Rocket Boys Review: विज्ञान को नए स्तर पर ले जाने वाले दो दोस्तों के संघर्ष की कहानी रॉकेट बॉयज
अभय पन्नू द्वारा निर्देशित आठ एपिसोड की वेब सीरिज रॉकेट बॉयज दो ऐसे दोस्तों की कहानी है जो विज्ञान को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए एक संघर्ष करते हैं। यह रोमांचक कहानी है जिसे देख आपका दिल झूम उठेगा।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। अंग्रेजी में कहावत है कि द लांगेस्ट जर्नी स्टार्ट विद द ए सिंगल स्टेप। यानी एक छोटे से कदम से बड़े सफर की शुरुआत होती है। आज अंतरिक्ष की दुनिया में भारत ने अपनी पैठ बना ली है। मंगल पर सफलतापूर्वक अपने पांव रख चुका है। हालांकि रॉकेट बनाने का सपना सबसे पहले भारतीय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई ने देखा था। वहीं भारत को परमाणु संपन्न राष्ट्र बनाने का सपना होमी जहांगीर भाभा का था। उन्होंने ही देश के परमाणु कार्यक्रम की नींव रखी थी।
विज्ञान के साथ-साथ होमी की दिलचस्पी पेंटिंग, संगीत में भी काफी होती है। होमी जहांगीर उम्र में विक्रम साराभाई से दस साल बड़े थे विचारधारा में अंतर के बावजूद उनमें गहरी दोस्ती थी। वैश्विक मानचित्र पर देश का नाम रोशन करने वाले इन वैज्ञानिकों के सफर को सिद्धार्थ राय कपूर और निखिल आडवाणी निर्मित वेब सीरीज रॉकेट ब्वॉयज में उतारा गया है। अमीर परिवार से ताल्लुक रखने के बावजूद देश की आजादी से पहले और बाद में अपने सपनों को साकार करने के लिए उन्हें किस तरह के संघर्ष करने पड़े उनकी निजी जिंदगी कैसी रही उसे बहुत खूबसूरती से इस सीरीज में दर्शाया गया है।
कहानी का आगाज वर्ष 1962 में भारत पर चीन के हमले के बाद वैज्ञानिकों की बैठक से होता है। होमी जहांगीर भाभा (जिम सरभ) परमाणु बम बनाने का प्रस्ताव रखते हैं। हालांकि विक्रम साराभाई (इश्वाक सिंह) इससे सहमत नहीं होते। वह द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम से हुई त्रासदी का हवाला देते हैं। वहां से कहानी उनके अतीत में आती है। यहां पर हम करीब बीस वर्षीय विक्रम साराभाई और तीस वर्षीय होमी जहांगीर से मिलते हैं। विज्ञान के प्रति दोनों का जुनून उनकी दोस्ती की वजह बनती है।
इस बीच अपने संस्थान के लिए धन जुटाने के लिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान भरतनाट्यम नृत्यांगना मृणालिनी (रेजिना कसांड्रा) को देखकर विक्रम साराभाई उन्हें अपना दिल दे बैठते हैं। वही अपने सपनों को उड़ान देने में लगे होमी जहांगीर की दुनिया में उस समय भूचाल आ जाता है जब उनके पिता का अचानक निधन हो जाता है। उनकी प्रेमिका पिप्सी (सबा आजाद) उन्हें इस मुश्किल वक्त में बाहर निकालती है। दोनों अपने सपनों के साथ देश की तरक्की को लेकर फिक्रमंद हैं पर दोनों का काम करने का तरीका एकदूसरे से बेहद अलग है। उन पहलुओं के साथ कहानी रोचक तरीके से आगे बढ़ती है।
आठ एपिसोड वाली इस सीरीज का हर एपिसोड करीब 45 मिनट का है। अभय पन्नू द्वारा निर्देशित यह वेब शो देश की प्रगति को लेकर प्रगतिशील सोच रखने वाले दो युवा वैज्ञानिकों की कहानी है जो प्रतिभाओं का पूरा सम्मान करते हैं। उसे बढ़ावा देते हैं। अपने संघर्षों से घबराते नहीं हैं। देशप्रेम उनमें कूट-कूट कर भरा है लेकिन अभिव्यक्ति का तरीका अलग है। इसमें विज्ञान की दुनिया के साथ दोनों वैज्ञानिकों की निजी जिंदगी भी साथ-साथ चलती है। यह हमें उस दौर से परिचित कराता है जब देश आजादी पाने की ओर अग्रसर हो रहा था, उसके पास सीमित संसाधन थे और दुनिया में काफी पीछे चल रहा था।
उन हालातों में वैज्ञानिकों की दूरदृष्टि, प्रगतिशील सोच और कार्यप्रणाली को देखना सुखद अनुभव है। कहानी की पृष्ठभूमि में द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर भारत की आजादी के लिए चल रहे स्वतंत्रता संग्राम का जिक्र है। उस परिवेश का अनुभव कराने के लिए वास्तविक विजुअल्स का भी प्रयोग किया गया है। यह कहानी को विश्वसनीय बनाने में मददगार होते हैं। शो में वैज्ञानिकों द्वारा किए जा रहे प्रयोगों को भी सटीक तरीके से दर्शाया गया है। वेब शो को देखते हुए अहसास होता है कि सपनों को पूरा करने के लिए सिर्फ सपने देखना काफी नहीं होता उसके लिए जुनून, प्रतिभा और बुद्धिमत्ता का होना भी जरूरी है। कहानी का अहम हिस्सा देश के महान वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम आजाद भी है। जिन्होंने साराभाई के साथ अपने करियर का आगाज किया था। वह अपने बायोडाटा में रिजेक्ट किए गए इंस्टीट्यूट का जिक्र करते हैं। शो का मजबूत पहलू इसके संवाद भी हैं।
इस शो की कास्टिंग की तारीफ करनी होगी। होमी जहांगीर के किरदार में जिम सरभ खूबे फबे हैं। उन्होंने होमी के व्यक्तित्व को पूरी तरह से साकार किया है। वहीं विक्रम साराभाई के तौर पर इश्वाक सिंंह ने उनकी मासूमियत, जज्बे और जुनून को बखूबी आत्मसात किया है। शो के प्रोडक्शन डिजायन टीम की भी तारीफ करनी होगी जिन्होंने परिवेश को वास्तविक तरीके से गढा है। पिछली सदी के चौथे दशक को पर्दे पद देखते हुए आप उनके रोमांस, तकरार, वैज्ञानिक प्रयोगों को देख कर अचंभित होते हैं कि आज की दुनिया तब की दुनिया से कितनी अलग थी। वैज्ञानिक रजा मेहंदी की भूमिका में दिब्येंदु भट्टाचार्य प्रभावित करते हैं। वह देश में रहकर भी खुद को आउटसाइडर मानते हैं। शो के बाकी कलाकारों ने भी बेहतरीन परफार्मेंस दी है। देश के निर्माण में अहम योगदान देने वाले वैज्ञानिकों की यह कहानी अवश्य देखी जानी चाहिए।
मुख्य कलाकार : जिम सरभ, इश्वाक सिंह, रेजिना कसांड्रा, सबा आजाद, दिब्येंदु भट्टाचार्य, नमित दास, रजित कपूर, अर्जुन राधाकृष्णन
निर्देशक : अभय पन्नू
प्रसारण प्लेटफॉर्म – सोनी लिव
रेटिंग : साढे़ तीन