The Great Indian Murder Review: सियासी साजिशों और दांव-पेचों से ठसाठस मर्डर मिस्ट्री में कलाकारों का दमदार अभिनय, पढ़ें रिव्यू
तिग्मांशु धूलिया ने इससे पहले डिज्नी प्लस हॉटस्टार के लिए क्रिमिनल जस्टिस निर्देशित किया था। द ग्रेट इंडियन मर्डर पूर्व भारतीय डिप्लोमैट विकास स्वरूप के नॉवल सिक्स सस्पेक्टस का स्क्रीन अडेप्टेशन है। 9 एपिसोड्स की वेब सीरीज के निर्माता अजय देवगन हैं।
मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। तिग्मांशु धूलिया जिस तरह का सिनेमा गढ़ते हैं, उसकी कहानियों में अक्सर समसामयिक राजनीति पर टीका-टिप्पणी की अंतर्धारा किरदारों के साथ-साथ चलती है। ऐसे में जब सिक्स सस्पेक्ट्स जैसी एक हाई प्रोफाइल कत्ल के इर्द-गिर्द बुनी गयी कहानी मिल जाए, जो राजनीतिक साजिशों और दांव-पेंचों से ठसाठस भरी हो तो तिग्मांशु को खुलकर खेलने की पिच मिल जाती है।
डिज्नी प्लस हॉटस्टार के लिए क्रिमिनल जस्टिस निर्देशित करने के बाद तिग्मांशु प्लेटफॉर्म के लिए इस बार पूर्व भारतीय डिप्लोमैट विकास स्वरूप के नॉवल सिक्स सस्पेक्टस को 9 एपिसोड्स की वेब सीरीज 'द ग्रेट इंडियन मर्डर' के रूप में लेकर आये हैं। इस सीरीज के निर्माता अजय देवगन और प्रीति विनय सिन्हा हैं।
'सिक्स सस्पेक्ट्स' नॉवल 2016 में प्रकाशित हुआ था और इसमें ऐसी कई सियासी घटनाओं की मौजूदगी महसूस की जा सकती है, जिनका शोर अक्सर सोशल मीडिया को बहसों में सुनाई देता रहा है। नेताओं की जासूसी, सियासी नफा-नुकसान के लिए सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप, पावर के नशे में चूर नेता का अय्याश बेटा, अपनी सियासी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक साजिश करने वाला नेता, फर्जी धर्मगुरु, नक्सलवाद वगैरह-वगैरह... और इन सभी को एक सूत्र में पिरोती विक्की राय के कत्ल की सीबीआई जांच। 'द ग्रेट इंडियन मर्डर' सीरीज भारत-दर्शन भी करवाती है, क्योंकि कहानी का विस्तार दिल्ली, रायपुर, जेसलमेर, चेन्नई, कोलकाता और अंडमान द्वीप तक जाता है।
View this post on Instagram
'द ग्रेट इंडियन मर्डर' की कहानी के केंद्र में विक्की राय का मर्डर है, जो छत्तीसगढ़ के कद्दावर नेता और गृह मंत्री जगन्नाथ राय का बेटा है। विक्की दो लड़कियों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में पकड़ा जाता है। हाई कोर्ट से दोषी ठहराये जाने के बाद विक्की सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर छूट जाता है। सत्ता का साथ और पैसे की हनक। रिहा होने की खुशी में विक्की दिल्ली स्थित अपने फार्म हाउस पर एक बड़ी पार्टी देता है, जहां भरी महफिल में गोली मारकर उसकी हत्या कर दी जाती है। अब यही सबसे बड़ा सस्पेंस है कि गोली किसने चलायी?
