फिल्म रिव्यू: युवा (1.5 स्टार )
फिल्म मे एक गाना है जिसकी लाइन है, 'लगाके तारों में तड़का, चलो मैगी बनाते हैं'। यह हालिया मामले पर तंज के समान है। हालांकि फिल्म में इतनी सारी बातें है कि एक पल ऐसा लगने लगता है कि खिचड़ी बन गई है। ऐसे में सारी बातें उलट जाती है।
प्रमुख कलाकार: ओम पुरी, संजय मिश्रा, जिम्मी शेरगिल, अर्चना पूरन सिंह, संग्राम सिंह
निर्देशक: जसबीर भाटी
संगीतकार निर्देशक: राशिद खान
स्टार: 1.5
फिल्म मे एक गाना है जिसकी लाइन है, 'लगाके तारों में तड़का, चलो मैगी बनाते हैं'। यह हालिया मामले पर तंज के समान है। हालांकि फिल्म में इतनी सारी बातें है कि एक पल ऐसा लगने लगता है कि खिचड़ी बन गई है। ऐसे में सारी बातें उलट जाती है।
फिल्म का नाम 'युवा' है। मगर अलग ढंग से लिखा हुआ है। कारण कि मणिरत्नम् की फिल्म से न मिल जाए। फिल्म की कहानी युवाओं के ईर्द-गिर्द ही घूमती है। फिल्म के पहले हिस्से में युवा अपने स्तर पर अपनी कलाएं दर्शाते हैं। उन्हें गाना भी आता है और डांस भी। बाद में एक पल एकाएक ऐसा आता है जब युवाओं में अनुशासन की भावना पैदा करने के लिए उन्हें फिर से स्कूल भेज दिया जाता है। और इसके बाद शुरू होता है घटनाओं का सिलसिला।
कहानी अच्छी दिखाई पड़ते हुए भी उम्मीद के मुताबिक आगे नहीं बढ़ पाती है। फिल्म में एक्टर हैं रोहन मेहरा जो कि 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' फेम है।
फिल्म में ओम पुरी, संजय मिश्रा, जिम्मी शेरगिल, अर्चना पूरन सिंह, परीक्षित साहनी और रजीत कपूर जैसे कलाकार हैं। मगर एक भी प्रभाव छोड़ने में सफल नहीं जान पड़ता। कारण कि कहानी में लचीलापन है। कुछ पल के लिए ही दम पड़ता दिखाई देता है।
फिल्म के युवा किसी युवा के लिए उदाहरण तो हो सकते हैं मगर यह फिल्म किसी लिहाज से ऐसी नहीं है।