She Season 2 Review: अंडर कवर कॉन्स्टेबल और स्त्रीत्व को साबित करने की जिद पाले औरत की कहानी है सीजन 2, पढ़ें पूरा रिव्यू
She Season 2 Review शी का पहला सीजन 2020 में रिलीज हुआ था। यह मुंबई पुलिस की अंडर कवर कॉन्स्टेबल भूमिका परदेशी की कहानी है जो आर्थिक रूप से कमजोर है और पति के साथ तलाक की लड़ाई लड़ रही है।
मनोज वशिष्ठ, नई दिल्ली। She Season 2 Review: जब परिवार और समाज से चोट खायी औरत अपनी ड्यूटी के लिए एक खतरनाक खेल का हिस्सा बनती है और फिर इस खेल को वो अपनी भावनात्मक आजादी और अस्तित्व को साबित करने का जरिया बना लेती है तो अंजाम भी ऐसा होता है, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
नेटफ्लिक्स की सीरीज शी के दूसरे सीजन (She Season 2) में मध्यमवर्गीय पुलिस कॉन्स्टेबल भूमिका परदेशी के जरिए औरत के इसी रूप को पेश किया गया है। ड्रग्स माफिया नायक के गिरोह में अंडर कवर शामिल होने के बाद भूमिका को वो जिंदगी जीने का मौका मिलता है, जिसके लिए वो तरसती रही।
अपने स्त्रीत्व के जरिए पुरुष को अंगुली पर नचाने की ताकत का एहसास इतना गाढ़ा होता जाता है कि उसे इसी जिंदगी में मजा आने लगता है। देशभर में ड्रग्स का जाल बिछाने के लिए पंचवर्षीय योजना बनाये बैठे नायक को लगता है कि इस खेल की डोर उसके हाथ में है, मगर यही उसकी सबसे बड़ी भूल साबित होती है, क्योंकि खेल नायक नहीं भूमि खेल रही है और भूमि को इस हद तक पहुंचाने में भी कुछ मर्दों का ही हाथ है।
पहला सीजन भूमिका के अंडर कवर बनकर नायक के गिरोह में शामिल होने की कहानी थी तो दूसरा सीजन इन दोनों किरदारों और पुलिस विभाग के बीच चूहे-बिल्ली के खेल पर आधारित है। आपको याद होगा कि पिछले सीजन के क्लाइमैक्स में भूमिका नायक को अपनी असलियत बताकर उसके साथ संबंध बनाकर विश्वास जीतती है।
दूसरे सीजन की शुरुआत नायक के अतीत से होती है। एक किशोर किस तरह मुंबई पुलिस के इतिहास का सबसे वॉन्टेड ड्रग्स माफिया बनता है, यह कुछ दृश्यों के जरिए दिखाया जाता है। इसके बाद भूमि, नायक और नारकोटिक्स विभाग के अफसर फर्नांडिस के बीच कहानी डोलती रहती है।
नायक भूमि के जरिए पुलिस विभाग तक झूठी सूचनाएं भेजकर उलझाता है और इसकी आड़ में अपने ड्रग्स के कारोबार को फैलाता रहता है। इधर, भूमि डबल क्रॉस करती है और जो चाल नायक चलता है, वो चालें भूमि नायक के खिलाफ चलती है।
इस बीच भूमि को अपने पति लोखंडे के बारे में पता चलता है कि उसे ठंडी कहने वाला लोखंडे खुद इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का शिकार है और यह खुलासा भूमि को भावनात्मक रूप से हिलाकर रख देता है, क्योंकि जिस चीज के लिए वो खुद को जिम्मेदार मानकर आत्म-विश्वास खो देती है, उसके लिए वो बिल्कुल जिम्मेदार नहीं है।
अगर पति से यह दुत्कार ना मिली होती तो शायद उसे अपने स्त्रीत्व को साबित करने के लिए दूसरे मर्दों के पास ना जाना पड़ता या शायद वो नायक के सामने खुद को इस तरह समर्पित ना करती। मगर, अपन ड्यूटी करते-करते भूमि खुद नायक जैसी बनती जाती है और इसके लिए नारकोटिक्स अफसर फर्नांडिस खुद को जिम्मेदार मानता है। दूसरे सीजन का अंत भूमि के हाथों नायक की मौत और भूमि के ड्रग माफिया बनने के साथ होता है।
शी का दूसरा सीजन रोमांच के स्तर पर पहले सीजन के मुकाबले कमजोर है। घटनाक्रमों के ट्विस्ट और टर्न्स अप्रत्याशित नहीं हैं। इस सीजन की सबसे बड़ी यूएसपी भूमि और नायक पर फिल्माये गये दृश्य हैं। ये दोनों किरदार निभाने वाले कलाकार अदिति पोहनकर और किशोर कुमार जी ने अपने अभिनय से दृश्यों को एक अलग मुकाम दिया है।
दोनों के बीच रोमांस, घटता-बढ़ता विश्वास सीरीज को जरूरी थ्रिल और पेस देता है। अदिति पोहनकर को अभिनय करते देखना सुखद है। मराठी लहजे में उनकी सीधी और सपाट संवाद अदाएगी प्रभावित करती है, जो उनके किरदार के आर्थिक, पारिवारिक और सामाजिक पहलू को जस्टिफाई करती है।
नायक के किरदार में किशोर कुमार जी के अभिनय का कमाल यह है कि तमाम नकारात्मकता होते हुए भी कुछ दृश्यों में दर्शक को इस किरदार पर तरस आता है। नायक, दूसरे सीजन में प्रतिनायक के तौर पर उभरकर सामने आता है।
नारकोटिक्स के एसीपी जेसन फर्नांडिस के किरदार में विश्वास कीनी भी अपने रोल में जंचे हैं। हालांकि, दूसरे सीजन में उनके किरदार को लेखक उसी परिपाटी पर ले गये, जैसा कि अक्सर नजर आ जाता है। लेखन का सारा जोर भूमि और नायक के किरदारों को गढ़ने में लगा रहा। वयस्क रेटिंग वाली यह सीरीज शी सीजन भूमि और नायक के लिए देखी जा सकती है।
कलाकार- अदिति पोहनकर, किशोर कुमार जी, विश्वास कीनी आदि।
क्रिएटर- इम्तियाज अली
निर्माता- टिपिंग फिल्म्स
अवधि- सात एपिसोड्स (लगभग 40 मिनट प्रति एपिसोड)
रेटिंग- **1/2 (ढाई स्टार)