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फिल्म रिव्यू: जॉन डे (2 स्टार)

इस फिल्म के निर्माता अंजुम रिजवी के उल्लेखनीय समर्थन से युवा निर्देशकों के सपने पूरे होते हैं। नीरज पांडे की 'ए वेडनसडे' के मूल निर्माता अंजुम रिजवी

By Edited By: Published: Fri, 13 Sep 2013 01:19 PM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2013 06:12 PM (IST)
फिल्म रिव्यू: जॉन डे (2 स्टार)

मुंबई, (अजय ब्रह्मात्मज)

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प्रमुख कलाकार: नसीरुद्दीन शाह, रणदीप हुड्डा, विपिन शर्मा और एलेना कजन।

निर्देशक: अहिशोर सोलोमन

संगीतकार: क्षितिज तारे एंड स्ट्रिंग्स

स्टार: 2

इस फिल्म के निर्माता अंजुम रिजवी के उल्लेखनीय समर्थन से युवा निर्देशकों के सपने पूरे होते हैं। नीरज पांडे की 'ए वेडनसडे' के मूल निर्माता अंजुम रिजवी ही थे। वे युवा प्रतिभाओं में निवेश करते हैं। उनके समर्थन और सहयोग से बनी कुछ फिल्में चर्चित भी हुई है। 'जॉन डे' उनका नया निवेश है। इस फिल्म के निर्देशक अहिशोर सोलोमन हैं। उन्होंने नसीरुद्दीन शाह और रणदीप हुड्डा के साथ यह कहानी बुनी है।

फिल्म के आरंभ में एक लड़की हादसे का शिकार होती है। पता चलता है कि वह एक बैंक कर्मचारी की बेटी है। वे अभी इस गम से उबरते भी नहीं हैं कि बैंक में डकैती के साथ उनकी बीवी पर हमला होता है। एक दस्तावेज जॉन के हाथ लगता है, जो गौतम (रणदीप हुड्डा) के लिए जरूरी है। वे उस दस्तावेज की पड़ताल कर अभियुक्तों तक पहुंचना चाहते हैं। जॉन और गौतम एक-दूसरे की राह नहीं काटते, लेकिन संयोग कुछ ऐसा बनता है कि वे एक-दूसरे के आमने-सामने खड़े नजर आते हैं। दोनों ही बर्बर चरित्र हैं।

अहिशोर सोलोमन ने दो-चार किरदारों को लेकर एक रोमांचक फिल्म बनाने की कोशिश की है। उनके पास कहानी का सघन प्लाट नहीं है। वे अपने कलाकारों पर ज्यादा निर्भर करते हैं। इस फिल्म में चरित्रों के चित्रण से अधिक अभिनेताओं का चित्रण दिखता है। हर अभिनेता परफॉर्म करता दिखता है। वे अपनी भूमिकाओं को अच्छी तरह निभा ले जाते हैं। इसके बावजूद फिल्म बांध नहीं पाती। पटकथा के बिखराव से फिल्म का रोमांच भी कम होता है। लेखक-निर्देशक ने दूसरी औसत फिल्मों की तरह अवश्य ही दो-चार चुस्त दृश्य अवश्य गढ़ लिए हैं। हां, यह फिल्म चारो मुख्य अभिनेताओं (रणदीप हुड्डा, नसीरुद्दीन शाह, शरद सक्सेना और विपिन शर्मा) के अभिनय के प्रदर्शन का शोकेस बन कर रह जाती है। बेहतरीन अभिनेताओं का 'नॉनसेंस परफरमेंस' कह सकते हैं।

फिल्म का पाश्‌र्र्व संगीत संदीप चौटा ने तैयार किया है। उन्होंने हमेशा ऐसी फिल्मों के दृश्यों को अपने संगीत से प्रभावपूर्ण बना दिया है। इस फिल्म में भी वे सफल रहते हैं, लेकिन दृश्यों का तारतम्य टूटा हुआ है। नतीजतन फिल्म अपेक्षित असर नहीं डालती।

अंजुम रिजवी का यह निवेश फलदायक नहीं रहा।

अवधि- 130 मिनट

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