दिल्ली में बैठे अपने राजनीतिक आका अम्बिका प्रसाद से मशविरा करके जगन्नाथ बेटे की हत्या की जांच राजनीतिक दबाव का इस्तेमाल करके सीबीआई के सुपुर्द करवा देता है, जिसके पीछे उसका बहुत बड़ा मकसद होता है। केस सीबीआई ऑफिसर सूरज यादव को सौंपा जाता है, जिसे अम्बिका प्रसाद की ओर से साफ हिदायत मिलती है कि विक्की राय पर चलने वाली गोली किस राजनीति प्रतिद्वंद्वी के खाते में डालनी है। इसी हिदायत का पालन करने करते हुए सूरज यादव जांच करता है, तथ्यों को जानते हुए अपना एक अलग नैरेशन तैयार करता है, जिसकी शिकार बेकसूर होने वाले हैं।
View this post on Instagram
इस केस की जांच में दिल्ली पुलिस की अधिकारी सुधा भारद्वाज सूरज का सहयोग कर रही है। हत्या के तीन प्राइमरी सस्पेक्ट्स हैं- दिल्ली की गरीब बस्ती में रहने वाला पेशेवर चोर मुन्ना, अंडमान की आदिवासी प्रजाति का एकेती और पूर्व डिप्लोमैट मोहन कुमार। ये तीनों अलग-अलग कारणों से विक्की राय की पार्टी में मौजूद थे। कत्ल के बाद तलाशी होने पर मुन्ना और एकेती के पास पिस्तौल मिलती है, वहीं मोहन कुमार की पिस्तौल बाद में एक टेबल के नीचे से बरामद होती है। सूरज और सुधा इन तीनों से पूछताछ करते हैं। मुन्ना और एकेती से पूछताछ के साथ कहानी और किरदारों का विस्तार होता है और कुछ एपिसोड्स इसी विस्तार के नाम रहते हैं।
मुन्ना पेशेवर चोर है, मगर विक्की राय की सौतेली बहन रितु राय का प्रेमी भी है। एक मामूली चोर के साथ राज्य के गृह मंत्री की बेटी का आशिकाना संबंध? इसके पीछे भी एक कहानी है, जो विक्की राय से जुड़ी है। अंडमान का एकेती, जो ना हिंदी ठीक से जानता है और ना अंग्रेजी, अपने ईष्ट देव इंगेताई की चोरी हुई मूर्ति वापस लाने निकला है। आदिवासी कबीले को यकीन है कि उनके कबीले में जो महामारी फैली है, उसकी वजह इंगेताई की मूर्ति का गायब हो जाना ही है। एकेती की इस खोज में उसकी मदद जेसलमैर का अशोक राजपूत करता है, जो वहां सोशल वेलफेयर ऑफिसर है। उसके तार भी आगे चलकर विक्की राय के कत्ल से जुड़ते हैं। अशोक से विक्की की दुश्मनी का एक अलग ट्रैक है। सीरीज की कहानी असल में इंगेताई की मूर्ति के जरिए ही भारत-भ्रमण पर निकलती है।
तीसरा सस्पेक्ट है सेवानिवृत्त डिप्लोमैट मोहन कुमार, जो पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का शिकार है। आम तौर पर अय्याश और शराब का शौकीन मोहन कुमार जब भी कोई सदमा लगता है, खुद को महात्मा गांधी मानने लगता है और उन्हीं की तरह हरकतें करता है। मोहन कुमार का इन दोनों मुख्तलिफ शख्सियतों में बदलना भी विक्की राय के कत्ल का एक अहम सिरा है। विक्की राय के कत्ल की वाजिब वजह अशोक के पास भी है, मगर मगर वो सीबीआई अधिकारी सूरज के नैरेशन में फिट नहीं बैठता, इसलिए वो उसके सस्पेक्ट्स की लिस्ट में नहीं है।
अंतत:अम्बिका प्रसाद की जिस हिदायत को पूरा करने के लिए सूरज विक्की राय के कत्ल का अलग नैरेशन गढ़ रहा है, उसमें सबसे आसानी से फंसने वाला सस्पेक्ट बेकसूर एकेती ही है। हालांकि, सुधा के गले यह बात नहीं उतरती और वो अशोक राजपूत की जांच करवाती है और तब अशोक की कहानी खुलती है। नॉवल में चूंकि छह सस्पेक्ट्स हैं। इसलिए दूसरे सीजन में बचे हुए बाकी सस्पेक्ट्स के साथ कहानी आगे बढ़ने की उम्मीद है।
