Special Ops 1.5- The Himmat Story Review: देखा-देखा लगेगा, पर उठेंगे खत्म करके ही... पढ़ें पूरा रिव्यू
Special Ops 1.5 Review घटनाक्रमों की लिखावट में ताजगी की कमी अखरती है। मगर बेहतरीन अभिनय और तेजी से बदलते घटनाक्रमों का रोमांच बांधकर रखता है और आप एक झटके में पूरा सीजन देख जाते हैं। इस स्पिन ऑफ सीरीज में सिर्फ चार एपिसोड रखे गये हैं।
मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। नीरज पांडेय की 2017 में आयी फिल्म नाम शबाना उन्हीं की 2015 की फिल्म बेबी का स्पिन ऑफ थी, जिसमें बेबी के एक किरदार शबाना खान के स्पाई बनने के कहानी को विस्तार से दिखाया गया था। दोनों फिल्मों में ये भूमिका तापसी पन्नू ने निभाई थी। नाम शबाना में मनोज बाजपेयी तापसी के साथ सहयोगी भूमिका में थे, जबकि अक्षय ने फिल्म में कैमियो किया।
नाम शबाना की रिलीज के वक्त स्पिन ऑफ शब्द काफी चर्चित हुआ था और इस कॉन्सेप्ट को पर्दे पर उतारने के लिए कहानियों और घटनाओं की बुनावट आकर्षक लगी थी। अपने मूल रूप में किरदारों का इधर-उधर भिन्न कहानियों में डोलते रहना एक अलग सिनेमाई दुनिया की सैर करवाता है, जिससे उत्तरोत्तर दर्शक एक जुड़ाव महसूस करने लगता है।
अब वही प्रयोग नीरज पांडेय ने हॉटस्टार स्पेशल्स के तहत बनाये गये शो स्पेशल ऑप्स के साथ किया है। इस चर्चित सीरीज का दूसरा सीजन लाने से पहले नीरज इसका स्पिन ऑफ 'स्पेशल ऑप्स 1.5- द हिम्मत स्टोरी' लेकर आए हैं। जैसा कि नाम से ही साफ है, इस विशेष सीजन में स्पेशल ऑप्स के लीड कैरेक्टर रॉ ऑफिसर हिम्मत सिंह के करियर के आरम्भिक सालों और जासूसी अभियानों को दिलचस्प घटनाक्रमों के जरिए दिखाया गया है।
हालांकि, शो की लिखाई में ताजगी की कमी अखरती है। मगर, बेहतरीन अभिनय और तेजी से बदलते घटनाक्रमों का रोमांच बांधकर रखता है और आप एक झटके में पूरा सीजन देख जाते हैं। इस स्पिन ऑफ सीरीज में सिर्फ चार एपिसोड रखे गये हैं, जिनकी अवधि आधे घंटे से लेकर लगभग एक घंटे तक है। नीरज पांडेय जासूसी कहानियों का स्पेशल ऑप्स यूनिवर्स बना रहे हैं, द हिम्मत स्टोरी उस यूनिवर्स की दूसरी कड़ी है।
स्पेशल ऑप्स 1.5- द हिम्मत स्टोरी की शुरुआत भी पहले सीजन की तरह होती है। दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर और हिम्मत सिंह के सहयोगी रहे अब्बास शेख (विनय पाठक) की पेशी दो-सदस्यीय जांच कमीशन के सामने होती है। कमीशन, हिम्मत सिंह के कार्यकाल की कुछ संदिग्ध गतिविधियों की जांच कर रहा है, ताकि उसे क्लीन चिट दी जा सके और सेवानिवृत्ति के लाभ मिल सकें, जिसमें सिर्फ एक साल बचा है।
अब्बास को ऐसी ही जानकारियां साझा करने के लिए तलब किया गया है। अब्बास के बयान के जरिए हिम्मत सिंह की कहानी उस दौर में पहुंचती है, जब 2001 में संसद पर आतंकी हमला हुआ था। सभी पांच आतंकी हमले के दौरान मारे गये थे। मगर, हिम्मत को यकीन है कि इसमें छठा आतंकी भी शामिल था, जो पर्दे के पीछे रहता है। हालांकि, हिम्मत की इस थ्योरी पर कोई यकीन नहीं करता, जिसके चलते हिम्मत आज भी उस छठे आतंकी की तलाश में है। कहानी का यह हिस्सा दर्शक सीजन एक में भी देख चुके हैं। छठे आतंकी की बात यहां भी उठती है, मगर यह सीजन हिम्मत सिंह के दूसरे मिशन पर केंद्रित है, लिहाजा छठे आतंकी की बात को यहां खींचा नहीं गया। यह ट्रैक मुख्य स्पेशल ऑप्स का हिस्सा है।
