलीविजन का रूटीन थोड़ा सा टफ होता है। यहां पर रोज शूटिंग करनी होती है। लेकिन ओटीटी काफी हद तक फिल्मों की तरह ही है। जैसे फिल्मों का फॉर्मेट होता है कुछ वैसा ही है कि कहां से कट करना है कहां से क्लोज करना है। वहीं ओटीटी का आपको थोड़ा सा रिपिटेटिव लगेगा।
13 भाषाओं में किया काम...
मैं 13 भाषाओं में काम कर चुका हूं। यही नहीं पूरा साउथ जैसे तेलुगु, मलयालम, कन्नड़। इसके अलावा भोजपुरी, पंजाबी, हिंदी, मराठी, गुजराती, बंगाली, हरियाणवी इन सभी भाषाओं में काम किया। मैं एक मात्र ऐसा एक्टर हूं जिसने इतनी भाषाओं में काम किया और ये अपने आप में एक रिकॉर्ड है। हर इंडस्ट्री का काम करने का तरीका काफी अलग तरीका है। ये सब उनके बजट पर भी निर्भर करता है। कई लोग इनता पैसा नहीं सकते हैं फिर भी फिल्म बनाना चाहते हैं।
टेलीविजन ने आपको कितनी अलग पहचान दी?
सही मायने में टेलीविजन ने मुझे कई अलग तरह के किरदार निभाने का मौका दिया। क्योंकि फिल्मों में ज्यादातर मैंने निगेटिव रोल भी किए हैं। वहीं टीवी में आकर मैंने बहुत सारे पॉजिटिव और पावरफुल रोल किए हैं जो मैं करना चाहता था। निगेटिव रोल की बात करें तो अमरीश पुरी जी का बेटा तो मैं करीब 20 फिल्मों में बना था। वहीं मेरा लास्ट वाला टीवी शो काफी अच्छा रहा था 'दिल से दिल तक'। इसमें मैंने सिद्धार्थ शुक्ला, रशमी देसाई के साथ काम किया। टीवी ने मुझे बहुत सारे अलग-अलग तहर के रोल को जीने का मौका दिया जो मैं करना चाहता था। अब बस एक ही रोल बचा है करने को वो है कॉमेडी। मैं कॉमेडी रोल दिल से करना चाहता हूं ताकि लोगों को पता तो चले कि मैं ये भी कर सकता हूं।
'दिल से दिल तक' में आपने सिद्धार्थ शुक्ला के साथ काम किया है। सेट पर आपका उनके साथ किस तरह का रिश्ता था?
सिद्धार्थ शुक्ला और मेरी बीच बहुत अच्छी बॉन्डिंग रही है। क्योंकि कहीं न कहीं हम दोनों का नेचर मिलता जुलता था। सेट पर वह काफी अच्छे थे। काम को लेकर काफी सीरियस थे। वहीं उनकी पर्सनल लाइफ में उनके साथ क्या चल रहा था ये तो मैं नहीं बता सकता। लेकिन हां सेट पर हम काफी हंसी मजाक करते थे।
15 साल पहले आपने एक 3 डी फिल्म में काम किया था जिसके आज भी मां अंबे मंदिर में दिखाई जाती है। कैसा महसूस होता है इसे लेकर।
हां, अभी मेरा वो शो मां अंबे के मंदिर में चलता है। मैं जब वहां पहुंचा तो वो लोग मुझे देखकर हैरान हुए। कई लोगों ने कहा ये आप ही हैं जो इस फिल्म में नजर आ रहे हैं। इसमें भी मैंने प्रजापति दक्षा का रोल ही निभाया था। मैंने कहा हां मैंने ही किया है मुझे भी दिखाओ। फिर उन्होंने मुझे बैठाकर पूरी फिल्म दिखाई। अच्छा लगता है ये सब देखकर कि मैंने जो किया आज लोग उसे पसंद करते हैं।