View this post on Instagram
तिग्मांशु धूलिया और उनकी लेखन टीम ने किरदारों के आधार पर सीरीज को जिस तरह एपिसोड्स में बांटा है, वो दिलचस्प है और इतने किरदारों और सब प्लॉट्स के बावजूद कहानी समझने में दिक्कत नहीं होती। नौ एपिसोड्स को मुख्य किरदारों के हिसाब से विभाजित किया गया है और हर एक एपिसोड में उस किरदार का खाका खींचा गया है। साथ ही वर्तमान में हो रही घटनाओं के साथ इन किरदरों के अतीत को जोड़ते हुए सीरीज आगे बढ़ती है। इससे किरदारों को लेकर उठने वाले हर 'क्यों' का जवाब मिलता जाता है। हालांकि, इसका साइड इफेक्ट यह भी कि बीच के कुछ एपिसोड्स की गति धीमी पड़ जाती है और कहानी का मेन प्लॉट छूटता-सा लगता है।
द ग्रेट इंडियन मर्डर की सबसे बड़ी ताकत कलाकारों का अभिनय है। भ्रष्ट सीबीआई अफसर सूरज यादव के किरदार में प्रतीक गांधी का अभिनय दमदार है, मगर उन्हें देखकर सीबीआई अफसर जैसी फीलिंग नहीं आती। दिल्ली पुलिस की डीसीपी सुधा भारद्वाज के किरदार में रिचा चड्ढा नैचुरल लगी हैं। एक महत्वाकांक्षी और अपने सियासी मकसद को पाने के लिए किसी भी हद तक साजिश रचने वाले नेता के किरदार में आशुतोष राणा अपने किरदार में जंचे हैं। इस किरदार की कई परतें हैं, जिन्हें आशुतोष ने कामयाबी के साथ उकेरा है।
सीरीज में जो दो कलाकार सबसे अधिक प्रभावित करते हैं, वो विक्की राय के किरदार में जतिन गोस्वामी और मोहन कुमार के रोल में रघुबीर यादव हैं। कद्दावर नेता के अय्याश, निरंकुश और अपनी ही सौतेली बहन पर बुरी नजर रखने वाले बेटे विक्की राय के किरदार में जतिन की स्क्रीन प्रेजेंस दमदार और कहीं-कहीं डरावनी है। हालांकि, उनके अभिनय और संवाद अदाएगी के अंदाज में कभी-कभी नवाजुद्दीन सिद्दीकी की झलक महसूस होती है।
View this post on Instagram
मोहन कुमार के अतरंगी किरदार में रघुबीर यादव सब पर भारी पड़े हैं। मोहन कुमार और महात्मा गांधी के बीच ट्रांसफॉर्मेशन को उन्होंने बड़ी सहजता के साथ जीया है। इसमें ह्यूमर की एक परत छिपी हुई है, जो दिलचस्पी बनाये रखती है। मुन्ना के किरदार में शशांक अरोड़ा, एकेती के किरदार में मणि पीआर, अशोक राजपूत के किरदार में शारिब हाशमी, जर्नलिस्ट और विजिलांटे अरुण देशमुख यानी नागरिक के किरदार में अमेय वाघ, मुन्ना की प्रेमिका रितु राय के किरदार में रुचा इनामदार ने अपनी मौजूदगी दर्ज करवायी है। ये सभी किरदार मुख्य कथानक से जुड़े हैं और किसी ना किसी रूप में इसे सपोर्ट करते हैं। संवाद किरदारों की खूबियों और खामियों के हिसाब से हैं। बड़े लोगों का सर्कल छोटा होता है, जैसी लाइनें असर छोड़ती हैं।
तकनीकी तौर पर भी द ग्रेट इंडियन मर्डर प्रभावित करती है। कहानी कई शहरों में घूमती है, इसलिए विश्वसनीयता के लिए इसे रियल लोकेशंस पर शूट किया गया है। अलग-अलग शहरों में सिनेमैटोग्राफी के जरिए दृश्यों को स्थानीयता से जोड़ा गया है, जिससे कहानी का कैनवास बड़ा हो जाता है।
कलाकार- रिचा चड्ढा, प्रतीक गांधी, जतिन गोस्वामी, आशुतोष राणा, रघुबीर यादव, शशांक अरोड़ा, शारिब हाशमी, अमेय वाघ, पाओली दाम, मणि पीआर आदि।
निर्देशक- तिग्मांशु धूलिया
निर्माता- अजय देवगन, प्रीति विनय सिन्हा।
अवधि- 40-57 मिनट प्रति एपिसोड
प्लेटफॉर्म- डिज्नी प्लस हॉटस्टार
रेटिंग- *** (तीन स्टार)