इस स्पिन ऑफ सीजन की कहानी का कालखंड नई सदी के शुरुआती साल हैं और मुख्य प्लॉट एक बागी हुए रॉ एजेंट मनिंदर को पकड़ने पर आधारित है, जिसमें उनकी मदद हिम्मत का कॉलेज टाइम का दोस्त और साथी रॉ अधिकारी विजय कुमार करता है। मनिंदर के तार अंतरराष्ट्रीय गैंग लीडर (संकल्प चौधरी) से जुड़े हैं, जो भारतीय दूतावास के अधिकारियों, सेना के अधिकारियों और नेताओं के बच्चों को हनीट्रैप में फंसाकर उनके जरिए संवेदनशील और सुरक्षा संबंधी गुप्त जानकारियां हासिल करके विदेशी ताकतों को बेचने का कारोबार करता है। इस सीजन में हिम्मत की निजी जिंदगी के कुछ चौंकाने वाले राज भी खुलते हैं, जो पहले सीजन से भी जुड़े हैं। (आपकी उत्सुकता बनी रहे, इसलिए यहां उनका जिक्र करना वाजिब नहीं होगा)
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि स्पेशल ऑप्स 1.5- द हिम्मत स्टोरी की कहानी के कॉन्सेप्ट में नयापन नहीं लगता। यह नीरज पांडेय की अपनी ही फिल्म अय्यारी और तमाम स्पाई फिल्मों से उधार लिया गया है। मगर, सीरीज के प्रमुख नेगेटिव किरदार मनिंदर का कैरेक्टर ग्राफ और ट्रीटमेंट काफी अलग है। इस किरदार के जरिए ही सीरीज विदेशी लोकेशंस और साजिशों से होते हुए अंजाम तक पहुंचती है।
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मनिंदर का किरदार काफी दमदार है और दूसरा सीजन मुख्य रूप से हिम्मत और मनिंदर के बीच चूहे-बिल्ली का खेल है। यंग हिम्मत के रोल में केके मेनन खूब भागदौड़ और एक्शन करते दिखे हैं। पूरी सीरीज में वीएफएक्स और विग्स के जरिए हिम्मत को जवान दिखाया गया है, जिसका पता तो चलता है, पर अखरता नहीं है। हिम्मत की उम्र के उतार-चढ़ाव को केके ने अपनी बॉडी लैंग्वेज, संवाद अदाएगी और भावों से बखूबी दिखाया है। यह किरदार अब उनकी पहचान बन चुका है।
आफताब शिवदसानी ने विजय के किरदार में केके का भरपूर साथ दिया है। दोनों के बीच बॉन्डिंग और अंडरस्टैंडिग अच्छी दिखती और लगती है। मनिंदर के किरदार में आदिल खान ने बढ़िया काम किया है। इस किरदार की मक्कारी, शातिरपन और अप्रत्याशितता को उन्होंने कामयाबी के साथ पेश किया है। कुछ दृश्यों में यह किरदार हिम्मत सिंह से भी दो कदम आगे दिखता है, जिससे रोमांच की खुराक बढ़ती है। अब्बास शेख के किरदार में विनय पाठक जमे हैं।
बाकी कलाकारों की बात करें तो सरोज के किरदार में गौतमी कपूर, रूसी जासूस (स्पैरो) नताशा के किरदार में मारिया रियाबोश्प्का, मनिंदर की सहयोगी करिश्मा के रोल में ऐश्वर्या सुष्मिता, हिम्मत सिंह की गर्लफ्रेंड अनीता के किरदार में शिव ज्योति अपने-अपने किरदारों में फिट लगे हैं। स्पेशल ऑप्स सीरीज की एक खासियत इसका कैमरा वर्क है, जिसने कई दृश्यों को दिलचस्प बनाया है।
किरदारों के साथ घूमता कैमरा कहानी के रोमांच को बनाने में मदद करता है। शिवम नायर और नीरज पांडेय का निर्देशन कसा हुआ है और कहीं भी दृश्यों को शिथिल नहीं होने देता। कलाकारों की परफॉर्मेंस भी सधी हुई और भावनाओं को सही अनुपात में रखता है। स्पेशल ऑप्स 1.5- द हिम्मत स्टोरी कसी हुई सीरीज है, जिसमें दर्शकों को कई रोमांचकारी पल मिलते हैं और सीरीज देखने की भूख बनी रहती है।
कलाकार- केके मेनन, आफताब शिवदसानी, आदिल खान, विनय पाठक, गौतमी कपूर आदि।
निर्देशक- शिवम नायर, नीरज पांडेय।
निर्माता- फ्राइडे स्टोरीटेलर्स।
अवधि- 30-51 मिनट प्रति एपिसोड
रेटिंग- *** (तीन स्टार)
कहां देखें- डिज्नी प्लस हॉटस्टार